Malala Yousafzai : अफगानिस्तान में तालिबान की जब से सत्ता आई है, तभी से महिलाओं के प्रति 'लैंगिक भेदभाव' काफी बढ़ गया है। इसे लेकर नोबल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने तालिबान पर जमकर भड़ास निकाली है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय महिलाओं के खिलाफ तालिबान के ‘लैंगिक भेदभाव’ का मुकाबला करें। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा कि अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ जो ‘लैंगिक भेदभाव’ शुरू किया है, पूरी दुनिया को उस पर ध्यान देने और उसका मुकाबला करने की जरूरत है।26 वर्षीय मलाला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ अलख जगाने वाले प्रख्यात नेता नेल्सन मंडेला की पुण्यतिथि पर जोहानिसबर्ग में 'वार्षिक नेल्सन मंडेला' व्याख्यान देने के बाद ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से बात की। मलाला ने अपना भाषण अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों को समर्पित किया।
मलाला ने कहा कि 'मेरे सिर पर जब गोली लगी तो उसके बाद पूरी दुनिया मेरे साथ खड़ी हो गई। अफगानिस्तान में लड़कियों के साथ दुनिया कब खड़ी होगी? मलाला ने आगे कहा कि जब से तालिबान सरकार अफगानिस्तान में काबिज हुई, तब से अफगानिस्तान ने केवल बुरे दिन ही देखे हैं। कम से कम ढाई वर्ष हो गए हैं और अधिकतर लड़कियों ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है।’ यूसुफजई ने संयुक्त राष्ट्र से ‘अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति को लैंगिक भेदभाव मानने’ की अपील की और उन खबरों का जिक्र किया, जिनमें कहा गया है कि महिलाओं को हिरासत में लिया जा रहा है, जेलों में डाला जा रहा है, पीटा जा रहा है जबरदस्ती शादी कराई जा रही है।
अफगानिस्तान में बुरे दौर को समाप्त करने की लगाई गुहार
मलाला ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान में ‘बुरे दौर’ को खत्म करने के लिए सामूहिक और तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया। मलाला को 2014 में 17 साल की उम्र में अपने गृह देश पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के वास्ते आवाज उठाने के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र की शख्स हैं। लड़कियों की शिक्षा के वास्ते आवाज उठाने के लिए आतंकवादियों ने स्कूल बस में घुस कर मलाला के सिर पर गोली मारी थी।