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हेलिकॉप्टर भरकर पैसा ले गए अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी, बचा हुआ जमीन पर पड़ा छोड़ दिया: रिपोर्ट

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पर देश छोड़ने के दौरान बहुत सारा नकद अपने साथ ले जाने का आराप लगा है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 16, 2021 19:58 IST
हेलिकॉप्टर भरकर पैसा ले गए अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी, बचा हुआ जमीन पर पड़ा छोड़ दिया: रिपोर्ट- India TV Hindi
Image Source : AP हेलिकॉप्टर भरकर पैसा ले गए अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी, बचा हुआ जमीन पर पड़ा छोड़ दिया: रिपोर्ट

काबुल (अफगानिस्तान): अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पर देश छोड़ने के दौरान बहुत सारा नकद अपने साथ ले जाने का आराप लगा है। रूसी मीडिया RT ने एक रिपोर्ट में काबुल स्थित रूसी दूतावास के हवाले से कहा है कि अशरफ गनी इतना नकद लेकर देश से बाहर गए हैं कि उनके हेलिकॉप्टर में भी वह पूरा नहीं आया और उन्हें कुछ पैसा हवाई अड्डे पर ही छोड़ा पड़ा।

रिपोर्ट में लिखा गया, "काबुल में रूसी दूतावास ने कहा है कि पश्चिमी समर्थित पूर्व अफगान नेता अशरफ गनी इतने सारे पैसे के साथ अपने देश से चले गए कि वह सब उनके हेलिकॉप्टर में भी नहीं आ सका और उन्हें हवाई अड्डे पर कुछ नकदी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।" 

रिपोर्ट में लिखा कि रूसी दूतावास के प्रवक्ता निकिता इशचेंको ने कहा, "चार कारों में पैसे भरे थे। (उन्होंने) हेलीकॉप्टर में सारा पैसा भरने की कोशिश की लेकिन वह सब भरा नहीं जा सका। कुछ पैसे डामर (हवाई पट्टी) पर पड़े रहे।" बता दें कि गनी रविवार को अफगानिस्तान से बाहर चले गए हैं।

तालिबान के आश्वासन के बावजूद अफगान नागरिकों को बर्बर शासन लौटने का भय

अफगानिस्तान में तालिबान ने देश में शांति का नया युग लाने का वादा किया है, लेकिन अफगाान इससे आश्वस्त नहीं है और उनके दिलों में तालिबान का पुराना बर्बर शासन लौटने का भय है। जिन लोगों को तालिबान का शासन याद है और जो लोग तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में रह चुके हैं वे तालिबान के भय से वाकिफ हैं। जिन इलाकों में तालिबान ने हाल में कब्जा किया है वहां सरकारी कार्यालय, दुकानें, स्कूल आदि अब भी बंद हैं और नागरिक छिपे हुए हैं या फिर राजधानी काबुल जा रहे हैं। 

देश में तालिबान के कट्टर शरिया शासन लौटने की आहटें सुनाई देने लगी हैं, जिसके तले देश की जनता ने 1996 से 2001 का वक्त बिताया था। 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से तालिबान शासन को समाप्त किया। बहुत से लोगों को भय है कि तालिबान शासन आने के बाद महिलाओं और जातीय अल्पसंख्यकों की आजादी समाप्त हो जाएगी और पत्रकारों तथा गैर सरकारी संगठनों के काम करने पर पाबंदियां लग जाएंगी।

हेरात में एक स्थानीय एनजीओ में काम करने वाली 25 वर्षीय युवती ने बताया कि लड़ाई के चलते वह हफ्तों से घर से बाहर नहीं निकली है। उसने कहा कि बहुत कम महिलाएं सड़कों पर दिखाई देंगी यहां तक कि महिला चिकित्सक भी घरों में हैं और जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, ऐसे ही रहने वाला है। उसने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर फोन पर कहा,‘‘ मैं तालिबान लड़ाकों का सामना नहीं कर सकती। उनके लिए मेरे मन में अच्छे भाव नहीं है। कोई भी महिलाओं और लड़कियों के बारे में तालिबान के विचार को नहीं बदल सकता। वे अब भी चाहते हैं कि महिलाएं घरों पर रहें।’’

तालिबान ने लोगों को आश्वासन दिया है कि सरकार और सुरक्षा बलों के लिए काम करने वालों पर प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी और जीवन, संपत्ति और सम्मान की रक्षा की जाएगी। वे देश के नागरिकों से देश नहीं छोड़ने की भी अपील कर रहे हैं, लेकिन तालिबान की हालिया कार्रवाई कुछ और ही तस्वीर पेश करती है। अर्ध सरकारी ‘अफगानिस्तान इंडिपेंडेंट ह्यूमन राइट्स कमीशन’ के अनुसार पिछले माह गाजी प्रांत के मलिस्तान जिले पर कब्जे के बाद तालिबानी लड़कों ने घर-घर जा कर उन लोगों की तलाश की जिन्होंने सरकार के लिए काम किया था और इसके बाद कम से कम 27 लोगों की हत्या कर दी। अन्य स्थानों से भी कमोबेश इसी प्रकार की खबरें मिल रही हैं।

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