Highlights
- यूक्रेन को मदद देगा सऊदी अरब
- मानवीय मदद देने का किया ऐलान
- रूस के करीब आया है सऊदी अरब
Saudi Arabia Ukraine: सऊदी अरब ने 15 अक्टूबर को ऐसा फैसला लिया है, जो रूस को नाराज कर सकता है। रूस और यूक्रेन जंग के बीच सऊदी अरब ने यूक्रेन को 400 मिलियन डॉलर की मदद देने का ऐलान किया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बात की है। शुक्रवार को फोन करके उन्होंने यूक्रेन को मानवीय संकट से बचाने के लिए मदद का ऐलान किया है। ये जानकारी सऊदी प्रेस एजेंसी ने दी है। इसके साथ ही जेलेंस्की ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है।
जेलेंस्की ने किया सऊदी का शुक्रिया
राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने अपने ट्वीट में सऊदी अरब से मिली वित्तीय मदद का जिक्र किया है लेकिन ये नहीं बताया कि इस देश से आखिर कितनी मदद मिली है। दोनों नेताओं के बीच युद्धबंदियों से लेकर यूक्रेन की जंग से जुड़े तमाम मुद्दों पर बात हुई है। सितंबर महीने में रूस और यूक्रेन के बीच युद्धबंदियों की अदला बदली हुई थी और इसमें सऊदी अरब ने अहम भूमिका निभाई थी। उस दौरान कई कैदियों को सऊदी अरब भी भेज दिया गया था। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के लिए मतदान करने को लेकर भी जेलेंस्की ने क्राउन प्रिंस को शुक्रिया कहा था।
अमेरिका को कर दिया नाराज
सऊदी अरब तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस का सदस्य है और हाल में ही इसने तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा की है। इस फैसले ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को काफी नाराज कर दिया है। जिसके बाद अमेरिका के कई वरिष्ठ सांसदों ने बाइडेन से मांग की कि सऊदी अरब के साथ रिश्तों को सुधारा जाना चाहिए। अमेरिका ने कहा कि तेल के दाम बढ़ने से रूस को प्रोत्साहन मिलेगा और रूस को अलग-थलग करने के दुनिया के प्रयास कमजोर होंगे।
जो बाइडेन ने दी चेतावनी
सऊदी अरब, रूस और ओपेक प्लस के अन्य सदस्यों ने रूस के तेल की बिक्री पर अमेरिका और यूरोप द्वारा लगाई जा रही रोक को नाकाम कर दिया है। बाइडेन ने कहा है कि सऊदी अरब और रूस के बीच हुई इस डील के गंभीर परिणाम होंगे। डील का ऐलान 5 अक्टूबर को हुआ था। जिसके बाद अमेरिका की तरफ से सऊदी अरब को धमकाया गया है कि वह आने वाले दिनों में उसे हथियार नहीं देगा।
कांग्रेस के साथ परामर्श की बात कही
इससे पहले बाइडेन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा था, 'हम सऊदी अरब के इस कदम पर प्रतिक्रिया करने जा रहे हैं, और इस संबंध में कांग्रेस के साथ परामर्श किया जा रहा है। और हम कार्रवाई करेंगे।’ वहीं व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया था कि राष्ट्रपति जो बाइडेन सऊदी अरब के साथ अमेरिका के रिश्तों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब तेल उत्पादन बढ़ाए ताकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत बढ़ गई है, जिससे दुनिया भर में तेल महंगा हो गया है।
सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में, किर्बी ने कहा, 'मुझे लगता है कि बाइडेन बहुत स्पष्ट हैं कि यह एक ऐसा रिश्ता है जिस पर हमें पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, और विशेष रूप से ओपेक के फैसले के बाद।' उन्होंने कहा कि बाइडेन सऊदी के साथ संबंधों के भविष्य पर कांग्रेस के साथ काम करने के लिए तैयार हैं। ओपेक प्लस द्वारा तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद से अमेरिका में सऊदी अरब को लेकर गुस्सा है।
सितंबर में रियाद गए थे बाइडेन
जो बाइडेन तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी के उद्देश्य से सितंबर महीने में रियाद गए थे। यहां उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। जबकि वह उनसे नफरत करने के लिए जाने जाते हैं। बावजूद इसके सऊदी अरब ने अमेरिका की बात नहीं मानी। ओपेक प्लस समूह का नेतृत्व भी सऊदी अरब ही कर रहा है और रूस भी इसका हिस्सा है। हाल में ही इस समूह ने तेल उत्पादन में प्रति दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला किया है। जिसके बाद से अमेरिका भड़का हुआ है।
क्राउन प्रिंस से नफरत करते हैं बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान जो बाइडेन एमबीएस को सजा देने की बात कर रहे थे। उन्होंने अमेरिकी नागरिक और मूल रूप से सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या तक के लिए सीधे-सीधे एमबीएस को जिम्मेदार ठहरा दिया था। आपको ये बात जानकर भी हैरानी होगी कि बाइडेन ने अतीत में कहा था कि वह क्राउन प्रिंस से कभी मुलाकात नहीं करना चाहेंगे, बल्कि वह केवल किंग से मिलेंगे। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल के बढ़ते दाम की वजह से उन्हें सऊदी अरब के आगे झुकना पड़ा। वह चाहते हैं कि सऊदी तेल का उत्पादन बढ़ा दे, ताकि तेल के दाम कुछ कम हो सकें। इसी बात के लिए उन्होंने उन्हीं एमबीएस के साथ बैठक की तस्वीरें क्लिक करवाईं, जिनसे वह कभी मुलाकात न करने का इरादा कर चुके थे।
रूस के करीब क्यों गया सऊदी अरब?
जो बाइडेन ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही सऊदी अरब को हूती विद्रोहियों के हमलों का सामना करने के लिए बीच मझदार में अकेला छोड़ दिया था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सऊदी अरब ने रूस के साथ अपनी करीबी बढ़ाई है। साथ ही सऊदी अरब ने यूक्रेन पर हमला करने के चलते रूस की आलोचना नहीं की। इसके बजाय ये दोनों देश तेल को लेकर इतना करीब आ गए हैं, जितना पहले कभी नहीं थे। सऊदी अरब भी अपने तेल से अधिकतम राजस्व कमाना चाहता है। ठीक इसी तरह रूस भी चाहता है कि वह सऊदी अरब के साथ रहकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर कर सकता है।