Africa : दुनिया में 7 महाद्वीप हैं। इनमें से एक महाद्वीप ऐसा है जो ज्यादातर समुद्र से ही करीब करीब तीन से अधिक ओर से घिरा हुआ है। यह है अश्वेत लोगों का द्वीप अफ्रीका। इस महाद्वीप में 146 करोड़ की आबादी रहती है। इस महाद्वीप के ज्यादातर लोग बेहद गरीब हैं। हालांकि इस महाद्वीप को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है वो ये कि क्या यह महाद्वीपतरक रहा है? यदि ऐसा है तो क्या कारण है? साल 2018 में केन्या में एक दरार की तस्वीर सामने आई थी वो क्या थी? जानिए टेक्टोनिक प्लेट, भूकंप और दूसरे कारक अफ्रीका भौगोलिक स्थिति को किस तरह नए सिरे से बयां कर रहे हैं।
दुनिया के 7 महाद्वीपों एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में से एक अफ्रीका क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। इसमें 50 से अधिक देश हैं और दुनिया की 16 फीसदी आबादी इस महाद्वीप में निवास करती है। यह महाद्वीप ज्यादातर भयानक गरीबी और हिंसक संघर्षों के लिए जाना जाता है। लेकिन इस बार अफ्रीका की बात दूसरी वजह से हो रही है। कहा जा रहा है कि अफ्रीका पर दो टुकड़ों में बंटने का खतरा मंडरा रहा है।
केन्या में आई दरार के बाद तेज हुई चर्चा
बहस की शुरुआत तब से और ज्यादा तेज हो गई जब 2018 में केन्या में एक बड़ी दरार के बारे में पता चला। साल 2018 के मार्च का महीना था, जब दुनिया ने एक अजीबोगरीब तस्वीर देखी। मालूम हुआ कि केन्या के दक्षिणी-पश्चिमी इलाके में एक एक दरार आकार ले रही है जो समय के साथ बढ़ती चली जा रही है।
क्यों दरक रहा अफ्रीका?
ये दरार दरअसल लगभग 25 मिलियन यानी ढाई करोड़ साल पहले बननी शुरू हुई थी। उत्तर में लाल सागर से लेकर अफ़्रीकी महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व में मोजाम्बिक तक का इलाका इसकी चपेट में है। इस पूरे इलाके में भूकंप और ज्वालामुखी से जुड़ी गतिविधियां लगातार होती रहती हैं जो महाद्वीप के टूट की आशंका को और पुष्ट करती हैं। एक और बात है, पहले ये समझा जाता था कि अफ्रीका वास्तव में एक ही टेक्टोनिक प्लेट पर बसा हुआ है, लेकिन समय के साथ इस जानकारी को बल मिला है कि अफ्रीकी प्लेट दो नई प्लेटों में टूट रहा है। ये प्लेट हैं न्युबियन और सोमाली।
पूर्व की ओर खिंची चली जा रही है एक प्लेट
कई स्टडी में ये बात भी निकली है कि सोमाली टेक्टोनिक प्लेट, न्युबियन टेक्टोनिक प्लेट से पूरब की ओर खिंची चली जा रही है और इस तरह एक दरार की वजह बन रहा है. साथ ही, पृथ्वी के मेंटल के भीतर गर्मी का गुबार केन्या और इथियोपिया के नीचे लिथोस्फीयर बना रहे हैं। इस वजह से ज्वालामुखी विस्फोट की स्थिति बनती है जो बाढ़ के पानी की तरह उभरती हुई दरारों से लावा को बाहर निकालता है और इस तरह दरार की स्थिति और बढ़ती चली जाती है।