नई दिल्लीः क्या एक बार मर जाने के बाद दोबारा इंसान को जीवित किया जा सकता है, क्या कई वर्ष पहले मर चुके लोग आने वाले समय में दोबारा जिंदा हो जाएंगे?... बिलकुल असंभव सा सवाल है। मगर दुनिया के तमाम लोगों को यह उम्मीद है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक मरे हुए लोगों को जिंदा करने की तकनीकि खोज लेंगे और वर्षों पहले मर चुके लोगों को दोबारा जीवित करना संभव हो जाएगा। आपको यह सुनकर अजीबोगरीब लग रहा होगा, मगर दुनिया के तमाम अमीर खुद को दोबारा जीवित होने की उम्मीद में जीते जी अपने शरीर का "क्रॉयोप्रिजर्वेशन" करा रहे हैं। यानि विशेष तकनीकि के जरिये वह खुद को सैकड़ों वर्षों के लिए फ्रीज करवा रहे हैं। ताकि मौत हो जाने के पचासों वर्ष बाद भी उनका शरीर जैसा का तैसा बना रहे।
अमीर ऐसा इसलिए करवा रहे हैं कि अगर आने वाले वर्षों में यदि वैज्ञानिक यह तकनीकि खोच लिए तो उन्हें दोबारा जीवित कर लिया जाएगा। तब उनका शरीर ज्यों का त्यों बना रहेगा। इतना ही नहीं अमीर लोग दोबारा जीवित होने की उम्मीद में अपनी संपत्तियों को भी कई गुना बढ़ाते जा रहे हैं और ट्रस्ट बना कर भी इसमें इजाफा कर रहे हैं। ताकि मौत के बाद यदि दोबारा उनकी जिंदगी शुरू हो और वह फिर से जीवित हो जाएं तो उन्हें गरीबी का सामना नहीं करना पड़े, बल्कि अभी की तरह अमीरी में आगे भी उनकी लाइफ गुजरे।
क्या है अमीरों की ख्वाहिश
अमीर लोग चाहते हैं कि वह हमेशा अमीर बने रहें। यानि मरने के बाद भी। इसके लिए वह खुद को फ्रीज करा रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें गुप्त रूप से संरक्षित किया जाए। वे अपनी संपत्ति को तब तक बढ़ाने के लिए ट्रस्ट बनाते हैं जब तक कि उन्हें पुनर्जीवित न किया जा सके। भले ही यह सैकड़ों साल बाद हो। क्योंकि कोई भी मरे हुए गरीबों के पास वापस नहीं आना चाहता। सौभाग्य से अमीरों के लिए धन को अमर बनाना मौत को उलटने की तुलना में अधिक हल करने योग्य है। तमाम एस्टेट वकील ऐसे ट्रस्ट बना रहे हैं, जिनका उद्देश्य धन को तब तक बढ़ाना है जब तक कि क्रायोनिक रूप से संरक्षित किए गए लोगों को पुनर्जीवित नहीं किया जा सके, भले ही यह सैकड़ों साल बाद हो।
उभरता हुआ बाजार बना पुनरुद्धार ट्रस्ट
ये पुनरुद्धार ट्रस्ट धारणाओं के टॉवर पर निर्मित कानून का एक उभरता हुआ क्षेत्र है। फिर भी सच्चे विश्वासियों को आकर्षित करने और उद्योग सम्मेलनों में चर्चा के योग्य बनाने के लिए उन्हें काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। महज क्रायोप्रिजर्वेशन का विचार अब सनकीपन में बदल गया है।'' स्कॉट्सडेल, एरिज़ोना स्थित अल्कोर लाइफ एक्सटेंशन फाउंडेशन के साथ काम करने वाले और 1,400 सदस्यों व लगभग 230 लोगों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी क्रायोनिक्स सुविधा वाले मार्क हाउस ने कहा कि "चूंकि अब यह विलक्षण है, तो इसमें दिलचस्पी लेना एक तरह से प्रचलन में है।" एक अनुमान के अनुसार, लगभग 5,500 लोग क्रायोजेनिक संरक्षण की योजना बना रहे हैं। हाउस का अनुमान है कि उन्होंने ऐसे लगभग 100 लोगों के साथ काम किया है।
क्रॉयोप्रिजर्वेशन क्या है
यह एक ऐसी तकनीकि है, जिसमें बॉडी को बिलकुल जीवित अवस्था में रखा जाता है। ताकि लोगों को लंबे समय तक मरने से बचाया जा सके। दरअसल यह मर चुके इंसानों को दोबारा जिंदा करने की ऐसी तकनीकि है, जो इंसानों की शारीरिक कोशिकाओं और ऊतकों को निष्क्रिय करके इतने कम तापमान पर रखता है कि उन्हें कई सालों तक संरक्षित रखा जा सकता है। जरूरत पड़ने पर उन्हें कई वर्षों बाद दोबारा जीवित भी किया जा सकता है। इस तकनीकि का इस्तेमाल खासकर ऐसे लोग ज्यादा कर रहे हैं जो फिलहाल किसी ऐसी बीमारी से मर रहे हैं या मरने वाले हैं, जो दुनिया में अभी लाइलाज है, लेकिन बाद में उसका इलाज खोज लिए जाने की संभावना है। लोगों को तब उम्मीद है कि इलाज खोज लिए जाने पर क्रायोप्रिजर्वेशन से उन्हें दोबारा जिंदा किया जा सकेगा। (इनपुट-एजेंसीज)