Monday, December 23, 2024
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अफगानिस्तान के शांति दूत को आशंका, इस कदम के बाद बढ़ेगा तालिबान का हौसला

अफगानिस्तान सरकार के मुख्य शांति दूत ने शुक्रवार को आशंका जतायी कि अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद काबुल में अमेरिका समर्थित प्रशासन के साथ राजनीतिक सुलह में तालिबान की कोई दिलचस्पी नहीं होगी। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : June 18, 2021 21:30 IST
Afghanistan peace envoy fears pullout will embolden Taliban
Image Source : AP अफगानिस्तान शांति दूत ने आशंका जतायी कि नाटो बलों की वापसी के बाद सुलह में तालिबान की कोई दिलचस्पी नहीं होगी। 

एंटालया: अफगानिस्तान सरकार के मुख्य शांति दूत ने शुक्रवार को आशंका जतायी कि अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद काबुल में अमेरिका समर्थित प्रशासन के साथ राजनीतिक सुलह में तालिबान की कोई दिलचस्पी नहीं होगी। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुलह-सफाई परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसे संकेत हैं कि तालिबान 11 सितंबर को सैनिकों की वापसी के पहले सेना पर बढ़त बनाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि अगर ऐसा है तो अतिवादी इस्लामिक आंदोलन का आकलन सही नहीं है। 

‘एसोसिएटेड प्रेस’ के साथ एक साक्षात्कार में अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के पड़ोसियों को दखल देने से बचना चाहिए और इसके बजाए काबुल के साथ सहयोग करना चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘सैनिकों की वापसी से तालिबान के साथ वार्ता पर असर पड़ेगा। कुछ इससे प्रोत्साहित हो सकते हैं और उन्हें ऐसा लग सकता है कि वे सैन्य तरीके से इस स्थिति का लाभ उठा सकते हैं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘यह गलत आकलन करना होगा। उन्हें सोचना चाहिए कि सैन्य तरीके से क्या कोई जीत सकता है। युद्ध जारी रहने से किसी की जीत नहीं होगी।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसे संकेत हैं कि हालात का फायदा उठाने के लिए तालिबान प्रांतीय जिलों में नियंत्रण का प्रयास कर रहा है। 

अफगानिस्तान से 11 सितंबर तक करीब 2300 से 3500 अमेरिकी सैनिक और सहयोगी नाटो के 7000 सैनिक वापस चले जाएंगे। अमेरिकी और नाटो के सैन्यकर्मियों के वापस जाने के बाद पड़ोसी देशों के संभावित दखल के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि क्षेत्र के देशों ने कहा है कि उनकी दिलचस्पी स्थिर अफगानिस्तान में है और वे अपनी बात पर कायम रहेंगे।

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