Highlights
- आकार में काफी बड़ा था टाइटैनिक
- हादसे के 73 साल बाद सामने आईं तस्वीरें
- जहाज हादसे में 1500 लोग मारे गए थे
Titanic: रॉयल मेल शिप (आरएमएस) टाइटैनिक को डूबे एक सदी से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन इसे आज भी लोग भुला नहीं सके हैं। इस पर 1997 में एक फिल्म भी आई थी, जिसके दृश्य लोगों के जहन में अब भी ताजा हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आज टाइटैनिक की बात क्यों कर रहे हैं। इसके पीछे की वजह ये है कि आज के दिन ही टाइटैनिक हादसे की तस्वीरें सामने आई थीं। ये तस्वीरें जहाज डूबने के हादसे के 73 साल बाद दुनिया ने देखी थीं। यह तो हम आप सभी जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा वाष्प आधारित यात्री जहाज टाइटैनिक इंग्लैंड के साउथहैंप्टन से अपनी प्रथम यात्रा पर, 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ था और कभी अपनी मंजिल पर नहीं पहुंचा।
दुनिया का सबसे सुरक्षित और कभी न डूबने वाला बताया गया यह जहाज चार दिन की यात्रा के बाद 14 अप्रैल 1912 को एक हिमशिला से टकरा कर डूब गया था। समुद्र में डूबे इस जहाज की पहली तस्वीरें इसके डूबने के 73 साल बाद 4 सितंबर 1985 को सामने आई थीं। इतिहास की शांतिकाल की सबसे बड़ी समुद्री आपदाओं में से एक इस घटना में 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। ये जहाज न्यूयॉर्क सिटी की यात्रा पर निकला था। 15 अप्रैल को जहाज पूरी तरह पानी में डूब गया। यह इतिहास की समुद्री आपदाओं की सबसे बड़ी घटना कही जाती है। तो चलिए इस जहाज के बारे में जान लेते हैं।
तैरते हुए शहर की दी गई थी उपाधि
टाइटैनिक के आकार और खूबसूरती को देखते हुए इसे उस समय तैरते हुए शहर की उपाधि तक दे दी गई थी। जहाज की लंबाई देखकर लोग हैरान रह जाते थे। यह उस वक्त का सबसे बड़ा समुद्री जहाज था। इस पर बनी फिल्म आज भी दुनिया की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल है। उस दौरान समुद्री यात्राएं काफी ज्यादा बढ़ रही थीं। जिन्हें ध्यान में रखते हुए टाइटैनिक जहाज का निर्माण किया गया था। जहाज जब बनाया गया था, तब समुद्री यात्रा का सुनहरा युग चल रहा था। इसे दूसरे क्रूज लाइनरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए खासतौर से डिजाइन किया गया था। 20वीं सदी के उस दौर में प्रवासियों और अमीर यात्रियों की संख्या में इजाफा हो रहा था। इनका काम यूरोप से न्यूयॉर्क तक व्यापार करने का था।
हर तरह की सुविधाएं दी गई थीं
क्रूज लाइनरों में लोगों के खानपान का भी पूरा ध्यान रखा जाता था। तब टाइटैनिक के आगे चुनौती इन्हें टक्कर देने की थी। इसी वजह से कंपनी ने जहाज में हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाईं। ब्रिटेन की शिपिंग कंपनी व्हाइट स्टार लाइन को तीन 'ओलंपिक क्लास' के जहाज बनाने का काम दिया गया था। जिसके बाद टाइटैनिक के निर्माण का काम 31 मार्च, 1909 को शुरू हुआ। जहाज को तैयार करने का काम उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में मौजूद हारलैंड एंड वूल्फ शिपयार्ड कंपनी ने किया था। इसे तैयार करने में उस समय 7.5 मिलियन डॉलर का खर्च आया था। जो तब के 192 मिलियन डॉलर (करीब 14 अरब रुपये) था। टाइटैनिक जहाज में 16 वॉटर टाइप कंपार्टमेंट थे। जो इसमें पानी भरने के दौरान बंद हो सकते थे।
हजारों लोगों ने देखी थी पहली झलक
इसे बनाने के लिए दिन रात दो साल तक तीन हजार मजदूरों ने काम किया था। इसे लोगों के सामने 31 मई, 1911 को लाया गया। जिसे देखने के लिए करीब 10 हजार लोगों की भीड़ जमा हुई। टाइटैनिक ने अपनी यात्रा की शुरुआत 10 अप्रैल 1912 को शुरू की थी। इस पर 2200 यात्री सवार हुए। यह एक रॉयल मेल शिप भी था। इसी वजह से इस पर तीन हजार बैग मेल्स भी थे। जहाज दुनियाभर में चर्चा का कारण इसलिए नहीं था क्योंकि इसका आकार काफी बड़ा था। बल्कि इसलिए था क्योंकि इसमें शाही अंदाज को ध्यान में रखते हुए तमाम तरह की सुविधाएं दी गई थीं।
आखिर कैसे डूब गया था टाइटैनिक?
अब बात करते हैं, जहाज के डूबने की। दिन था 14 अप्रैल का और समय हो रहा था रात के 11 बजकर 40 मिनट। तभी जहाज की टक्कर बर्फ के टुकड़े से हो गई। हालांकि जहाज का अलार्म बजा था, लेकिन इंजन घुमाकर जहाज को रास्ते से हटाने में देर हो गई, जब तक ऐसा किया जाता, तब तक उसकी टक्कर हो गई थी। जिसके तुरंत बाद जहाज में तेजी से पानी भरने लगा। इसका आगे का हिस्सा धीरे-धीरे समुद्र में समा रहा था। हादसे की आशंका को देखते हुए जहाज में सवार लोगों ने चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया। उसमें अफरा तफरी मच गई।
बर्फ के टुकड़े से टक्कर होने के करीब तीन घंटे बाद यानी 15 अप्रैल की सुबह 2 बजकर 20 मिनट पर जहाज का आगे का हिस्सा पूरी तरह समुद्र में समा चुका था। जबकि इसका पीछे का हिस्सा ऊपर की तरफ उठ गया था। जिससे जहाज दो टुकड़ों में बंट गया। करीब दो घंटे के भीतर ही जहाज पूरी तरह समुद्र में समा गया था। ये हादसा इतना बड़ा था कि महज 700 लोगों की ही जान बचाई जा सकी। जबकि करीब 1500 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।