मेलबर्नः अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में रहने के दौरान क्या खाकर जीवित रहते हैं, क्या धरती पर खाई जाने वाली वस्तुओं का स्वाद अंतरिक्ष में जाकर बदल जाता है? ये ऐसे सवाल हैं, जो दिलचस्प और रोचक होने के साथ-साथ ज्ञान के लिहाज से भी बहुत जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी अक्सर कहते हैं कि अंतरिक्ष में खाने का मजा नहीं रहता। पृथ्वी पर जो भोजन शानदार लगता है वह अंतरिक्ष की कक्षा में नीरस और उबाऊ हो सकता है। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए दरअसल, सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किए गए आहार के बावजूद, वह अक्सर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं कर पाते हैं। फिर वह कैसे रहते हैं?
द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने के लिए पृथ्वी पर कुछ प्रयोग किए, आभासी वास्तविकता (वीआर) और एक सिम्युलेटेड अंतरिक्ष यान वातावरण का उपयोग करके यह अध्ययन किया गया कि अंतरिक्ष यात्रा किसी व्यक्ति की गंध और भोजन के अनुभव को कैसे प्रभावित कर सकती है। पाया कि अंतरिक्ष जैसे वातावरण में कुछ गंध अधिक तीव्र लगती हैं - और शून्य गुरुत्वाकर्षण शरीर को कैसे प्रभावित करता है, इसके बारे में पहले के सिद्धांत पूरी कहानी नहीं बता सकते। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित परिणाम भविष्य के अंतरिक्ष मेनू को डिजाइन करने में मदद कर सकते हैं। भोजन करना एक जटिल अनुभव है भोजन करना एक बहु-संवेदी अनुभव है जिसमें दृष्टि, गंध, स्वाद, श्रवण और स्पर्श शामिल है।
अंतरिक्ष में अलग होता है भोजन का अनुभव
भोजन के स्वाद का आनंद लेने के लिए - मान लीजिए, सेब काटते समय - हमें संवेदनाओं के संयोजन की आवश्यकता होती है, जिसमें स्वाद (मीठा, खट्टा), गंध (सेब की सुगंध का जटिल संयोजन), बनावट (क्रंच), रंग (लाल, हरा, आदि) और स्पर्श (दृढ़ता) शामिल हैं। यदि इनमें से कोई भी इंद्रिय सुस्त है, तो भोजन का हमारा आनंद पहले जैसा नहीं रहेगा। अंतरिक्ष में भोजन का अनुभव पृथ्वी पर हमारे अनुभव से बहुत अलग है। अंतरिक्ष यात्रियों को अलग-अलग स्वाद का अनुभव क्यों होता है, इसकी एक संभावित व्याख्या में गुरुत्वाकर्षण की कमी शामिल है। गुरुत्वाकर्षण के बिना, शारीरिक तरल पदार्थ पैरों की ओर नहीं खींचे जाते बल्कि सिर की ओर स्थानांतरित हो जाते हैं, जिससे बंद नाक जैसी अनुभूति होती है। यदि आपको कभी सर्दी हुई है, तो आप जानते हैं कि गंध की अनुभूति के बिना भोजन का स्वाद लेना और उसका आनंद लेना कितना मुश्किल होता है। लेकिन क्या इसके और भी कारण हो सकते हैं?
क्या खाकर जीवित रहते हैं एस्ट्रोनॉट्स
प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के लिए रोजाना 1.7 किलोग्राम का भोजन भेजा जाता है। इसमें 450 ग्राम वजन कंटेनर का होता है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने की वजह से उनके लिए जो भी भोजन बनाया जाता है, उसे जीरो ग्रैविटी को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। एक कंटेनर को 2 दिन के अंदर खाकर खत्म करना होता है। क्योंकि इसके बाद वह खाने के लायक नहीं रह जाता। खाने की पैकिंग रेडिएशन रोधी होती है। ताकि वह अंतरिक्ष में जाने के बाद बैक्टीरिया या फंगस की चपेट में नहीं आए। अंतरिक्ष यात्रियों के खाने में ज्यादातर ड्राई फ्रूट्स, एप्रीकोट का बना खाना होता है। यह काफी सूखा और नमी रहित बनाया जाता है। खाने में फल जैसा लगता है। इसमें रेडी टू ईट आइटम होते हैं। वहीं समस्त पेय पदार्थ पाउडर के रूप में होते हैं, जिन्हें पीने के लिए गर्म पानी मिलाना होता है। अंतरिक्ष यात्रियों को बहुत कम मात्रा में भोजन करना होता है। (भाषा)