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इस मुस्लिम देश में मिले 2700 साल पुराने मंदिर के पत्थर, जानें किस देवता की होती थी पूजा?

मंदिर के कुछ पत्थरों को आकृतियों और चित्रलिपि शिलालेखों से सजाया गया था। आइकनोग्राफी और स्क्रिप्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि वे पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआती संरचना का हिस्सा थे।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Mar 11, 2023 16:24 IST, Updated : Mar 11, 2023 23:29 IST
इस मुस्लिम देश में मिले 2700 साल पुराने मंदिर के पत्थर, जानें किस देवता की होती थी पूजा?
Image Source : TWITTER/WIECZOREK इस मुस्लिम देश में मिले 2700 साल पुराने मंदिर के पत्थर, जानें किस देवता की होती थी पूजा?

Khartoum News: कई मुस्लिम देशों में खुदाई के दौरान मंदिरों के साक्ष्य मिले हैं। इसी क्रम में मुस्लिम देश सूडान में एक 2 हजार 700 साला पुराने मंदिर के अवशेष मिले हैं। पुरात​त्विदों ने सूडान में जो मंदिर के अवशेष खोजे हैं वे 2700 वर्ष पुराने हैं। यह मंदिर तब का है, जब इस इलाके में कुश नाम का एक बहुत ही बड़ा राज्य अपने अस्तित्व में हुआ करता था। इस राज्य के अंतर्गत आज के समय के सूडान, मिस्र और मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्से शामिल थे। मंदिर के अवशेष ओल्ड डोंगोला के मध्यकालीन गढ़ में पाए गए हैं।  यह साइट आधुनिक सूडान में नील नदी के एक जलप्रपात के करीब स्थित है।

मंदिर के कुछ पत्थरों को आकृतियों और चित्रलिपि शिलालेखों से सजाया गया था। आइकनोग्राफी और स्क्रिप्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि वे पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआती संरचना का हिस्सा थे। यूनिवर्सिटी ऑफ वारसॉ में पोलिश सेंटर ऑफ मेडिटेरियन आर्कियोलॉजी के पुरातत्वविदों ने एक बयान में कहा कि यह खोज एक आश्चर्य की बात थी क्योंकि ओल्ड डोंगोला से अभी तक 2700 साल पुरानी कोई भी चीज नहीं मिली है।

जानिए किस देवता की होती थी पूजा?

मंदिर के कुछ अवशेषों के अंदर, पुरातत्वविदों को शिलालेखों के टुकड़े मिले हैं। इनमें से एक के अनुसार मंदिर कावा के अमुन-रा (Amun-Ra) का था। रिसर्च टीम के अनुसार अमुन-रा कुश और मिस्र में पूजे जाने वाले देवता थे और कावा सूडान में एक पुरातात्विक स्थल है जिसमें एक मंदिर है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि नए मिले अवशेष उसी मंदिर के हैं या किसी दूसरे के।

सूडान में बड़े पैमाने पर काम करने वाली जूलिया बुडका ने लाइव साइंस को एक ईमेल में बताया कि यह एक बहुत महत्वपूर्ण खोज है जो कई सवाल खड़े करती है। हालांकि जूलिया मंदिर के अवशेषों की खोज का हिस्सा नहीं हैं। लेकिन उनका मानना है कि मंदिर के सटीक समय का पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

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