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जब आप सोते हैं तो जीवंत हो उठती है कीट-पतंगों की दुनिया, समझिए कैसा है इनका संसार

कीट-पतंगे धरती पर पारिस्थितिकी तंत्र का बेहद अहम हिस्सा हैं और इनके अस्तित्व पर संकट आया तो इंसानों पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ये जीव जीव पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Jan 31, 2025 21:25 IST, Updated : Jan 31, 2025 21:25 IST
कीट-पतंगे
Image Source : FILE AP कीट-पतंगे

सिडनी: ऑस्ट्रेलिया के जंगलों, खेतों और बगीचों में जैसी ही सूरज ढलता है वैसे ही रात के कीड़ों की एक दबी-छिपी दुनिया जीवंत हो उठती है। ज्यादातर पारिस्थितिकी तंत्रों में विशेषकर दुनिया के गर्म हिस्सों में रात के समय कीड़ों की गतिविधियां चरम पर होती हैं। ये रात्रिचर जीव पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और परागण, अपशिष्ट अपघटन और कीट नियंत्रण जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण कीड़ों के बारे में बताया गया हैं, जो अंधेरा होने के बाद बाहर आते हैं। आइए जानते हैं ये कीड़े क्यों महत्वपूर्ण हैं। 

पतंगे पारिस्थितिकी तंत्र में निभाते हैं अहम भूमिका 

एक अनुमान के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में पतंगों की करीब 22,000 प्रजातियां पाई जाती हैं और इनमें से अधिकांश (प्रजातियां) रात के समय अपनी गतिविधियां करती हैं हालांकि कुछ पतंगों की प्रजातियां दिन में और कुछ सुबह व शाम को सक्रिय होती हैं। कई प्रजातियां अपने लंबे, 'स्ट्रॉ' जैसे मुंह के अंगों का उपयोग कर फूलों के रस से भोजन प्राप्त करती हैं और उड़ने से पहले फूलों के बीच पराग डालने का काम करती हैं। कुछ पतंगे कई तरह के पौधों पर भोजन करते हैं, वहीं अन्य पतंगों का कुछ विशिष्ट फूलों के साथ अत्यधिक विशिष्ट संबंध होता है। 

पतंगों के बारे में यह भी जानें

पतंगों के लार्वा, ‘कैटरपिलर’ भी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के तौर पर ‘मैली’ नाम के पतंगों (ओकोफोरिडे) का लार्वा पत्ती के कूड़े में सूखी पत्तियों को खाता है और इसलिए वह कठोर, सूखे पौधों के अपघटन के लिए आवश्यक हो जाता है। अगर ये पतंगे अपनी कड़ी मेहनत से इन जैविक पदार्थों को नष्ट नहीं करते हैं तो इन पत्तियों का ढेर मनुष्यों के लिए एक समस्या के रूप में सामने आ सकता है। पतंगे और उनके लार्वा मनुष्यों सहित कई जानवरों के लिए वसा और प्रोटीन युक्त भोजन स्रोत प्रदान करते हैं। 

कीट-पतंगे

Image Source : FILE
कीट-पतंगे

रात में व्यस्त जुगनू

गर्मी के मौसम में रात के समय अंधेरे में नाचते जुगनुओं की चमकती रोशनी को देखना एक जादुई अनुभव है। जुगनू वास्तव में लैम्पाइरिडे परिवार के भौरे हैं और ऑस्ट्रेलिया में इनकी 25 प्रजातियां पाई जाती हैं। जुगनू की प्रत्येक प्रजाति संभावित साथियों के साथ संवाद करने के लिए अपनी स्वयं की विशिष्ट रोशनी का उपयोग करती है। जब एक ही प्रजाति के बहुत से जुगनू इकट्ठा होते हैं, तो वो अपने प्रकाश स्पंदनों को मिला सकते हैं, जिससे एक लुभावना दृश्य बनता है। जुगनू की ये विशिष्ट रोशनी ‘ल्यूसिफेरिन’ नाम के अणु और ‘ल्यूसिफेरेज’ नाम के एंजाइम से जुड़ी एक जैव रासायनिक प्रतिक्रिया के जरिये उत्पन्न होती है। जब जुगनू ऑक्सीजन की उपस्थिति में परस्पर क्रिया करते हैं, तो रोशनी उत्सर्जित होती है। 

लेसविंग्स और मेंटिसफ्लाइ के बारे में जानें

लेसविंग्स और मेंटिसफ्लाइ ‘लेसविंग्स’, कीटों के एक प्राचीन समूह (न्यूरोप्टेरा) से ताल्लुक रखते हैं, जिनका नाम उनके पंखों पर नसों के नाजुक जाल के कारण रखा गया है। अधिकांश वयस्क ‘लेसविंग्स’ रात में शिकार करते हैं और अपने शिकार से पोषक तत्वों को निकालने के लिए अपने खोखले, कैंची के आकार के मुंह का उपयोग करके छोटे-छोटे कीटों को खाते हैं। कई ‘लेसविंग्स’ प्रजातियां प्रभावी कीट नियंत्रक हैं और इनका उपयोग कृषि में ‘एफिड्स’ और ‘मीलीबग्स’ जैसे कीटों के प्रबंधन के लिए किया जाता है। ‘मैन्टिसफ्लाई’ नाम से मशहूर ‘मैन्टिड लेसविंग्स’ मैन्टिस और मक्खी के बीच एक अजीब संकर जैसा दिखता है लेकिन वास्तव में यह ‘लेसविंग्स’ के समान ही है। ‘मैन्टिसफ्लाई’ के लार्वा का बहुत कम अध्ययन किया गया है लेकिन अधिकांश प्रजातियों को कीटों का शिकारी माना जाता है हालांकि कुछ मकड़ी के अंडों को खाते हैं। ‘मैन्टिसफ्लाई’ अन्य कीटों को खाकर कीटों की आबादी को नियंत्रित करने में भूमिका निभाते हैं। 

रात के समय कीटों की सुरक्षा है जरूरी

रात में कृत्रिम रोशनी, रात की पाली में काम करने वाले कीटों के लिए गंभीर व्यवधान पैदा कर रही है। कीट अक्सर भ्रमित हो जाते हैं और चमकदार रोशनी के इर्द-गिर्द अंतहीन घेरे में उड़ते रहते हैं तथा अपनी ऊर्जा खर्च करते रहते हैं, जिस कारण वह मर जाते हैं। भ्रम के कारण होने वाली ये थकावट उनकी मृत्यु का कारण बन सकती है। रात में कृत्रिम रोशनी कीटों के प्रजनन को भी बाधित कर सकती है। उल्लू और चमगादड़ आदि कृत्रिम रोशनी के इर्द-गिर्द शिकार करते हैं, क्योंकि इस प्रकार की रोशनी में उनका शिकार अधिक केंद्रित और कमजोर हो जाता है। 

कीट-पतंगे

Image Source : FILE
कीट-पतंगे

हम कैसे मदद कर सकते हैं

रात में अनावश्यक बाहरी लाइटें बंद करें, खासकर गर्मियों के दौरान जब कई कीट प्रजनन कर रहे होते हैं। प्रकाश प्रदूषण को कम करने के लिए ‘मोशन एक्टिवेटेड’ रोशनी का उपयोग करना और बगीचों में कीटनाशकों के उपयोग को कम या फिर समाप्त करना। हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए रात भर कड़ी मेहनत करने वाले कीटों की रक्षा करने में छोटे-छोटे बदलाव बहुत बड़ा अंतर ला सकते हैं। (द कन्वरसेशन)

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