काबुल: अफगानिस्तान के जलालाबाद शहर में बुधवार को एक ब्रिटिश सहायता एजेंसी के मुख्यालय पर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट (IS) ने हमला कर दिया। इसमें तीन हमलावरों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य लोग घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक, कार्यालय परिसर के प्रवेश द्वार पर एक संदिग्ध कार में विस्फोट होने के साथ हमला शुरू हुआ। इसके बाद कई हमलावर इमारत में घुसकर ताबड़तोड़ गोलीबारी करने लगे। अधिकारियों के अनुसार, उस समय इमारत में लगभग 50 लोग कार्यरत थे।
समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, नांगरहार प्रांत के सरकारी प्रवक्ता अताउल्ला खोगयानी ने कहा कि दो सुरक्षाकर्मी और एक नागरिक और तीन हमलावरों की मौत हुई है। प्रांतीय परिषद के एक सदस्य जबीहुल्ला जमराई ने कहा कि एक घायल हमलावर लगता है अभी भी इमारत के अंदर मौजूद है और वह सुरक्षाबलों का मुकाबला कर रहा है।
इस हमले के बाद सहायता एजेंसी ने अफगानिस्तान में उसके सभी अभियानों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। एजेंसी ने बयान जारी कर कहा कि वह जल्द से जल्द इन परियोजनाओं को दोबारा शुरू करने के लिए बचनबद्ध है। लंदन मूल की सहायता एजेंसी की वेबसाइट के अनुसार, एजेंसी अफगानिस्तान के 34 में से 16 प्रांतों में सक्रिय होकर सात लाख से भी ज्यादा बच्चों को लाभ पहुंचा रही है।
आईएस की स्थानीय इकाई ने संगठन के 'अमक न्यूज' के माध्यम से हमले की जिम्मेदारी ली है। इसके अनुसार उसने जलालाबाद में चार हमलावरों और विस्फोटकों से भरी एक कार के जरिए ब्रिटेन, स्वीडन और अफगानिस्तानी संस्थानों को निशाना बनाया है। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, पहले एक सफेद कार आई, जिसमें से हथियारबंद लोग बाहर निकले और उन्होंने गोलीबारी कर कार में विस्फोट कर दिया। सहायता एजेंसी ने ट्वीट किया कि 'यह तहस-नहस करने वाला था।'अफगानिस्तान में ब्रिटिश राजदूत निकोलस के ने ट्वीट किया, "यह एक जुर्म है।"
अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि देश भर में मौजूद सुरक्षा कर्मियों को आतंकियों के खिलाफ कोई रहम नहीं दिखाने का आदेश दे दिया गया है। अफगानिस्तान में स्वीडन के राजदूत तोबिआस थाईबर्ग ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि वे बेगुनाहों की रक्षा में शहीद होने वालों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं। इन हमलों से अफगानिस्तान टूटने वाला नहीं है।
इस क्षेत्र में सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ अन्य सहायता एजेंसियों के कार्यालय भी मौजूद हैं।'सेव द चिल्ड्रन' अफगानिस्तान में बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काम करती है। अफगानिस्तान में सेवार्थ संस्थाओं को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। यहां अक्सर हमले और अपहरण की घटनाएं होती रहती हैं। पिछले वर्ष अक्टूबर में 'रेड क्रॉस' ने कहा था कि संगठन पर लगातार हमलों और सात सदस्यों की हत्याओं के बाद संस्था अपनी गतिविधियां तेजी से कम करेगी।