इस्लामाबाद: पाकिस्तान में 2018 में 262 आतंकवादी हमले हुए जिनमें पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों समेत कम से कम 595 लोग मारे गये और 1,030 अन्य घायल हुए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर हमले सुरक्षाकर्मियों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को निशाना बनाकर किये गये। इन हमलों में सबसे खतरनाक हमले नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर किए गए। इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक ‘पाक इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज’ (पीआईपीएस) ने अपने सालाना पाकिस्तान सुरक्षा रिपोर्ट 2018 में बताया कि 25 जुलाई को हुए आम चुनावों से पहले कई खतरनाक हमले हुए। दक्षिण पश्चिम पाकिस्तान में जुलाई में एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती बम हमले में 128 लोग मारे गये। पाकिस्तान में यह चुनाव के दौरान किया गया दूसरा हमला था और बीते तीन साल में देश में सबसे भीषण बम हमला भी था।
इसमें कहा गया कि ‘‘2018 में आतंकवादी हमलों में 29 फीसदी गिरावट आयी और हताहतों की संख्या में 27 फीसदी कमी आयी।’’ पीआईपीएस ने कहा कि 595 लोगों में से करीब 38 फीसदी लोग 2018 में पाकिस्तान में हुए आतंकवादी हमलों में मारे गये, जो बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में पांच घातक हमलों का नतीजा था। इन हमलों की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी। रिपोर्ट के अनुसार,‘‘बलूचिस्तान एकमात्र ऐसा क्षेत्र था, जहां आतंकवाद संबंधित हत्याओं की घटनाएं तेजी से बढ़ीं। 2017 की तुलना में यह 23 फीसदी से ऊपर पहुंच गया। अधिकतर घटनाएं धर्म प्रेरित आतंकवादी समूहों का नतीजा रहीं।’’समूचे पाकिस्तान में करीब 171 हमलों को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और इससे अलग होकर बने संगठनों जमातउल अहरार, हिज्बुल अहरार और अन्य ने अंजाम दिया।
इन घटनाओं में 449 लोग मारे गये। राष्ट्रवादी विरोधी संगठनों संगठनों ने 80 हमले किये, जिनमें 96 लोग मारे गये। ऐसे अधिकतर संगठन बलूचिस्तान और कुछ सिंध में मौजूद हैं। इसमें बताया गया है, ‘‘कम से कम 11 आतंवादी हमले कट्टरपंथ से संबंधित थे, जिनमें 50 लोग मारे गये थे और 45 अन्य जख्मी हो गये थे।’’ इनमें आधे से अधिक हमले (करीब 136) सुरक्षा बलों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को निशाना बनाकर किये गये। सुरक्षा बलों ने 2018 में कुल 120 आतंकवादियों को मार गिराया जबकि 2017 में 524 आतंकवादी मारे गये थे। उल्लेखनीय है कि 24 हमले नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर किये गये जिसमें 218 लोग मारे गये और 394 जख्मी हुए थे।