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अफगानिस्तान छोड़कर चले गए राष्ट्रपति अशरफ गनी, काबुल में तालिबान का कब्जा

तालिबान में काबुल में घुस गया है। ऐसे में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को देश छोड़कर चले गए हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : August 15, 2021 23:54 IST
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने छोड़ा देश, अधिकारी ने की पुष्टि- India TV Hindi
Image Source : AP अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने छोड़ा देश, अधिकारी ने की पुष्टि

काबुल (अफगानिस्‍तान): तालिबान में काबुल में घुस गया है। ऐसे में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी रविवार को देश छोड़कर चले गए हैं। दो अधिकारियों ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि गनी हवाई मार्ग से देश से बाहर गए। दोनों अधिकारी पत्रकारों को जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं थे। बाद में अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने एक ऑनलाइन वीडियो में इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘उन्होंने (गनी) कठिन समय में अफगानिस्तान छोड़ दिया, ईश्वर उन्हें जवाबदेह ठहराए।’’ 

अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाहते हैं नागरिक

देशवासी और विदेशी भी देश से निकलने को प्रयासरत हैं। नागरिक इस भय को लेकर देश छोड़कर जाना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे। नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए। वहीं काबुल में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आये हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे।

अफगानिस्तान को जल्द इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा करेंगे: तालिबान

तालिबान के एक अधिकारी ने कहा है कि विद्रोही संगठन जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा करेगा। ग्यारह सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद, अमेरिका नीत बलों द्वारा अफगानिस्तान से तालिबान को अपदस्थ करने के लिए शुरू किए गए हमलों से पहले भी आतंकी संगठन ने युद्धग्रस्त देश का नाम इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान रखा हुआ था। अब करीब 20 साल बाद फिर से अफगानिस्तान पर कब्जा करके तालिबान उसे इस्लामी अमीरात घोषित करने की बात कर रहा है।

अपने लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाल रहे दूसरे देश

अमेरिकी दूतावास से कर्मियों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टरों आसमान में उड़ान भरते दिखे। पश्चिमी देशों के कई अन्य देशों के दूतावास भी अपने लोगों को बाहर निकालने के लिए तैयारी में हैं। भारत भी अपने लोगों को वहां से निकाल रहा है। 129 यात्रियों को लेकर एयर इंडिया की फ्लाइट रविवार देर शाम को दिल्ली पहुंची। इसके साथ ही, भारत अपने डिप्लोमैट्स को भी अफगानिस्तान से निकालने पर विचार कर सकता है। समझा जाता है कि भारतीय वायु सेना के सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर के एक बेड़े को लोगों तथा कर्मचारियों को निकालने के लिए तैयार रखा गया है। 

स्पेन के नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने की योजना में तेजी लाई गई

स्पेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अभी तक स्पेनिश नागरिकों और अनुवादकों समेत अफगान कर्मचारियों को अफगानिस्तान से निकाला नहीं गया है तथा तेजी से इसकी योजना बनाई जा रही है। ईमेल के जरिये भेजे गए बयान में मंत्रालय ने कहा, “अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकालने की योजना को अधिकतम गति दी जा रही है” और जिन लोगों को निकाला जाना है उनका विवरण तैयार किया जा रहा है। सुरक्षा कारणों से मंत्रालय ने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी। 

अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर आश्रय लेने को कहा

काबुल में अमेरिकी दूतावास ने सभी कामकाज निलंबित कर दिया है और अमेरिकी नागरिकों से किसी सुरक्षित स्थान पर आश्रय लेने को कहा है। दूतावास ने कहा है अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गोलीबारी की खबरें मिल रही हैं। तालिबान द्वारा देश के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा किये जाने के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से अपने राजनयिकों और नागरिकों को हवाई मार्ग के जरिये बाहर निकालने की जल्दी में है। बयान में कहा गया है, ''हवाई अड्डे पर गोलीबारी होने की खबरें मिली हैं। हम अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पनाह लेने की सलाह देते हैं।"

सत्ता के हस्तांतरण पर चर्चा

रविवार को तालिबान लड़ाके काबुल के बाहरी इलाके में घुस गए, लेकिन शुरू में शहर के बाहर रहे। एक अफगान अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि इस बीच, राजधानी में तालिबान वार्ताकारों ने सत्ता के हस्तांतरण पर चर्चा की। अधिकारी ने बंद दरवाजे के पीछे हुई बातचीत के विवरण पर चर्चा की और उन्हें "तनावपूर्ण" बताया। यह स्पष्ट नहीं है कि यह सत्ता हस्तांतरण कब होगा और तालिबान में से कौन बातचीत कर रहा था। सरकारी पक्ष के वार्ताकारों में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, हिज़्ब-ए-इस्लामी के नेता गुलबुद्दीन हेकमतयार और अब्दुल्ला शामिल थे, जो गनी के मुखर आलोचक रहे हैं। 

पाकिस्तान से वार्ता करने के लिए अफगान नेता इस्लामाबाद पहुंचे

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ कर जाने के बीच कई वरिष्ठ अफगान नेता अपने देश के भविष्य पर एक बैठक में भाग लेने के लिए रविवार को पाकिस्तान पहुंचे। अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के प्रतिनिधि, राजदूत मुहम्मद सादिक ने ट्वीट किया कि उन्होंने इस्लामाबाद हवाई अड्डे पर अफगान प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। सादिक ने कहा कि स्पीकर उलूसी जिरगा मीर रहमानी पूर्व मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी, पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस कानूनी, वरिष्ठ नेता अहमद जिया मसूद, अहमद वली मसूद, अब्दुल लतीफ पेडरम, खालिद नूर और उस्ताद मोहम्मद मोहकीक प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं।

तालिबान से मुलाकात के लिए अफगान नेता परिषद का गठन करेंगे

अफगान नेताओं ने तालिबान से मुलाकात करने और सत्ता हस्तांतरण के प्रबंधन के लिए एक समन्वय परिषद का गठन किया है। इससे पहले तालिबान ने राजधानी काबुल में अपना कब्जा जमा लिया था। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गए एक बयान में कहा कि परिषद का नेतृत्व ‘हाई काउन्सिल फॉर नेशनल रीकन्सीलिएशन’ के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला, हिज्ब ए इस्लामी के प्रमुख गुलबुदीन हिकमतयार और वह खुद करेंगे। बयान में कहा गया कि यह निर्णय अराजकता को रोकने, लोगों की समस्याओं को कम करने तथा शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरण के लिए लिया गया है। 

अफगान संकट पर चर्चा के लिए ब्रिटेन में संसद की बैठक होगी

ब्रिटेन के सांसदों को गर्मी की छुट्टियों से वापस बुलाया जा रहा है ताकि अफगानिस्तान में खराब होती स्थिति पर संसद में चर्चा की जा सके। अधिकारियों ने रविवार को कहा कि बुधवार को एक दिन के लिए संसद की बैठक होगी जहां संकट पर सरकार की प्रतिक्रिया पर बहस होनी है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को अपनी कैबिनेट की आपातकालीन समिति की बैठक बुलाई। 

बाइडन ने अफगानिस्तान में 1000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती को मंजूरी दी 

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी बलों की व्यवस्थित एवं सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए युद्धग्रस्त देश में 1,000 और सैनिकों को भेजा है। अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि बाइडन ने शनिवार को अपने बयान में कुल 5,000 जवानों की तैनाती को मंजूरी दी, जिसमें वे 1,000 सैनिक भी शामिल हैं, जो पहले से अफगानिस्तान में मौजूद हैं।

अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक...

अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा। काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था। 

डोनाल्ड ट्रम्प ने किया था तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर

ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था। एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका। हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया। अमेरिका वर्षों से, युद्ध से बाहर निकलने को प्रयासरत था। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वाशिंगटन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो विद्रोहियों के खिलाफ प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई को सीमित करता है। इसने तालिबान को अपनी ताकत जुटाने और प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने का मौका मिल गया। वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस महीने के अंत तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी की अपनी योजना की घोषणा की।

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