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Russia-Ukraine War: यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया झेल रही महंगाई की मार, 7.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आए

Russia-Ukraine War: संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक रिपोर्ट में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर गरीबी बहुत तेजी से बढ़ी है। युद्ध की वजह से करीब 7.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए है।

Written By: Pankaj Yadav
Published : Jul 07, 2022 19:31 IST, Updated : Jul 07, 2022 19:31 IST
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Image Source : INDIA TV NEWS Poverty In World

Highlights

  • रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह दुनिया भर में 7.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आए
  • युद्ध के बाद कुल जनसंख्या का करीब नौ प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे हो गया
  • कोविड में भी इतनी तेज रफ्तार से लोग गरीब नहीं हुए थे जितनी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद हुए

Russia-Ukraine War: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण दुनिया भर में 7.1 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं। UNDP का अनुमान है कि युद्ध शुरू होने के बाद पहले तीन महीनों में 5.16 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए और वे प्रति दिन 1.90 डॉलर या उससे भी कम पैसे में जीवन यापन कर रहे हैं। इसके साथ ही विश्व की कुल जनसंख्या का करीब नौ प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे हो गया। इसके अलावा करीब दो करोड़ लोग रोजाना 3.20 डॉलर से कम पैसे में जीवन यापन कर रहे हैं। कम आमदनी वाले देशों में, परिवार अपनी घरेलू आय का 42 प्रतिशत हिस्सा भोजन पर खर्च करते हैं। लेकिन पश्चिमी देशों द्वारा रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने से ईंधन और मुख्य खाद्य पदार्थों जैसे गेहूं, चीनी और खाना पकाने के काम आने वाले तेल की कीमतें बढ़ गईं। यूक्रेन के बंदरगाहों के अवरूद्ध हो जाने और कम आय वाले देशों को अनाज निर्यात नहीं कर पाने के कारण कीमतों में और वृद्धि हुई। इससे लाखों लोग जल्दी ही गरीबी रेखा से नीचे चले गए।

महामारी से भी तेजी से रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से लोग गरीब हुए

यूएनडीपी प्रशासक अचिम स्टीनर ने रिपोर्ट जारी होने के मौके पर कहा कि जीवन यापन के खर्च पर पड़ने वाला प्रभाव काफी गंभीर है और हाल के समय में ऐसी स्थिति नहीं देखी गई। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जिस गति से लोग प्रभावित हुए, वह महामारी के चरम के दौर की आर्थिक पीड़ा से भी अधिक गंभीर है। यूएनडीपी ने कहा कि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद सिर्फ तीन महीनों में 7.1 करोड़ से अधिक लोगों ने गरीबी को महसूस किया जबकि कोविड महामारी के दौरान करीब 18 महीने के लॉकडाउन के दौरान 12.5 करोड़ लोगों ने इस दर्द को महसूस किया था।

यूक्रेन युद्ध की वजह से पैदा हुआ खाद्य संकट

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने चेतावनी दी कि 24 फरवरी को शुरू हुआ यूक्रेन में युद्ध ‘‘आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रहा है और अनाज, उर्वरक और ऊर्जा की कीमतों को और प्रभावित कर रहा है।’’ इसके परिणामस्वरूप 2022 की पहली छमाही में अधिक मूल्य वृद्धि हुई है। साथ ही, उन्होंने कहा, तेजी से होने वाली और भीषण जलवायु से जुड़ी घटनाएं भी आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रही हैं, खासकर कम आय वाले देशों में। यूक्रेन और रूस मिलकर दुनिया के गेहूं और जौ का लगभग एक तिहाई और सूरजमुखी के तेल का आधा उत्पादन करते थे। वहीं, रूस और उसका सहयोगी बेलारूस दुनिया में पोटाश के नंबर 2 और 3 उत्पादक हैं। पोटाश उर्वरक का एक प्रमुख घटक होता है। 

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