Sunday, December 22, 2024
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दक्षिण अफ्रीका के मरुस्थल में फिर खिलखिलाए भारत और रूस के रिश्ते, लावरोव से मिले जयशंकर तो...

भारत और रूस के रिश्ते यूक्रेन युद्ध के चलते कठिन कसौटी पर कसे जा रहे हैं। इस दौरान दक्षिण अफ्रीका में दोनों देशों के विदेशमंत्रियों की गर्मजोशी से मुलाकात ने अंदर के मनमुटाव को काफी हद तक दूर कर दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 01, 2023 16:43 IST, Updated : Jun 01, 2023 16:43 IST
रूस के विदेश मंत्री लावरोव से मिलते भारत के एस जयशंकर
Image Source : FILE रूस के विदेश मंत्री लावरोव से मिलते भारत के एस जयशंकर

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत और रूस के रिश्ते कसौटी के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। दोनों ही देशों की पारंपरिक दोस्ती इस कसौटी के पैमाने पर बार-बार कसी जा रही है। हालांकि यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं करके और पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद उससे कच्चा तेल खरीदकर भारत ने दोस्ती निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन अमेरिका और यूरोप समेत पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती भारत की नजदीकी रूस को कतई अच्छी नहीं लग रही।

इससे दोनों देशों में अंदर ही अंदर कुछ न कुछ मनमुटाव जरूर बना हुआ है। हालांकि अब यह मनमुटाव दक्षिण अफ्रीका में विदेश मंत्री जयशंकर और रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव की मुलाकात के बाद दूर हो गया है। एक बार फिर से दोनों देशों के रिश्ते खिलखिलाने लगे हैं। 

दक्षिण अफ्रीका में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बृहस्पतिवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और द्विपक्षीय एवं वैश्विक हितों के मुद्दों पर चर्चा की। पांच देशों के समूह ‘ब्रिक्स’ (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे जयशंकर ने ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर लावरोव के साथ बातचीत की। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, ‘‘आज सुबह केपटाउन में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलकर अच्छा लगा। हमारी चर्चा में द्विपक्षीय मामले, ब्रिक्स, जी20 और एससीओ शामिल थे।’

जुलाई में भारत करेगा एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी

भारत क्रमशः जुलाई और सितंबर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। पिछले कुछ महीनों में भारत रूस से रियायती कच्चे तेल का प्रमुख आयातक बन गया है, जबकि पश्चिम में यूक्रेन पर रूसी हमले के मद्देनजर इस खरीद को लेकर बेचैनी बढ़ रही है। रूस के साथ भारत के आर्थिक संबंध पिछले एक साल में और मजबूत हुए हैं, जिसका मुख्य कारण रूस से रियायती तेल की खरीद है। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा नहीं की है और वह वार्ता एवं कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान पर जोर दे रहा है।

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