नई दिल्लीः यमन में एक भारतीय नर्स को मौत की सजा मिलने का मामला आज लोकसभा में गूंजा। दरअसल यमन के उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नर्स को यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है और उसका मामला फिलहाल उस देश के राष्ट्रपति के पास है। दया याचिका पर अभी तक यमन के राष्ट्रपति की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत सरकार इस मामले में हरसंभव सहायता प्रदान कर रही है जिसमें जेल में बंद नर्स निमिषाप्रिया तक राजनयिक पहुंच प्रदान करना तथा मामले में उसकी पैरवी के लिए वकील उपलब्ध कराना शामिल है। उन्होंने लिखित जवाब में कहा, ‘‘सना में यमन के उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नर्स निमिषाप्रिया को यमन के एक नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई है।’’ विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘मौत की सजा के तामील होने संबंधी मुद्दा वर्तमान में यमन के राष्ट्रपति के पास है।’’
ब्लड मनी से क्या बच सकती है जान
सिंह ने कहा कि सरकार को निमिषाप्रिया के मामले के संबंध में नागरिक समाज सहित कुछ प्रतिवेदन प्राप्त हुए हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने निमिषाप्रिया की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए ‘ब्लड मनी’ (हत्यारे या उसके परिवार की ओर से मारे गए व्यक्ति के परिवार को दी जाने वाली धनराशि) का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाया है, सिंह ने कहा कि यह मृतक के परिवार और नर्स के परिवार के बीच का मामला है। दरअसल विदेशों में किसी की हत्या हो जाती है तो बाद में पीड़ित का परिवार कई बार हत्यारे से उसके एवज में मुआवजे की मुंह मांगी रकम लेकर मुकदमा खत्म करने पर राजी हो जाता है। इसे ब्लड मनी कहते हैं। (भाषा)
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