मुस्लिम देश कतर के दोहा में फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन किया जा रहा है। इस शुरुआत आज से हो गई है। ऐसा पहली बार है, जब दुनिया का सबसे मशहूर ये इवेंट किसी मुस्लिम देश में आयोजित किया जा रहा है। हालांकि कतर में इसके आयोजन के साथ ही इवेंट खेल के बजाय दूसरे कारणों से चर्चा में बना हुआ है। शराब सेवन पर प्रतिबंध और LGBTQ समुदाय को इवेंट से दूर रहने की सलाह देने के बाद अब ये इवेंट इस्लामिक उग्रवाद के प्रचार के चलते विवादों में आ गया है। कतर में आयोजित इस इवेंट में जाकिर नायक भी दिखाई दिया है, जिसपर भारत में जहरीले भाषण देने का आरोप लगा है। धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने के आरोपी जाकिर नाइक ने कहा है कि वह विश्व कप के दौरान इस्लाम के प्रचार के लिए कई भाषण देगा।
अब जाकिर नाइक के कतर पहुंचने के बाद सोशलोग गुल मीडिया पर स्सा दिखा रहे हैं और कतर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। जाकिर नाइक के जहरीले भाषणों के कारण ब्रिटेन ने उस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। अब ऐसे शख्स को कतर की भारत विरोधी सरकार ने इस्लाम के प्रचार के लिए यहां बुलाया है। यह वही कतर है, जिसने विवादास्पद भारतीय चित्रकार एमएफ हुसैन को शरण दी थी। इतना ही नहीं नूपुर शर्मा विवाद में कतर ने भारत के खिलाफ कई बयान दिए थे। कतर ने भारतीय राजदूत तक को तलब कर लिया था। अब उसी कतर ने हिंदुओं और अन्य धर्मों के खिलाफ विवादित बयान देने वाले जाकिर नाइक को आड़े हाथों लिया है। जाकिर नाइक पर आत्मघाती हमलावरों का समर्थन करने का आरोप है।
भारत ने कतर को जताया विरोध?
जाकिर नाइक के कतर पहुंचने की खबर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। जाकिर नाइक को लेकर बड़ी संख्या में ट्वीट किए जा रहे हैं। मोनिका वर्मा लिखती हैं, 'वांटेड क्रिमिनल जाकिर नाइक फीफा वर्ल्ड कप में बोलने के लिए कतर पहुंच गया है। कतर ने पेंटर एमएफ हुसैन को शरण दी। नूपुर शर्मा को लेकर कतर ने भारत के खिलाफ अभियान का नेतृत्व भी किया था। बार-बार उकसावे के बाद भी भारत कतर के सामने विरोध दर्ज क्यों नहीं करा रहा है?'
ब्रिटिश शोधकर्ता घनेम नुसेबीह लिखते हैं, 'भारत के चरमपंथी उपदेशक जाकिर नाइक को कतर ने भाषण देने के लिए आमंत्रित किया है। जाकिर नाइक पर 2010 में ब्रिटेन में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। वह अब कतर विश्व कप में है और फुटबॉल मैच में भाग लेने के लिए आने वाले मुस्लिम युवाओं को कट्टरता सिखाएगा।' उन्होंने सवाल किया कि कतर को एक खेल इवेंट में मुस्लिम उपदेशक की आवश्यकता क्यों पड़ी। वह भी तब जब जाकिर नाइक का दूसरे धर्मों का अनादर करने का इतिहास रहा है।
आखिर कौन सा प्रोपेगैंडा चला रहा कतर?
घनेम नुसेबीह लिखते हैं कि कतर वास्तव में विश्व कप के माध्यम से फुटबॉल प्रशंसकों के बीच चरमपंथ को बढ़ावा देना चाहता है। जाकिर नाइक शराब, संगीत, नृत्य और गायन का विरोध करता है। उनका कहना है कि यह इस्लाम के खिलाफ है। जाकिर नाइक ने समलैंगिकों के लिए मौत की सजा की मांग की है। कतर ने व्यापक रूप से प्रचार किया है कि 558 फुटबॉल फैंस ने इस्लाम अपना लिया है। इतना ही नहीं, बल्कि कतर के स्टेडियम इस्लामिक नारों से भरे पड़े हैं। कल्पना कीजिए कि अगर कोई ईसाई देश फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी कर रहा होता और इस तरह से धर्म परिवर्तन करता तो क्या होता।
उन्होंने कहा कि कतर मुसलमानों के लिए शर्म का एक कारण है। कतर अब खेल के साथ धर्म को मिला रहा है। फीफा भी इसे लेकर चुप्पी साधे बैठा है। घनेम ने कहा कि फुटबॉल विश्व कप खेलने वाली 32 टीमों में से सिर्फ 5 मुस्लिम बहुल देश हैं। फुटबॉल फैंस पर कतर इस्लाम क्यों थोप रहा है? यह विश्व कप के राजनीतिकरण से ज्यादा खतरनाक चीज है। जब मुसलमान आधुनिकता, एकजुटता और उदारवाद की ओर कदम बढ़ाते हैं तो कतर उन्हें कट्टर बनाने के लिए हर संभव कदम उठाता है। हम जानते हैं कि कतर ने अलकायदा, मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे आतंकी संगठनों को पैसा दिया है। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह इतना नीचे गिर जाएगा और विश्व कप में खुले तौर पर इस्लामी कट्टरवाद का प्रचार करेगा।