Russia Ukraine War: दुनियाभर में रूस और यूक्रेन युद्ध से बेचैनी मची हुई है। यह युद्ध कब खत्म होगा, यह कहने की स्थिति में कोई नहीं है। इसी बीच रूस के एक पत्रकार ने यूक्रेन के बच्चों की मदद के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अपना अपना नोबेल पुरस्कार बेच दिया। पत्रकार का नाम दिमित्रि मुरातोव है जिन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने सोमवार रात इसे नीलाम कर दिया। मुरातोव नीलामी से मिलने वाले पैसे यूक्रेन में युद्ध से विस्थापित हुए बच्चों की मदद के लिए सीधे यूनीसेफ को देंगे।
2021 में गोल्ड मेडल से सम्मानित
दिमित्रि मुरातोव को अक्टूबर 2021 में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। मुरातोव ने रूसी अखबार ‘नोवाया गजट’ की स्थापना की और वह मार्च में अखबार के बंद होने के समय इसके मुख्य संपादक थे। बताया जा रहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के खिलाफ सार्वजनिक असंतोष को दबाने और पत्रकारों पर रूसी कार्रवाई के चलते यह अखबार बंद कर दिया गया था।
नीलामी से मिली रकम दान करने की घोषणा की
मुरातोव ने पुरस्कार की नीलामी से मिली 5,00,000 डॉलर की रकम धर्म के कामों के लिए दान करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इस दान का उद्देश्य शरणार्थी बच्चों को भविष्य के लिए एक मौका देना है। मुरातोव ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह खासतौर पर उन बच्चों के लिए चिंतित हैं, जो यूक्रेन में संघर्ष के कारण अनाथ हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनका भविष्य लौटाना चाहते हैं।’’
हेरीटेज ऑक्शंस कोई हिस्सा नहीं ले रही
मुरातोव ने हेरीटेज ऑक्शंस द्वारा जारी वीडियो में कहा कि यह अहम है कि रूस के खिलाफ लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल दवाएं और बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी मानवीय सहायता जरूरतमंदों तक पहुंचने से न रुके। नीलामी करने वाली हेरीटेज ऑक्शंस इससे मिलने वाली रकम में कोई हिस्सा नहीं ले रही है।
मुरातोव को पिछले साल फिलीपीन की पत्रकार मारिया रेसा के साथ संयुक्त रूप से शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें अपने-अपने देशों में स्वतंत्र अभिव्यक्ति बनाए रखने के लिए किए गए संघर्षों के वास्ते सम्मानित किया गया था। मुरातोव 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा जमाने और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बड़े आलोचक रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक है यह सैन्य अभियान
वहीं पुतिन ने यह दावा किया कि यह युद्ध नहीं है बल्कि यह विशेष सैन्य अभियान है। यह अभियान पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कानून का अनुपालन करता है। उक्रेइंस्का प्रावदा ने राष्ट्रपति के हवाले से कहा कि उन्होंने कोसोवो पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को भी याद किया। उन्होंने कहा, जब एक क्षेत्र को एक स्टेट से अलग किया जाता है, तो केंद्रीय अधिकारियों से अनुमति मांगना आवश्यक नहीं है। उन्होंने उस मसले पर कहा, इस मामले में डोनबास गणराज्यों को कीव अधिकारियों से अनुमति मांगने की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। इस संबंध में, क्या हमें उन्हें मान्यता देना का अधिकार था या नहीं? बेशक हमने किया।