काबुल: अफगानिस्तान की एक मस्जिद में बम बनाने की ट्रेनिंग ले रहे तालिबान के आतंकियों के लिए यह आखिरी क्लास साबित हुई। अफगानिस्तान की सेना द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि बम बनाने की ट्रेनिंग के दौरान हुए भीषण विस्फोट में 6 विदेशियों समेत कुल 30 आतंकियों के चीथड़े उड़ गए। विस्फोट में मारे गए विदेशी बारुदी सुरंग बनाने के एक्सपर्ट थे और ये तालिबानी आतंकियों को बम बनाने की लाइव ट्रेनिंग दे रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह विस्फोट अफगानिस्तान के बाल्फ प्रांत के दौलताबाद जिले में स्थित कुल्ताक नाम के गांव में हुआ है।
'नहीं हो पाई मारे गए विदेशी आतंकियों की पहचान'
बम बनाने की ट्रेनिंग देने के दौरान हुए विस्फोट में मारे गए इन 6 विदेशी आतंकियों की पहचान नहीं हो पाई है। वहीं, इनके अलावा तालिबान के 24 आतंकी भी ढेर हुए हैं। ये सभी आतंकी एक मस्जिद के अंदर जमा थे और विदेशी आतंकियों से बम और आईईडी बनाने की ट्रेनिंग ले रहे थे। बता दें कि अमेरिका के एक निगरानी समूह ने बीते दिनों अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के हमले बढ़ गए हैं, जिनमें सरकारी अधिकारियों, नागरिक संस्थाओं के नेताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। माना जा रहा है कि इसी के मद्देनजर तालिबान ने अपने लड़ाकों की ट्रेनिंग तेज कर दी है।
आखिर क्यों बदला हुआ है तालिबान का रुख?
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते पर पुन: गौर करने की योजना के ऐलान के बाद से ही अफगानिस्तान में हालात बदले नजर आ रहे हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन और तालिबान ने पिछले साल फरवरी में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तालिबान के आतंकी जहां मांग कर रहे हैं कि अमेरिका ट्रंप के शासनकाल में हुए समझौते को माने और अफगानिस्तान से अपनी सेना हटा ले, जबकि नाटो के महासचिव जेंस स्टोलेटबर्ग ने कहा है कि सही समय आने पर ही ऐसा करना संभव होगा। नाटो के इस रुख से तालिबान बेचैन है और उसने अफगानिस्तान में अपने हमलों में बढ़ोत्तरी कर दी है।