बगदादः ईरान के नए राष्ट्रपति और सुधारवादी नेता डॉ. मसूद पेजेश्कियन आज से अपनी पहली विदेश यात्रा का आगाज किया है। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए उस देश को चुना है, जिसने कभी ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़ा था। मगर पेजेश्कियन को यह यात्रा शुरू करने से उम्मीद है कि इससे पूर्व संबंधों में सुधार आएगा। बता दें कि मसूद पेजेश्कियन इराक को पहली विदेश यात्रा के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि तेहरान के बगदाद के साथ संबंधों को मजबूती मिलेगी, क्योंकि क्षेत्रीय तनाव दोनों देशों को पश्चिम एशिया में बढ़ती अशांति की ओर धकेल रहा है।
ईरान के लिए इराक के साथ उसके संबंध आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक कारणों से महत्वपूर्ण बने हुए हैं। यह बात विशेष रूप से तब से सच हो गई है, जब 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक पर हमला हुआ, जिसके बाद तानाशाह सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटा दिया गया। सद्दाम ने 1980 के दशक में ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया था जो वर्षों तक चला। इस बीच बगदाद, तेहरान के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है जो देश में शक्तिशाली शिया मिलिशिया का समर्थन करता है। वह साथ ही अमेरिका के साथ भी रिश्तों को पटरी पर लाने का इच्छुक है।
इराक में अभी भी हैं अमेरिकी सैनिक
इराक में अमेरिका के 2,500 सैनिकों हैं जो अब भी एक समय के प्रभावशाली चरमपंथी इस्लामिक स्टेट समूह के बचे हुए हिस्से के साथ संघर्ष कर रहे हैं। पेजेश्कियान के आगमन से पहले मंगलवार रात बगदाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास अमेरिकी सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली जगह पर विस्फोट हुआ। इस विस्फोट में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है और विस्फोट की परिस्थितियां भी स्पष्ट नहीं हैं। अमेरिकी दूतावास ने कहा कि विस्फोट 'बगदाद डिप्लोमैटिक सर्विसेज कंपाउंड' में हुआ। यह एक अमेरिकी राजनयिक क्षेत्र है और वह विस्फोट के कारण और इससे हुए 'नुकसान का आकलन' कर रहा है।
कर्बला भी जाएंगे पेजेश्कियन
जुलाई में ईरान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले पेजेश्कियन अपनी यात्रा के दौरान कर्बला और नजफ शहरों में शिया धार्मिक स्थलों का भी दौरा करेंगे। यात्रा से पहले ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने एक इराकी टेलीविजन चैनल को बताया कि पेजेश्कियन को बगदाद के साथ सुरक्षा संबंधों के साथ-साथ आर्थिक संबंधों के भी मजबूत होने की उम्मीद है। इराक में अमेरिकी सैनिकों की निरंतर मौजूदगी ईरान के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। वहीं इराकी राजनेता इस मुद्दे पर बहस जारी रखे हुए हैं कि देश में अमेरिकी सैनिकों के बने रहने का समर्थन किया जाए या नहीं। (एपी)
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