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Global Recession & India: वर्ष 2008 से भी बड़ी मंदी की चपेट में दुनिया, सिर्फ भारत बना उम्मीद; अर्थक्रांति के जनक ने दिया विश्व को ये गुरुमंत्र

Global Recession & India: ब्रिटेन से लेकर रूस और जर्मनी तक, चीन से जापान तक की खस्ताहाल होती अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी का संकेत दे रही है। पश्चिमी देशों को बूस्टर डोज देते-देते अमेरिका भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार में थकने लगा है। वैश्विक री-सेशन के इस दौर में फिर भारत अछूता कहां रह सकता था।

Reported By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Oct 21, 2022 18:13 IST, Updated : Oct 22, 2022 10:31 IST
Global Recession & India
Image Source : INDIA TV Global Recession & India

Highlights

  • अनिल बोकिल ने बताई वैश्विक मंदी की वजह और उससे उबरने की राह
  • ब्रिटेन से लेकर रूस, चीन और जर्मनी तक की अर्थव्यवस्था को लकवा
  • भारत में दुनिया को आर्थिक मंदी से उबारने की है ताकत

Global Recession & India: ब्रिटेन से लेकर रूस और जर्मनी तक, चीन से जापान तक की खस्ताहाल होती अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी का संकेत दे रही है। पश्चिमी देशों को बूस्टर डोज देते-देते अमेरिका भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार में थकने लगा है। वैश्विक री-सेशन के इस दौर में फिर भारत अछूता कहां रह सकता था। ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने 2023-24 के लिए भारत के आर्थिक विकास की दर को भी घटा दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया वर्ष 2008 के बाद किस भीषण मंदी की चपेट में पहुंच चुकी है। महंगाई की मार से बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भी तौबा करने लगे हैं। क्या ये वैश्विक मंदी इस बार पूरी दुनिया को तबाह कर देगी, क्या इस मंदी से निपटने का अब कोई रास्ता नहीं बचा है, क्या भारत पूरे विश्व को इस मंदी से उबार सकता है। पूरी दुनिया आखिर क्यों भारत की ओर ही उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। इस बारे में इंडिया टीवी से बातचीत की दुनिया के जाने-माने अर्थशास्त्री और भारत में अर्थक्रांति के जनक कहे जाने वाले अनिल बोकिल ने....

Reason Of Recession

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Reason Of Recession

पीएम मोदी को नोटबंदी की सलाह देने वाले अनिल बोकिल के अनुसार इस बड़ी वैश्विक मंदी की चपेट में दुनिया के आने की सबसे बड़ी वजह कंजंप्शन (उपभोग नहीं कर पाने) की प्राब्लम है। वर्ष 2019 से कोविड जब शुरू हुआ तो इसने धीरे-धीरे पूरी दुनिया के कंजंप्शन (उपभोक्ताओं) के साइकिल (चक्र) को लॉक कर दिया था। तब लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। इस दौरान पूरी दुनिया का उपभोग सिर्फ दो जगहों पर आकर सीमित हो गया था। एक खाने पर और दूसरा अस्पताल के खर्च पर। इसके अलावा कोई उपभोग नहीं रह गया। पूरा का पूरा ग्लोबल इकोनॉमी चक्र एक डेढ़ वर्ष तक के लिए ठप हो गया था। यहीं से वैश्विक मंदी का दौर शुरू हो गया। अब रही सही कसर रूस और यूक्रेन के युद्ध ने पूरी कर दी।

देखते ही देखते डगमगाने लगी वैश्विक अर्थव्यवस्था

वैश्विक मंदी की इस मार ने अब ब्रिटेन से लेकर जर्मनी तक, रूस से चीन समेत अन्य यूरोपीय देशों में त्राहिमाम मचा दिया है। श्रीलंका, पाकिस्तान, बंग्लादेश और भूटान, वर्मा, नेपाल जैसे देश तो कब के लुट चुके। इन देशों में तो अब खाने के लाले पड़ने लगे हैं। पहले कोरोना ने विश्व की सप्लाई चेन ठप की। इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया में ऊर्जा का संकट पैदा होने लगा। रूस ने गैस और तेल की सप्लाई बाधित करके पश्चिमी देशों को घुटने पर ला दिया। अब पश्चिमी देशों की हालत संभालने में  अमेरिका की इकोनॉमी को भी झटके आने लगे हैं। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस महंगाई की मार दो महीने भी नहीं झेल सकीं और 45 दिन में ही उन्होंने कुर्सी छोड़ दिया। अब हाल ऐसा है कि सभी डूब रहे हैं, ऐसे में किसी दूसरे को सहारा कौन दे। ऐसे वक्त में अब पूरी दुनिया की निगाह भारत पर आकर ही टिक गई है।

Global Recession & India

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दुनिया को इसलिए उबार सकता है भारत
अनिल बोकिल कहते हैं कि अमेरिका समेत दुनिया के सभी देश भारत से जो उम्मीद रख रहे हैं, वह सही है। इसकी कई बड़ी वजहें हैं। पहला यह कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। यहां की जनसंख्या बहुत अधिक है। साथ ही अब भी काफी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। इसलिए यहां के उपभोक्ताओं में भूख भी बड़ी है। इस भूख का मतलब सिर्फ खाने से नहीं है, बल्कि कपड़े, दवाइयां, टेक्नॉलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सभी क्षेत्रों में यह भूख है। भारत की यही भूख दुनिया को संजीवनी दे सकती है। यहां 140 करोड़ की जनसंख्या है। पूरी दुनिया अपने सभी उत्पादों को भारत में बेच सकती है। क्योंकि यह इस वक्त का सीधा सा फंडा है कि जो देश विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, वही पूरी दुनिया मंदी को से उबार सकता है। भारत के पास ही दुनिया के सर्वाधिक उपभोक्ता हैं। वहीं पश्चिमी देशों के पास पैसा तो है, लेकिन कंजंप्शन(उपभोग) करने वाले उपभोक्ता नहीं है। जबकि भारत के पास सबसे बड़ा कंजंप्शन है, लेकिन पैसा उतना नहीं है।  भारत को डिजिटल इंडिया और स्टार्टटप भी आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं। इससे भारत अन्य देशों से मजबूत स्थिति में है। सबसे बड़ी वजह यहां बड़ा कंजंप्शन होना है। इसलिए इस देश में मंदी भी नहीं आएगी।

क्यों आती है मंदी
अनिल बोकिल कहते हैं कि दुनिया में मंदी केवल वहीं आती है, जहां कंजंप्शन(उपभोग करने वाले उपभोक्ता) नहीं हो। भारत में बहुत कंजंप्शन हो सकता है। यहां खर्चा करने के लिए बहुत कुछ है। स्वास्थ्य, शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विशाल पूंजी भी खप सकती है। यहां पूरी दुनिया का पैसा खर्च किया जा सकता है। आज जापान भारत को जीरो फीसद दर पर बुलेट ट्रेन इसलिए दे रहा है कि उनके यहां खर्च करने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वह नो प्रॉफिट नो लॉस पर दे रहा है। वहां कोई जगह नहीं है इसके कंजंप्शन की। इसलिए उसे कहीं न कहीं अपने पैसे को खर्च करके खुद को इंगेज रखना है। अपने लोगों को वेतन देना है। यही हाल दूसरे देशों का भी है। यदि उनके उत्पादों के लिए खरीददार मिलते रहें तो उनकी अर्थव्यवस्था को संजीवनी भी मिलती रहेगी। इस लिहाज से देखों तो भारत तो पूरा खाली पड़ा है। यानि यहां किसी भी क्षेत्र में जो देश चाहे वह पैसा खर्च सकता है। भारत में हर तरह के उपभोक्ता हैं।

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एनर्जी एंड फूड क्राइसिस भी दुनिया को बना रहे कंगाल
रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद पूरी दुनिया में एनर्जी क्राइसिस यानि ऊर्जा का भारी संकट आ गया है। ऊर्जा सुरक्षा वैश्विक मंदी की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गई है। रूस और ईरान दुनिया के बड़े एनर्जी सप्लायर हैं। दोनों ने ही ऊर्जा सेवाओं को सीमित और बाधित कर दिया है। इसीलिए बड़े-बड़े देशों के आर्थिक विकास का पहिया पंक्चर होने लगा है। रूस दुनिया का तीन चौथाई बड़ा गैस उत्पादक है और विश्व का दूसरा बड़ा तेल निर्यातक। उसने अब इसके दाम भी बड़ा दिए हैं और कई पश्चिमी देशों को सप्लाई बंद कर दिया है। इससे पश्चिमी देशों में बड़ी मंदी दस्तक दे चुकी है। ईरान भी अमेरिकी प्रतिबंध की वजह से कई देशों को ऊर्जा सप्लाई नहीं दे पा रहा। इससे पूर्वी देशों में भी मंदी की मार तेज हो रही है। वहीं यूक्रेन के पास गेहूं है। कई देशों में वह युद्ध की वजह से रास्ते ब्लॉक होने से खाद्यान्न सप्लाई नहीं कर पा रहा है। इस युद्ध की वजह से दुनिया के कई अन्य खाद्यान्न सप्लायर के लिए भी सप्लाई चेन टूट गई है। इससे ऊर्जा के साथ खाद्य संकट भी बढ़ गया है। इससे दुनिया कंगाली को ओर बढ़ रही है।

ब्रिटेन में क्यों बढ़ रही महंगाई
कोरोना और रूस-यूक्रेन तो पूरे विश्व में मंदी के लिए जिम्मेदार हैं। मगर ब्रिटेन में मंदी की वजह कोरोना और यूक्रेन युद्ध के अलावा वहां कंजंप्शन कम होना भी है। यहां  जनसंख्या कम और माइग्रेशन अधिक है। ब्रिटेन से इंडस्ट्री दूसरे देशों में शिफ्ट हो रही है। यूरोप, चाइना, जापान, कोरिया और भारत ने उनकी इंडस्ट्री निकाल ली है। सॉफ्टवेयर की इंडस्ट्री भारत और ब्राजील जैसे देशों ने उठा ली। ऐसे में उनके पास अब सिर्फ फाइनेंसियल सर्विस रह गई है। उनकी जनसंख्या सिर्फ आठ करोड़ है। इसलिए वहां कंजंप्शन नहीं है। भारतीय या अन्य देशों के लोग जो वहां पैसा कमाते हैं, वह अपने देश को भेज देते हैं। जब उस देश का पैसा दूसरे देशों को जाएगा तो इससे भी अर्थव्यवस्था कमजोर होती है। इसलिए ब्रिटेन 40 वर्षों की बड़ी मंदी से गुजर रहा है। वहां की हालत खस्ता है।

Humanism

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वैश्विक मंदी से उबार सकता है मानवतावाद
अनिल बोकिल कहते हैं कि राष्ट्रवाद को पूरी दुनिया फोकस कर रही है। यह जरूरी है, लेकिन इसके बल पर दुनिया आर्थिक मंदी से नहीं उबर सकती। इसलिए चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, भारत, ब्राजील, जापान जैसे विश्व के सभी देशों को इससे आगे बढ़ना होगा। अब बात हो तो विश्व के सभी 800 करोड़ लोगों की हो। दुनिया को अब वार फेयर से वेल फेयर की ओर चलना होगा।  युद्ध से बुद्ध की ओर जाना होगा। मानवतावाद ही वैश्विक मंदी से उबरने का सॉल्यूशन (विकल्प) दे सकता है। राष्ट्रवाद अच्छा है, लेकिन यह किसी देश को मंदी से नहीं उबार सकता। ग्लोबल पॉपुलेशन की बात होने पर ही इकोनॉमी बैलेंस हो सकती है। इसके लिए सभी देशों को अपनी जिद छोड़नी होगी, सभी को युद्ध का रास्ता छोड़ना होगा। क्योंकि सभी देशों की इकोनॉमी अभी वॉर फेयर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ रही है और प्रभावित भी हो रही है। यूक्रेन वार नहीं होता तो एनर्जी क्राइसिस नहीं होता। यह भी वॉर से जुड़ा है। अब इसे मानवतावाद से कैसे जोड़ा जाए, इस बारे में दुनिया को सोचना होगा।

भारत दुनिया को दिखा रहा रास्ता
दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो मानवतावाद पर फोकस कर रहा है। पीएम मोदी पूरी दुनिया को मानवतावाद के रास्ते पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। सितंबर माह में उज्बेकिस्तान के शंघाई शिखर सहयोग संघठन के सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को साफ कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है। सभी को युद्ध के रास्ते छोड़ने होंगे, क्योंकि इससे दुनिया के किसी देश का भला नहीं हो सकता है। भारत दुनिया का सबसे लोकतांत्रिक और भरोसेमंद देश है। दुनिया के सभी प्रमुख देशों से उसके संबंध अच्छे हैं। देश के पास प्रभावी नेतृत्व होने के साथ मजबूत आर्थिक व्यवस्था, टेक्नॉलॉजी और सशक्त सेना बल व विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसलिए वह दुनिया की उम्मीद बना है।

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