लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शिक्षण अस्पतालों में कार्यरत 48 डॉक्टरों ने कोरोना वायरस से बचाव के लिये कोई सुरक्षा प्रावधान न होने का हवाला देते हुए रविवार को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया, जिससे कोविड-19 के खिलाफ जंग में देश की कोशिशों को झटका लगा है। पाकिस्तान में अब तक 2,28,000 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से 4,700 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। डॉक्टरों के कोरोना संकट काल में एक साथ इस्तीफा देने से प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ सकता है।
पंजाब के स्वास्थ्य विभाग की ओर से रविवार को यहां जारी अधिसूचना के अनुसार 48 डॉक्टरों ने सरकारी शिक्षण अस्पतालों में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं। इनमें से अधिकतर चिकित्सक युवा हैं। इस्तीफा देने वाले डॉक्टर लाहौर के मेयो, सर्विसेज, जिन्ना, जनरल, लेडी एटिसन, चिल्ड्रन अस्पताल, फैसलाबाद के शेख जायद, एलायड और सिविल अस्पताल और मुल्तान के एसजेडएच रहीम यार खान तथा निश्तर हॉस्पिटल में कार्यरत थे।
लाहौर के एक सार्वजनिक अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, ''डॉक्टरों ने सरकार से कई बार घातक कोरोना वायरस से बचने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया कराने का अनुरोध किया था, लेकिन सरकार की नाकामी के चलते उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।'' उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा को लेकर अधिक दिलचस्पी नहीं रखती। पाकिस्तान के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार कोविड-19 के चलते अब तक 70 से अधिक चिकित्सा पेशेवरों की मौत हो चुकी है। इनमें अधिकतर डॉक्टर हैं। इसके अलावा 5,000 से अधिक चिकित्सा कर्मी संक्रमित पाए गए हैं।