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शक्तिशाली सौर तूफान ने मारी पृथ्वी को जबरदस्त टक्कर, दुनिया के कई हिस्सों में आ सकता है भूकंप

पृथ्वी से खतरनाक सोलर तूफान के टकराने से हाहाकार मच गया है। कोरोनल मास इजेक्शन के कारण यह घटना हुई है। इसके बाद वैज्ञानिकों ने धरती के कई हिस्सों में भूकंप आने का अंदेशा जताया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 05, 2023 21:52 IST, Updated : Aug 05, 2023 21:56 IST
सौर तूफान।
Image Source : AP सौर तूफान।

कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के चलते बेहद शक्तिशाली सौर तूफान ने पृथ्वी को भीषण टक्कर मार दी है। इससे धरती की शैल हिल गई हैं। वैज्ञानिकों ने इसकी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में भूकंप आने का खतरा जताया है। सोलर तूफान के पृथ्वी से टकराने के बाद ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र में 22 एनटी का भीषण झटका महसूस किया गया। इस टक्कर के तुरंत बाद जी-3 श्रेणी का एक और जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म (सौर तूफान) फिर धरती से टकरा गया। इससे पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में उथल-पुथल मच गई। जी-3 श्रेणी की तीव्रता का सौर तूफान इतना अधिक घातक होता है कि यह छोटे उपग्रहों तक को नष्ट कर सकता है।

सौर तूफान क्या होता है?

सौर तूफान को जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म और सोलर स्टॉर्म के नाम से भी पुकारा जाता है। यह सूर्य से निकलने वाला रेडिएशन होता है, जो पूरे सौर मंडल को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह धरती के चुंबकीय क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। जिसके चलते इसे आपदा भी कहा जाता है। तूफान का असर पृथ्वी के आसपास के वातावरण की ऊर्जा पर पड़ता है। हालांकि सौर तूफान पहली बार नहीं आ रहा है। बल्कि इससे पहले भी आ चुका है। 

सोलर तूफान

Image Source : FILE
सोलर तूफान

साल 1989 में ये घटना हुई थी। तब कनाडा के क्यूबेक शहर को इसने प्रभावित किया था। वहां इसकी वजह से 12 घंटे के लिए बिजली चली गई थी। जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं। वहीं इससे पहले सौर तूफान साल 1859 में भी आया था। इसकी वजह से उस वक्त अमेरिका और यूरोप में टेलीग्राफ नेटवर्क तबाह हो गया था। सौर तूफान ऊर्जा का वो शक्तिशाली विस्फोट है, जो रेडियो संचार, बिजली के ग्रिड और नेविगेशन सिग्नल्स को प्रभावित कर सकता है और अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है।

 

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