Highlights
- ताइवान सहित कई देशों को नहीं मिली मान्यता
- ताइवान को चीन का हिस्सा मानते हैं अधिकतर देश
- सोमालीलैंड सहित कई देश दुनिया से मांग रहे मान्यता
Unrecognised Countries: चीन और ताइवान की लड़ाई वैसे तो किसी से छिपी नहीं है, लेकिन जब से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया है, तब से इस मामले की चर्चा तेज हो गई है। दरअसल 1949 के गृह युद्ध में मुख्य चीनी भूमि से अलग होने वाला ताइवान खुद को एक स्वतंत्र, संप्रभु देश और असली चीन बताता है। जबकि दूसरी तरफ चीन का कहना है कि ताइवान उसी का एक प्रांत है और जरूरत पड़ने पर वह बवपूर्वक इसे खुद में शामिल कर लेगा। इस बीच दुनिया पर अगर एक नजर डालें, तो हम इस नतीजे पर पहुंचेंगे कि ताइवान को केवल 15 देशों से मान्यता मिली है। जबकि चीन को पूरी दुनिया में न केवल मान्यता मिली हुई है, बल्कि उसकी वन-चाइना पॉलिसी को भी ज्यादातर देश मानते हैं। इनमें अमेरिका और भारत तक शामिल हैं।
वन-चाइना पॉलिसी का मतलब है कि पूरी दुनिया में केवल एक चीन है और ताइवान उसी एक प्रांत है। यही वजह है कि भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों के ताइवान के साथ अनौपचारिक रिश्ते हैं। ताइवान का कहना है कि वह अपनी संप्रभुता के लिए चीन का मुकाबल करने को तैयार है। ऐसे में ताइवान की कोशिश पूरी दुनिया से खुद को मान्यता दिलाने की है। हालांकि ऐसा होगा या नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन दुनिया में ताइवान ही अकेला ऐसा देश नहीं है, जो अपने हक के लिए लड़ रहा है। बल्कि दुनिया में और भी ऐसे देश हैं, जिन्हें या तो बिल्कुल मान्यता नहीं मिली है, या फिर कुछ देशों से ही मान्यता मिली हुई है। तो चलिए ऐसे देशों के बारे में जान लेते हैं-
उत्तरी सायप्रस
यह सायप्रस के उत्तर में स्थित एक स्वतंत्र देश है, जिसने 1983 में सायप्रस से अपनी आजादी की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र ने इसे सायप्रस के हिस्से के तौर पर ही मान्यता दी है, जबकि दुनिया में केवल तुर्किये ऐसा देश है, जिसने उत्तरी सायप्रस को एक देश के तौर पर मान्यता दी है। सायप्रस द्वीप 1878 से ब्रिटेन के नियंत्रण में था। इस द्वीप में अधिकांश ईसाई मुख्य रूप से ग्रीक सायप्रस और अल्पसंख्यक मुस्लिम मुख्य रूप से तुर्क सायप्रस थे। ब्रिटेन के यहां से जाने के बाद इन दोनों समुदायों के बीच तनाव मौजूद रहा, क्योंकि ग्रीक सायप्रस ग्रीस में शामिल होना चाहते थे जबकि तुर्क द्वीप का विभाजन चाहते थे।
ग्रीस के साथ सायप्रस का विलय करने की कोशिश में ग्रीक सायप्रस राष्ट्रवादियों और ग्रीक सैन्य जुंटा के कुछ हिस्सों ने 15 जुलाई, 1974 को तख्तापलट की कोशिश की। इसके बाद 20 जुलाई को सायप्रस पर तुर्की ने आक्रमण किया। जिसके चलते उत्तरी सायप्रस के वर्तमान क्षेत्र पर उसने विजय प्राप्त की और लगभग 150,000 ग्रीक और तुर्क सायप्रस का विस्थापन हुआ। 1983 में, एकतरफा घोषणा में उत्तर में एक अलग तुर्क सायप्रस देश का ऐलान किया गया। अंतरराष्ट्रीय दुनिया द्वीप के उत्तरी हिस्से को सायप्रस गणराज्य के रूप में मानती है, जिस पर तुर्की के बलों का कब्जा है। उत्तरी सायप्रस रक्षा, वित्त, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए तुर्की पर निर्भर है। उत्तरी सायप्रस को ओआईसी और ईसीओ द्वारा पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया है।
ताइवान
ये कहानी दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद की है। तब चीन में दो पार्टियां थीं, एक तरफ सत्ताधारी नेशनलिस्ट पार्टी और दूसरी तरफ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी। बात 1949 की है, जब माओ के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी जीती तो उसने राजधानी बीजिंग पर कब्जा कर लिया जबकि दूसरी पार्टी का नेतृत्व करने वाले कुओमिंतांग मुख्य भूमि छोड़ ताइवान चले गए। ये हिस्सा खुद को असली चीन बताता है और यही पार्टी अधिकतर यहां सत्ता में रहती है। ताइवान का औपचारिक नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है, जो चीन के उत्तरपूर्व में स्थित है। इसे करीब 15 देशों से मान्यता मिली हुई है। हालांकि ताइवान के अमेरिका समेत करीब 50 देशों के साथ अनौपचारिक रिश्ते हैं।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है, जबकि ताइवान खुद को एक देश के तौर पर मान्यता दिलाना चाहता है। साल 1912 में स्थापित और 1949 से मुख्य रूप से ताइवान में स्थित चीन गणराज्य ने 1950 के दशक के आखिर में और 1960 के दशक की शुरुआत तक चीन की एकमात्र सरकार के रूप में बहुमत में मान्यता प्राप्त की थी। तब संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देशों ने चीन के जनवादी गणराज्य को मान्यता देना शुरू कर दिया था। आरओसी 1971 तक संयुक्त राष्ट्र में चीन का एकमात्र प्रतिनिधित्व करता था, फिर इसके बजाय पीआरसी को मान्यता प्रदान करने पर सहमति बनी। तब से इसे न तो संयुक्त राष्ट्र और न ही अधिकांश देशों ने मान्यता दी है।
कोसोवो
यह दक्षिणपूर्वी यूरोप में बसा एक छोटा सा देश है। कोसोवो ने 17 फरवरी, 2008 में सर्बिया से अपनी स्वतंत्रता की एकतरफा घोषणा की थी। जबकि सर्बिया कोसोवो और मेटोहिजा का स्वायत्त प्रांत के रूप में दावा करता है। 2020 तक संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 97, यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में से 22, नाटो के 30 सदस्य देशों में से 26 और इस्लामिक सहयोग संगठन के 57 सदस्य देशों में से 31 ने कोसोवो को मान्यता दी थी। यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का सदस्य है। इसे चीन, रूस, भारत सहित कई देशों ने मान्यता नहीं दी है और इसे संयुक्त राष्ट्र भी देश नहीं मानता है।
सहरावी अरब लोकतांत्रिक गणराज्य
पश्चिमी सहारा को सहरावी अरब लोकतांत्रिक गणराज्य यानी सहरावी अरब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (एसएडीआर) के तौर पर भी जाना जाता है। इसे पश्चिमी अफ्रीका में आंशिक रूप से मान्यता प्राप्त है। यह देश पश्चिमी सहारा के गैर-स्वशासी क्षेत्र पर अपना दावा करता है, लेकिन केवल इसके पूर्वी हिस्से को नियंत्रित करता है। 1884 से 1975 तक पश्चिमी सहारा को स्पेनिश सहारा, एक स्पेनिश उपनिवेश के रूप में जाना जाता था। स्पेन के यहां से जाने के दौरान मोरक्को ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया था।
इसके बाद पोलिसारियो फ्रंट ने 1976 में सहरावी अरब लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पश्चिमी सहारा की स्वतंत्रता की घोषणा की। एसएडीआर मुख्य रूप से निर्वासन में रहने वाली एक अल्जीरियाई सरकार है, जो पश्चिमी सहारा के पूरे क्षेत्र पर दावा करती है, लेकिन केवल इसके एक छोटे से हिस्से को नियंत्रित करती है, बाकी के क्षेत्र मोरक्को के अधीन हैं। 41 संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने एसएडीआर को मान्यता दी है। मोरक्को अपने संप्रभु क्षेत्र के हिस्से के रूप में एसएडीआर द्वारा नियंत्रित क्षेत्र सहित पश्चिमी सहारा पर दावा करता है।
अबखाजिया गणराज्य
यह काला सागर के पूर्वी तट पर स्थित दक्षिणी काकेशस में एक आंशिक रूप से मान्यता प्राप्त देश है। अधिकतर देश इस हिस्से को जॉर्जिया के तहत मानते हैं, जो इसे एक स्वायत्त गणराज्य के रूप में देखता है। अबखाजिया ने 1999 में अपनी आजादी की घोषणा की थी। इसे केवल रूस, वेनेजुएला, निकारागुआ, नाउरू और सीरिया ने देश के तौर पर मान्यता दी है। बावजूद इसके जॉर्जिया की अबकाजिया पर संप्रभुता नहीं है। जॉर्जियाई सरकार और संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देश अबकाजिया को कानूनी तौर पर जॉर्जिया का हिस्सा मानते हैं। इसके साथ ही जॉर्जिया ने एक आधिकारिक निर्वासन सरकार भी बनाई हुई है।
दक्षिण ओसेशिया
दक्षिण ओसेशिया काकेशस का एक छोटा सा देश है, जिसने 1991 में अपनी स्वतंत्रता का दावा किया था, जब सोवियत संघ का विघटन हुआ था। दक्षिण ओसेशिया अब रूस का हिस्सा है, जबकि जॉर्जिया आधिकारिक तौर पर इसे अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा बताता है। संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर देश जॉर्जिया के दावे का समर्थन करते हैं, जबकि रूस और यूएन के तीन सदस्य देश दक्षिण ओसेशिया की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं। महज 50 हजार से अधिक आबादी वाला दक्षिण ओसेशिया सीमित मान्यता हासिल करने वाला दुनिया का एक छोटा सा देश है।
कलाख गणराज्य
150,000 की आबादी वाला कलाख गणराज्य ईरान और पूर्व सोवियत देश अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच बसा एक विवादित क्षेत्र है। सोवियत काल से पहले आर्मेनिया और अजरबैजान इसपर अपना दावा करते थे, जिसके बाद यहां सैन्य संघर्ष हुआ। 1923 में सोवियत संघ के नियंत्रण में आने पर संघर्ष अस्थायी रूप से सुलझा लिया गया था और इसे अजरबैजान सोवियत समाजवादी गणराज्य के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में प्रशासित किया गया।
भले ही कलाख गणराज्य ने 1991 में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी और राजनीतिक और आर्थिक रूप से आर्मेनिया पर निर्भर है, लेकिन अजरबैजान इसपर दावा करता है और इसे मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा सीमित मान्यता प्राप्त वाले तीन अन्य पूर्व सोवियत क्षेत्र कलाख गणराज्य के स्वतंत्रता के दावे का समर्थन करते हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सदस्य देश ने आधिकारिक तौर पर कलाख गणराज्य को मान्यता नहीं दी है।
प्रिडनेस्ट्रोवियन मोलदावियन गणराज्य यानी ट्रांसनिस्त्रिया
प्रिडनेस्ट्रोवियन मोलदावियन गणराज्य को ट्रांसनिस्त्रिया के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र पर मोल्दोवा दावा करता है। इस क्षेत्र ने 1990 में अपनी स्वतंत्रता का ऐलान किया था, यानी सोवियत संघ के विघटन से ठीक पहले। आज यह अपनी मुद्रा, सरकार, डाक प्रणाली और पुलिस के साथ एक वास्तविक स्वतंत्र देश के रूप में कार्य करता है।
लगभग 5 लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र यूक्रेन और मोल्दोवा के बीच की जमीन पर लंबी और संकरी पट्टी है, जिसमें रूसी-बहुसंख्यक आबादी रहती है। रूसी सेना क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति बनाए रखती है, हालांकि उसने कभी भी आधिकारिक तौर पर ट्रांसनिस्ट्रिया को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसे दक्षिण ओसेशिया, अबकाजिया और कलाख गणराज्य सहित साथी पूर्व-सोवियत क्षेत्रों ने मान्यता दी हुई है।
सोमालीलैंड
सोमालीलैंड को भी ज्यादातर देशों से मान्यता नहीं मिली है। यह आधिकारिक रूप से 35 लाख से अधिक आबादी वाले पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालिया का स्वायत्त क्षेत्र है। सोमालीलैंड की सीमाएं विवादित कही जाती हैं, क्योंकि वह उन्हीं सीमाओं को मानता है, जो ब्रिटिश सोमालीलैंड नामक पूर्व उपनिवेश के समय मानी जाती थीं। सोमालीलैंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है, लेकिन इसे फिर भी स्वतंत्र क्षेत्र कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी अपनी सेना, विदेशी संबंध और संसदीय प्रणाली है।