Friday, November 15, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. अन्य देश
  4. Stepanovich Kobytev: ध्यान से देखिए ये तस्वीर... महज 4 साल में बूढ़ा हो गया था ये शख्स, दुनिया का पहला अजीबो-गरीब मामला, आखिर थी वजह?

Stepanovich Kobytev: ध्यान से देखिए ये तस्वीर... महज 4 साल में बूढ़ा हो गया था ये शख्स, दुनिया का पहला अजीबो-गरीब मामला, आखिर थी वजह?

Stepanovich Kobytev: ऊपर दिख रही दोनों तस्वीरें एक ही शख्स की हैं। एक में तो वह युवक जैसा दिखता है और दूसरे में अधेड़ उम्र का आदमी जिसके चेहरे पर झुर्रियां हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दोनों तस्वीरों में सिर्फ चार साल का अंतर है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: August 13, 2022 16:31 IST
 Stepanovich Kobytev- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Stepanovich Kobytev

Highlights

  • 22 जून 1941 की तारीख उनके जीवन का सबसे मनहूस दिन था
  • इस शिविर में युद्ध के करीब 90 हजार कैदी मारे गए
  • 1943 में कोबितेव कैद से भागने में सफल रहे

Stepanovich Kobytev: ऊपर दिख रही दोनों तस्वीरें एक ही शख्स की हैं। एक में तो वह युवक जैसा दिखता है और दूसरे में अधेड़ उम्र का आदमी जिसके चेहरे पर झुर्रियां हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन दोनों तस्वीरों में सिर्फ चार साल का अंतर है। यह तस्वीर आंद्रेई पॉज़डीव संग्रहालय में दिखाई गई है। तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा था, '(बाएं) जिस दिन 1941 में यूजीन स्टेपानोविच कोबीतेव मोर्चे पर गए थे। (दाएं) जब वे 1945 में वापस आए थे। ये दोनों तस्वीरें द्वितीय विश्व युद्ध के दर्द और पीड़ा को बयां करती हैं। यह दिखाता है कि चार साल की लड़ाई में इंसान के चेहरे का क्या हुआ। रेयर हिस्टोरिकल फोटोज की वेबसाइट के मुताबिक 1941 में यह युवक बतौर कलाकार अपना नया जीवन शुरू करने के लिए तैयार था लेकिन जर्मनी ने सोवियत संघ पर हमला कर दिया और उसे सेना में भर्ती होना पड़ा। जब चार साल बाद लड़ाई खत्म हुई तो उसका चेहरा डरावने तरीके से बदल चुका था। पतला और थका हुआ चेहरा, आंखों के नीचे काले घेरे और निराशा और निराशा से भरी आंखें चार साल की लड़ाई से इंसान पूरी तरह से बदल गया था। 

नाजी जर्मनी के हमले से टूट गए कोबीतेव के सपने

कोबितेव का जन्म 25 दिसंबर 1910 को रूस के अल्ताई गांव में हुआ था। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद उन्होंने क्रास्नोयार्स्क के गांवों में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्हें पेंटिंग का बहुत शौक था और उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी उच्च शिक्षा 1936 में की। कोबीतेव ने यूक्रेन के कीव में स्टेट आर्ट इंस्टीट्यूट में पढ़ाई शुरू किया। 1941 में उनकी पढ़ाई पूरी हुई और अब वे एक कलाकार बनने के लिए पूरी तरह तैयार थे लेकिन 22 जून 1941 की तारीख उनके जीवन का सबसे मनहूस दिन साबित हुई। नाजी जर्मनी ने सोवियत संघ पर हमला किया और इस युद्ध में जो पहली चीज टूट गई वह कोबीतेव के सपने थे।

कोबीतेव लाल सेना में शामिल हो गए 

एक कलाकार को एक सैनिक बनना पड़ा और लाल सेना में शामिल हो गया। सितंबर 1941 में कोबीतेव घायल हो गए और युद्ध बंदी बन गए। वह खोरोल से बाहर संचालित एक कुख्यात जर्मन एकाग्रता शिविर में बंद था। कहा जाता है कि इस शिविर में युद्ध के करीब 90 हजार कैदी और आम नागरिक मारे गए थे। 1943 में, कोबितेव कैद से भागने में सफल रहे और लाल सेना में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने यूक्रेन, मोल्दोवा, पोलैंड, जर्मनी में कई सैन्य अभियानों में भाग लिया। युद्ध समाप्त होने के बाद, उन्हें हीरो ऑफ़ द सोवियत यूनियन मेडल से सम्मानित किया गया।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Around the world News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement