मास्को: रूस ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में किसी को भी ‘भूराजनीतिक खेल’ नहीं खेलना चाहिए क्योंकि उसने तालिबान के साथ सीधी शांति वार्ता शुरू करने के उद्देश्य से ‘अनुकूल स्थितियां’ बनाने के लिए एक प्रमुख सम्मेलन का आयोजन किया। इस बैठक में तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ-साथ पहली बार भारत ने भी ‘गैर-आधिकारिक’ स्तर पर शिरकत की। रूस के विदेश मंत्री सर्जेइ लावरोव ने अफगानिस्तान पर दूसरी मास्को बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि रूस और क्षेत्र में स्थित अन्य सभी देश अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच वार्ता स्थापित करने के लिए सभी संभव प्रयास करेंगे। तालिबान रूस में प्रतिबंधित है।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने लावरोव के हवाले से कहा, ‘अफगानिस्तान के इतिहास में एक नया अध्याय खोलने के लिए हम हर संभव प्रयास करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।’ सभा को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा कि सम्मेलन का लक्ष्य राष्ट्रीय सुलह-सफाई प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक समावेशी अंतर-अफगान वार्ता को विकसित करना है। अमेरिकी दूतावास ने शु्क्रवार की चर्चा का हिस्सा बनने के लिए एक राजनयिक को भेजा था। बैठक में अफगानिस्तान, भारत, चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया था।
अफगानिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत अमर सिन्हा और पाकिस्तान में पूर्व भारतीय उच्चायुक्त टी.सी.ए. राघवन ने भारत की ओर से मॉस्को बैठक में ‘गैर-आधिकारिक’ स्तर पर शिरकत की। इससे पहले भारत ने गुरुवार को कहा था कि वह अफगानिस्तान पर रूस द्वारा आयोजित की जा रही बैठक में ‘गैर-आधिकारिक स्तर’ पर भाग लेगा। बैठक में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि हम अवगत हैं कि रूस 9 नवंबर को मास्को में अफगानिस्तान पर एक बैठक की मेजबानी कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा तथा देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा।