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नेपाल में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए हैं 11 बिंदु एजेंडा

सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने बाद में विस्तार से बताया कि प्राथमिक एजेंडा पूर्वी नेपाल में किमाथांका में सीमापार सड़क निर्माण, मुस्टांग में कोराला सीमा पॉइंट और 2015 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए कोडारी और रासुवा राजमार्गो की मरम्मत करना है।

Reported by: IANS
Published on: October 12, 2019 21:25 IST
Chinese President Xi Jinping- India TV Hindi
Image Source : PTI Chinese President Xi Jinping walks with Nepalese President Bidhya Devi Bhandari during a welcome ceremony upon arrival at Tribhuvan International Airport in Kathmandu, Nepal.

काठमांडू। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो-दिवसीय आधिकारिक दौरे के लिए नेपाल पहुंच चुके हैं और नेपाली अधिकारियों के पास उनके लिए 11 परियोजनाओं की विश लिस्ट है। कहा जा रहा है कि इस दौरान चीन एक बड़ी सरप्राइज घोषणा करने की तैयारी कर रहा है। नेपाली टाइम्स के अनुसार, 12-13 अक्टूबर को काठमांडू दौरे पर आए राष्ट्रपति शी को राजधानी की सड़कें दोनों देशों के झंडों और नेताओं की तस्वीरों से पटी दिखीं।

शी जिनपिंग के लिए नेपाल के 11 बिंदु के एजेंडा में मुख्य रूप से काठमांडू से चीनी सीमा पर रासुवा समेत विभिन्न स्थानों तक नए राजमार्गो का निर्माण भी शामिल है। लेकिन नेपाल को सबसे ज्यादा उम्मीद केरंग से काठमांडू के बीच तिब्बत रेलवे के विस्तार की घोषणा की है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और विदेश मंत्री प्रदीप ग्याली ने गुरुवार को बालूवाटर में पूर्व प्रधानमंत्रियों और अधिकारियों से चार घंटों तक बैठक की, जिसमें उन्होंने सरकार को बीजिंग को सरकार के हित नहीं बेचने और चीन के ऋणजाल में नहीं फंसने की सलाह दी।

सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने बाद में विस्तार से बताया कि प्राथमिक एजेंडा पूर्वी नेपाल में किमाथांका में सीमापार सड़क निर्माण, मुस्टांग में कोराला सीमा पॉइंट और 2015 में आए भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए कोडारी और रासुवा राजमार्गो की मरम्मत करना है। अधिकारियों ने हालांकि कहा कि इस दौरे पर वास्तविक घोषणा शिगास्ते-केरंग रेलवे लाइन को हिमालय क्षेत्र में कई सुरंगों से होते हुए काठमांडू तक 70 किलोमीटर का विस्तार देना है। इसके लिए कहा जा रहा है कि चीन 70 प्रतिशत खर्चा उठाने के लिए तैयार है और नेपाल तीन अरब रुपये देने के लिए राजी है।

नई रेलवे लाइन और सड़कें चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआई) के अंतर्गत आती हैं, जो राष्ट्रपति शी की प्रमुख परियोजना है। इस प्रोजेक्ट से चीन और मध्य एशिया और यूरोप तक अंतरमहाद्वीपीय लैंड कनेक्टिविटी बेहतर करने का लक्ष्य है।

श्रेष्ठ ने खुलासा किया कि चीन के साथ मसौदा समझौते में प्राथमिक रूप से निम्न परियोजनाएं हो सकती हैं।

1- रासुवागडी जांच चौकी और काठमांडू जाने वाली सड़क को उन्नत करना।

2- टाटोपानी जांच चौकी और काठमांडू जाने वाली सड़क की मरम्मत करना।

3- तोखा-चाहरे सुरंग का निर्माण।

4- मदन भंडारी यूनिवर्सिटी स्थापित करना।

5- कीमाथांका जाने वाला कोसी कॉरीडोर राजमार्ग।

6- कोराला जाने वाला काली गंडकी कॉरीडोर।

7-हिलसा जाने वाला करनाली कॉरीडोर को उन्नत करना।

हालांकि इनमें से कुछ प्रस्ताव नए नहीं हैं लेकिन अगर पूरा पैकेज स्वीकृत हो जाता है तो इससे नेपाल में चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में दखल अचानक से बढ़ जाएगा। चीनी अधिकारियों ने अप्रैल में नेपाल निवेश सम्मेलन में भाग लिया था और सड़क तथा रेलवे के लिए नेपाल के प्रस्तावों का अध्ययन किया था। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भी इसी साल चीन दौरे पर ट्रांस-हिमालयन रेलवे परियोजनाओं पर बात की थी।

ओली आखिरी बार 2016 की शुरुआत में चीन गए थे, जब नेपाल के मार्गो पर भारत ने नाकाबंदी कर दी थी। उस समय ओली का मुख्य एजेंडा भारत को ठेंगा दिखाना और यह संदेश देना था कि नेपाल अगर चाहे तो नकारात्मक व्यवहार पर चीन की तरफ भी मुड़ सकता है।

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