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एक बच्चा पैदा करने से वायुमंडल में बढ़ रही 10 हजार टन कार्बन डाईआक्साइड, ये रिपोर्ट कर देगी हैरान

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि वायुमंडल में कार्बन डाईआक्साइड बढ़ने की एक नई वजह बच्चे पैदा करने के तौर पर सामने आई है। यानि एक बच्चा पैदा करने से वायुमंडल में करीब 10 हजार टन कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों के इस दावे ने सबको हैरान कर दिया है। ऐसे में अब बर्थ स्ट्राइक मूवमेंट की भी बात चलने लगी है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: August 17, 2023 19:14 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : AP प्रतीकात्मक फोटो

क्या आप सोच भी सकते हैं कि बच्चा पैदा करने से भी वायुमंडल में कार्बन डाईआक्साइड का स्तर बढ़ सकता है। शायद नहीं, मगर ये सच है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक बच्चा पैदा करने से वायुमंडल में 10 हजार टन कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा बढ़ सकती है। इसके बाद बर्थ स्ट्राइक मूवमेंट की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। यानि या तो 1 या दो बच्चे से ज्यादा पैदा नहीं करें या फिर बेहतर है कि किसी भी बच्चे को जन्म ही न दें। मगर संतान की पीढ़ी कैसे चलेगी फिर, यह चिंतनीय सवाल है। वर्ष 2009 में सांख्यिकीविद पॉल मुर्टो और जलवायु विज्ञानी माइकल श्लैक्स ने हिसाब लगाया था कि अमेरिका जैसे अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन वाले देश में सिर्फ एक बच्चा पैदा करने से भी वायुमंडल में 10,000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड का इजाफा होगा।

10 हजार टन कार्बन डाईआक्साइड का मतलब...यह किसी माता-पिता द्वारा अपने पूरे जीवनकाल में औसतन किए जाने वाले उत्सर्जन का पांच गुना है। वर्ष 2002 के एक प्रमुख तर्क के अनुसार, हमें संतानोत्पत्ति को अत्यधिक उपभोग के समरूप सोचना चाहिए। अत्यधिक उपभोग के समान ही संतानोत्पति एक ऐसी क्रिया है जिसमें आप जानबूझकर नैतिक सीमा से अधिक कार्बन उत्सर्जन करते हैं। कुछ नीतिशास्त्रियों ने तर्क दिया कि हमारा परिवार कितना बड़ा होना चाहिए इसे लेकर नैतिक सीमाएं हैं। आमतौर पर वे कहते हैं कि एक दंपति को दो से अधिक बच्चे पैदा नहीं करने चाहिए या संभव हो तो एक से अधिक बच्चा नहीं पैदा करना चाहिए। अन्य की दलील है कि मौजूदा परिस्थिति में बेहतर यही होगा कि दंपति कोई संतान ही पैदा न करे । इन विचारों को ‘बर्थ स्ट्राइक मूवमेंट’ और ‘यूके चैरिटी पॉपुलेशन मैटर्स’ जैसे कार्यकर्ता समूहों के प्रयासों से बल मिला है। लेकिन कई चिंताओं के कारण परिवार के आकार को लेकर नैतिक सीमा का प्रस्ताव कई लोगों को अरुचिकर लगा।

अधिक बच्चे पैदा करने वाले होंगे जलवायु परिवर्तन के दोषी

दोषारोपण की प्रवृत्ति दर्शनशास्त्री क्विल कुक्ला ने दोषारोपण की धारणा बनने के खतरे की चेतावनी दी है। कम बच्चे पैदा करने से इस तरह की धारणा को बल मिल सकता है कि कुछ समूह जिनके पास औसत से अधिक बच्चे हैं, वे जलवायु परिवर्तन के लिए दोषी माने जा सकते हैं। कुक्ला ने इस बात को लेकर भी चिंता व्यक्त की कि अगर हम कितने बच्चे होने चाहिए, इस विषय पर बात करना शुरू करें तो आखिरकार इसका बोझ भी महिलाओं के कंधे पर आ जाएगा। वास्तव में कौन जिम्मेदार है? हम आम तौर पर केवल यह सोचते हैं कि लोग जो करते हैं उसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होते हैं, न कि उनके वयस्क बच्चों सहित अन्य लोग जो करते हैं उसके लिए वे जिम्मेदार हैं। इस दृष्टिकोण से माता-पिता की अपने कम उम्र के बच्चों द्वारा उत्पन्न उत्सर्जन के लिए कुछ जिम्मेदारी हो सकती है।

एक माता-पिता करते हैं कितना कार्बन का उत्सर्जन

एक अनुमानित आकलन के अनुसार हर माता-पिता करीब 45 टन अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। जलवायु परिवर्तन की दिशा में कार्य की धीमी गति जलवायु परिवर्तन के संकेत हम देख रहे हैं, जैसे कि ग्लेशियर का पिघलना, महासागरों का गर्म होना और इस गर्मी में जलवायु परिवर्तन से रिकॉर्ड क्षति हुई है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए जलवायु विज्ञानी इस बात से सहमत हैं कि हमें निश्चित रूप से शून्य उत्सर्जन तक तुरंत पहुंचना चाहिए। शून्य उत्सर्जन का मार्ग संतानोत्पत्ति सीमित करने से कार्बन उत्सर्जन तुरंत कम नहीं होता है लेकिन प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को बेहद तेजी से घटाने की आवश्यकता है। दार्शनिक तर्क देते हैं कि हमें कम बच्चे पैदा करना चाहिए। लेकिन कम बच्चे पैदा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है या नहीं, इस बारे में दार्शनिक बहस जटिल है - और ये बहस अब भी जारी है। (द कन्वरसेशन)

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