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नो मैन्स लैंड में फंसे 10 हजार रोहिंग्या लोग

म्यांमार और बांग्लादेश के बीच करीब 10 हजार रोहिंग्या लोग नो मैन्स लैंड में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है।

Edited by: India TV News Desk
Published on: October 05, 2017 6:51 IST
10 thousand Rohingya people stranded in No Mans Land- India TV Hindi
10 thousand Rohingya people stranded in No Mans Land

ढाका: म्यांमार और बांग्लादेश के बीच करीब 10 हजार रोहिंग्या लोग नो मैन्स लैंड में फंसे हुए हैं, जहां उन्हें रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। स्थानीय प्राधिकारियों ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी। सीमा प्राधिकारियों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े एक 45 मीटर चौड़े क्षेत्र जिसे 'नो मैन्स लैंड' माना जाता है, वहां न तो बांग्लादेश और न ही म्यांमार का प्रभावी नियंत्रण है। बांग्लादेश के बंदरबन जिले में घूम धूम सीमा चौकी के स्थानीय सरकारी प्रतिनिधि एकेएम जहांगीर अजीज ने कहा, "वे नो मैन्स लैंड पर इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए कहीं और कोई स्थान शायद बचा ही नहीं है।" (इस देश में पैदा हुआ फ्रेश एयर का संकट, बिक रही है 150 रुपए में)

अजीज ने कहा, "इस वक्त नो मैन्स लैंड पर 1,360 परिवार रह रहे हैं, जिनकी संख्या लगभग दस हजार के करीब है।" अजीज ने कहा कि हालांकि बांग्लादेश प्राधिकारी रोहिग्याओं को देश में घुसने से नहीं रोक रहे हैं, लेकिन शरणार्थियों को नो मैन्स लैंड में ही रहना उचित लग रहा है क्योंकि वहां उन्हें आईसीआरसी द्वारा सहायता मिल रही है। अजीज ने कहा कि प्राधिकारियों ने करीब 16,000 रोहिंग्या शरणार्थियों को स्थानांतरित करने का काम शुरू कर दिया है जो वर्तमान में बंदरबन के कुतुपलोंग में अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। स्थानांतरण पूरा होने के बाद, वे नो-मैन्स लैंड में फंसे लोगों को स्थानांतरित करना शुरू कर देंगे।

आईसीआरसी के एक प्रवक्ता रेहान सुल्ताना तोमा ने कहा कि संगठन, बांग्लादेश रेड क्रीसेंट सोसायटी के साथ मिलकर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के निवेदन पर फंसे हुए रोहिंग्या लोगों की मदद कर रहा है। इस बीच, म्यांमार के रखाइन में हिंसा भड़कने के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों के पड़ोसी देश बांग्लादेश भागने का क्रम लगातार छठे हफ्ते भी जारी रहा। बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने रविवार को कहा था कि अगस्त के अंत में हिसा भड़कने के बाद से लगभग 509,000 रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए हैं। रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा म्यांमार सेना की चौकियों पर हमले के बाद 25 अगस्त को शुरू हुई सेना की कार्रवाई ने रोहिंग्या लोगों को पलायन पर मजबूर कर दिया, जिसके बाद म्यांमार ने उनसे नागरिकता भी छीन ली। संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकारों के उच्चायुक्त ने इस कार्रवाई को 'एक जाति के सफाये का जीता जागता उदाहरण' बताया था।

 

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