काबुल: तालिबान ने रविवार को अपने लड़ाकों को अफगान सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में नहीं जाने का आदेश दिया। तालिबान ने यह आदेश विद्रोहियों और नागरिकों की एक भीड़ पर इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह द्वारा किए गए हमले के एक दिन बाद दिया है। इस हमले में कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले से राष्ट्रपति अशरफ गनी के एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा के बाद तालिबान व सेना के बीच नजदीक आने के प्रयास को धक्का लगा है।
राष्ट्रपति की घोषणा के 2 दिन बाद तालिबान ने पवित्र रमजान महीने की समाप्ति के मौके पर 3 दिनों के सीजफायर की घोषणा की थी। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक बयान में कहा, ‘बीते रोज नांगरहार प्रांत के रोडाटो जिले के एक पार्क में विस्फोट हुआ, जिसमें कई देशवासियों की मौत हो गई और बहुतों को चोंटे आईं।’ मुजाहिद ने कहा, ‘इस तरह की घटनाओं को फिर होने से रोकने के लिए इस्लामिक अमीरात (तालिबान) अपने सभी मुजाहिदीनों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में बने रहने और शत्रु के नियंत्रण वाले क्षेत्र या शहर में जाने का जोखिम नहीं उठाने का आदेश देता है।’
संघर्ष के 17 सालों में पहली बार शुक्रवार से तालिबान लड़ाके और सुरक्षा बल के सदस्य देश के विभिन्न हिस्सों में एक ही मस्जिद में एक साथ प्रार्थना कर रहे थे और एक-दूसरे के नियंत्रण वाले इलाकों में आवागमन कर रहे थे और यहां तक कि तस्वीरें खिंचाई, जिसमें वे एक-दूसरे को गले लगाते दिख रहे हैं। सरकार की अनुमति से सुरक्षा बलों के पास अपने हथियार छोड़कर शनिवार को बड़ी संख्या में विद्रोही काबुल में दाखिल हुए और राजधानी के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास आंतरिक मंत्री वैस अहमद बरमाक ने उनका स्वागत किया।
यह खुशी इस्लामिक स्टेट द्वारा नांगरहार प्रांत में हमले से कम हो गई, जहां तालिबान व नागरिक संघर्षविराम का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए थे। इसमें 25 लोगों की मौत हो गई और 54 अन्य घायल हो गए।