Monday, December 23, 2024
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World Patient Safety Day-WHO: दुनिया की सबसे असुरक्षित चिकित्सा पद्धति, जिस पर WHO ने रोक लगाने को कहा

World Patient Safety Day-WHO: आज 17 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस मनाए जाने का मकसद प्रत्येक रोगी को सुरक्षित चिकित्सा उपलब्ध करवाना है। ताकि इससे मरीज की जिंदगी को बचाया जा सके।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra
Published : Sep 17, 2022 16:18 IST, Updated : Sep 17, 2022 16:18 IST
Unsafe Treatment
Image Source : INDIA TV Unsafe Treatment

Highlights

  • प्रतिवर्ष 13.4 करोड़ लोग होते हैं असुरक्षित चिकित्सा के शिकार
  • इनके कारण दुनिया भर में सालाना अनुमानित 4.2 करोड़ डॉलर का आता है खर्च
  • असुरक्षित चिकित्सा से प्रतिवर्ष 26 लाख लोगों की हो जाती है मौत

World Patient Safety Day-WHO: आज 17 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है। यह दिवस मनाए जाने का मकसद प्रत्येक रोगी को सुरक्षित चिकित्सा उपलब्ध करवाना है। ताकि इससे मरीज की जिंदगी को बचाया जा सके। चिकित्सा के दौरान ऐसा कोई असुरक्षित तौर-तरीका इस्तेमाल नहीं किया जाए, जिससे कि रोगी की मौत हो जाए। मगर क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे असुरक्षित उपचार का तरीका क्या है, जो मरीजों की जान ले रहा है और  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी जिसपर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है।

प्रतिवर्ष 13.4 करोड़ लोग होते हैं असुरक्षित चिकित्सा के शिकार

डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस पर असुरक्षित चिकित्सकीय पद्धतियों और त्रुटियों को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने और स्वास्थ्य प्रणालियों में नुकसान को रोकने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। असुरक्षित चिकित्सकीय पद्धतियों और त्रुटियों के कारण कई लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो जाते हैं या कई लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा इनके कारण दुनिया भर में सालाना अनुमानित 4.2 करोड़ डॉलर का खर्च आता है। दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र सहित निम्न और मध्यम आय वाले देशों में असुरक्षित चिकित्सकीय सेवा के कारण प्रतिकूल प्रभाव के सालाना करीब 13.4 करोड़ मामले पाए जाते हैं और इसके परिणामस्वरूप लगभग 26 लाख लोगों की मौत होती है।

कमजोर चिकित्सा प्रणाली को हटाकर नुकसान कम करना मकसद
उन्होंने एक बयान में कहा कि असुरक्षित चिकित्सकीय पद्धतियां और त्रुटियां विभिन्न चरणों में हो सकती हैं। इसका कारण कमजोर चिकित्सकीय प्रणाली या थकान, खराब पर्यावरणीय परिस्थितियां या कर्मचारियों की कमी जैसे मानवीय कारक हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र ने 2015 के बाद से नकली और घटिया उत्पादों पर लगाम लगाने और रोगियों की सुरक्षा को बढ़ाने पर ध्यान देते हुए असुरक्षित चिकित्सकीय पद्धतियों और त्रुटियों को कम करने के प्रयास किए हैं। सिंह ने बयान में कहा कि बुजुर्ग रोगी देखभाल, गहन देखभाल, अत्यधिक विशिष्ट या शल्य चिकित्सा देखभाल और आपातकालीन चिकित्सा के दौरान चिकित्सकीय त्रुटि से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए क्षेत्र में विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।

प्रमुख चिकित्सा प्रणालियां
एलोपैथ, आयुर्वेद, होम्योपैथ, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, पारंपरिक चिकित्सा पद्धति इत्यादि उपचार की कई प्रणालियां हैं। इनमें से एलोपैथ सबसे अधिक अत्याधुनिक, क्विक रेस्पांस देने वाली चिकित्सा है, लेकिन सबसे ज्यादा जोखिम इसी पद्धति में है। इस दौरान ब्लड ट्रांसफ्यूजन में लापरवाही, साफ-सफाई न होने से इंफेक्शन, ऑपरेशन के दौरान की जाने वाली लापरवाही, गलत दवाओं और इंजेक्शन का उपयोग इत्यादि से कई बार मरीजों की जान खतरे में पड़ जाती है। इसलिए ऐसी लापरवाहियों पर तत्काल लगाम की जरूरत है। आयुर्वेद चिकित्सा सुरक्षित पद्धति है, लेकिन जब यह कुशल चिकित्सक की देखरेख में की जाए। वहों प्राकृतिक और होम्योपैथी चिकित्सा भी सुरक्षित पद्धति है। इसी तरह पारंपरिक चिकित्सा भी सुरक्षा के लिहाज से अच्छी पद्धति है। बशर्ते यह सब किसी ने किसी कुशल वैद्य की निगरानी में की जानी चाहिए।

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