Friday, November 22, 2024
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संयुक्त राष्ट्र को भाया पीएम मोदी का "शहीदों को सम्मान" देने का नायाब तरीका, UN में भी बनेगा स्मारक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के चलते अब देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में शहीदों को उच्च सम्मान प्राप्त होगा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में शहीदों को सम्मान देने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जो स्वीकार हो गया है। अब शहीदों के लिए यूएन में स्मारक दीवार बनेगी। भारतीय जवान भी यूएन मिशन में शहीद हुए हैं।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: June 15, 2023 17:59 IST
इंडिया गेट पर बना शहीद स्मारक- India TV Hindi
Image Source : FILE इंडिया गेट पर बना शहीद स्मारक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शहीदों को सम्मान दिए जाने के नायाब तरीके की संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) भी मुरीद हो गई है। पीएम मोदी ने इंडिया गेट पर अत्याधुनिक शहीद स्मारक बनवाया है। लिहाजा अब यूएनजीए ने शहीद हुए शांतिरक्षकों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक स्मारक दीवार स्थापित करने के लिए भारत द्वारा लाए गए मसौदा प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बुधवार को यूएनजीए में ‘संयुक्त राष्ट्र के शहीद शांति सैनिकों के लिए स्मारक दीवार’ नामक मसौदा प्रस्ताव पेश किया। विश्व निकाय के लगभग 190 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित इस प्रस्ताव को ऐसे समय में पारित किया गया है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले सप्ताह अमेरिका की अपनी पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं।

इस दौरान पीएम मोदी 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भी हिस्सा लेंगे। प्रस्ताव में “न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक उपयुक्त एवं महत्वपूर्ण स्थान पर, शहीद शांतिरक्षकों की याद में स्मारक दीवार स्थापित करने और उससे जुड़ी प्रक्रिया पर विचार करने की सदस्य देशों की पहल का स्वागत किया गया है, जिसमें सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के नाम दर्ज करना भी शामिल है।” प्रस्ताव पेश करते हुए कंबोज ने कहा कि स्मारक दीवार इस बात का प्रमाण होगी कि संयुक्त राष्ट्र अपने शांति अभियानों को कितना महत्व देता है। उन्होंने कहा कि यह स्मारक दीवार लोगों को न सिर्फ शहीदों के बलिदान की याद दिलाएगी, बल्कि “हमारे फैसलों के लिए चुकाई गई असली कीमत का लगातार स्मरण भी कराएगी।

संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियान में भारत का बड़ा रोल

भारत मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में तीसरा सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश है। अबेई, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, साइप्रस, कांगो गणराज्य, लेबनान, खाड़ी क्षेत्र और पश्चिमी सहारा में भारत के 6,000 से अधिक सैनिक और पुलिस कर्मी संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का हिस्सा हैं। शांति अभियानों के दौरान अब तक 177 भारतीय शांतिरक्षक सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। शहीद शांतिरक्षकों की यह संख्या किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक है। कंबोज ने कहा, “शांतिरक्षक पैदा नहीं होते। वे बलिदान की वेदी पर गढ़े जाते हैं। उनकी अटूट प्रतिबद्धता और निस्वार्थ कार्य एक ऐसे विश्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं, जहां युद्ध पर शांति की जीत होनी चाहिए।” यूएनजीए में भारत, बांग्लादेश, कनाडा, चीन, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, इंडोनेशिया, जॉर्डन, नेपाल, रवांडा और अमेरिका सहित 18 देशों ने यह प्रस्ताव पेश किया था।

भारत के प्रस्ताव पर 3 वर्ष में बनेगी स्मारक दीवार

 प्रधानमंत्री मोदी ने भारत द्वारा पेश प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए सभी सदस्य देशों का आभार जताया। उन्होंने ट्वीट किया, “मुझे खुशी है कि शहीद शांतिरक्षकों के लिए एक नयी स्मारक दीवार स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया है। प्रस्ताव को रिकॉर्ड 190 देशों ने सह-प्रायोजित किया। समर्थन के लिए सभी का आभारी हूं।” वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने वाले सभी सदस्य देशों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव, जिसे रिकॉर्ड 190 देशों ने सह-प्रायोजित किया, भारत के योगदान और मंशा में दुनिया के विश्वास का प्रमाण है। अब इसे 3 वर्ष के भीतर बनाया जाएगा।

भारतीयों ने भी यूएन में दी है शहादत

भारत ने 2015 में भी संयुक्त राष्ट्र में देश के स्थायी मिशन ने शांति अभियानों के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय शांतिरक्षकों के सम्मान में एक वर्चुअल स्मारक दीवार पेश करते हुए ऐसी भौतिक दीवार बनाने का भी प्रस्ताव दिया था। भारत ने कहा था कि वह इस तरह की परियोजना के लिए भौतिक और वैचारिक रूप से योगदान देने के लिए तैयार है। भारत की पहल ने आगे चलकर ऐसी स्मारक दीवार के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। नयी स्मारक दीवार पर सदस्य देशों के उन सभी शांतिरक्षकों के नाम अंकित होंगे, जिन्होंने 1948 से लेकर अब तक संयुक्त राष्ट्र के नीले झंडे के तहत दुनिया के विभिन्न संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में संचालित शांति अभियानों के दौरान विश्व निकाय के मूल्यों की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी।

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