Highlights
- 1985 में एअर इंडिया बम धमाके की घटना में करीब 331 लोगों की मौत हुई थी
- साल 2005 में कोर्ट द्वारा रिपुदमन को इस मामले में बरी कर दिया गया था
- रिपुदमन सिंह मलिक पर खालिस्तानी होने के आरोप भी लगे
Ripudaman Singh Murder: कनाडा में रहने वाले सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। उनका नाम वर्ष 1985 में एअर इंडिया बम धमाकों में सामने आया था। हालांकि बाद में साल 2005 में कोर्ट द्वारा रिपुदमन को इस मामले में बरी कर दिया गया था। मलिक की वैंकूवर में काम पर जाते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई। शुक्रवार सुबह करीब 9.30 बजे गोलियां चलने की आवाज आई, तब एक गोली उन्हें लगी और मौके पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया। पुलिसकर्मियों ने जरूर उन्हें बचाने की कोशिश की थी, लेकिन गोलियां इतने करीब से दागी गई थीं, कि उनका बचना संभव नहीं रहा। घटनास्थल से एक जली हुई कार को बरामद किया गया। रिपुदमन सिंह करीब एक दशक तक इंडियन ब्लैक लिस्ट में थे। उन्हें वर्ष 2020 में सिंगल एंट्री वीजा और हाल ही में 2022 में मल्टीपल वीजा दिया गया था।रिपुदमन ने हाल ही में मई माह में आंध्र प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और महाराष्ट्र की यात्रा भी की थी।
क्या था 1985 बम धमाके का मामला
1985 में एअर इंडिया बम धमाके की घटना में करीब 331 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में कनाडा में रहने वाले सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक भी आरोपी था लेकिन सबूतों के अभाव में बाद उन्हें बरी कर दिया गया। पंजाबी मूल के इस कनाडाई सिख रिपुदमन सिंह पर खालिस्तानी होने के आरोप लगे थे।
पीएम मोदी की तारीफ की थी
रिपुदमन सिंह ने इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी और सिख समुदाय के लिए उनकी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के लिए आभार व्यक्त किया था। मलिक उन व्यक्तियों में से एक थे जिन पर एअर इंडिया की फ्लाइट 182 कनिष्क पर बमबारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था। 23 जून 1985 को आयरलैंड के तट से दूर कनाडा से एयर इंडिया की उड़ान 182 "कनिष्क" पर एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें 329 यात्री मारे गए थे।
बब्बर खालसा से भी जुड़ा रहा
रिपुदमन मलिक कथित तौर पर पंजाब में कई आतंकवादी घटनाओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा था और एयर इंडिया बमबारी के कथित मास्टरमाइंड तलविंदर सिंह परमार का करीबी सहयोगी भी था। बब्बर खालसा, एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन है और अमेरिका, कनाडा और भारत सहित कई देशों द्वारा प्रतिबंधित है।