संयुक्त राष्ट्र: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने चरमपंथियों पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान से एक साथ मिल कर काम करने की अपील की। गनी की इस अपील को एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने अफगानिस्तान में और सैनिक भेजे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में गनी ने अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई अफगान रणनीति ने तालिबान छापामारों को संदेश दे दिया है कि वह युद्ध के मैदान में जीत नहीं सकते और उन्हें शांति के लिए वार्ता करनी चाहिए। गनी ने कहा, हम इस रणनीति का स्वागत करते हैं, जिसने अब हमे निश्चितता के मार्ग पर ला दिया है। अफगानिस्तान की जनता कई साल से इस तरह के समाधान के लिए अमेरिका से उम्मीद कर रही थी। (जाने क्यों मोदी और ट्रंप की यात्रा को ऐतिहासिक मानते हैं इस्राइल के प्रधानमंत्री)
ट्रंप ने पिछले महीने अफगानिस्तान के लिए एक रणनीति की घोषणा की थी जिसमें 11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद से शुरू हुए अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को पहले विराम देने की बात कही गई और बाद में उन्होंने इस फैसले को वापस ले लिया। इसके विपरीत उन्होंने अफगानिस्तान में हजारों और सैनिक भेज दिए तथा पाकिस्तान पर भी कड़ा रुख अपनाया है। पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिका की आलोचना झोल रहा है जिसमें उस पर, खुफिया विभाग के जिहादियों के साथ संबंध और ओसामा बिन लादेन को पनाह देने जैसे आरोप लगते रहे हैं। गनी ने कहा, अब हमारे पास अपने पड़ोसियों से संवाद करने का भी मौका है कि कैसे गंभीरतापूर्वक साथ काम करके आतंकवाद का खात्मा कर सकते हैं और चरमंपथ को रोक सकते हैं।
उन्होंने कहा, मैं पाकिस्तान का आवान करता हूं कि वह शांति, सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग के लिए हमारे साथ मिलकर दोनों देशों के बीच विस्तारपूर्वक संवाद स्थापित करे जो अंतत: समृद्धि लेकर आए। ट्रंप की आलोचना पर पाकिस्तान ने बहुत शांति से प्रतिक्रिया दी है। कई पाकिस्तानियों का कहना है कि 11 सितंबर के बाद उनकी सरकार ने अमेरिका का साथ दिया फिर भी वह आतंकी हमलों के बड़े शिकार रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अपने ऐतिहासिक प्रतिद्वंदी भारत को रोकने के लिए पाकिस्तान के रिश्ते चरमपंथियों के साथ अब भी हैं। तालिबान को खदेड़े जाने के बाद अफगानिस्तान में बनी सरकार के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध हैं।