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मिस्र में हजार साल पुरानी अल-हकीम मस्जिद का दौरा करेंगे PM मोदी, दाऊदी बोहरा से है खास कनेक्शन

अल-हकीम मस्जिद के पुनरुद्धार का काम दाउदी बोहरा समुदाय ने अपने हाथों में लिया और 1980 में यह एक नए रूप में लोगों के सामने आई।

Written By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Updated on: June 24, 2023 18:32 IST
अल हकीम मस्जिद।- India TV Hindi
Image Source : EGYMONUMENTS.GOV.EG अल हकीम मस्जिद।

नई दिल्ली: अमेरिका के एक बेहद सफल राजकीय दौरे के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 और 25 जून को मिस्र के मेहमान होंगे। प्रधानमंत्री मिस्र की इस राजकीय यात्रा पर दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने तथा कारोबार एवं आर्थिक सहयोग के नये क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 25 जून को अल हकीम मस्जिद जाएंगे और यह उनकी यात्रा के खास आकर्षणों में से एक होगा। बता दें कि इस मस्जिद का पुनरूद्धार बोहरा समुदाय के सहयोग से किया गया था।

25 जून को मस्जिद का दौरा करेंगे मोदी

प्रधानमंत्री 25 जून को करीब एक बजे अल हकीम मस्जिद जाएंगे और वहां लगभग आधा घंटा बिताएंगे। काहिरा में स्थित इस ऐतिहासिक और प्रमुख मस्जिद का नाम छठे फातिमिद और 16वें इस्माइली इमाम खलीफा अल-हकीम बि-अम्र अल्लाह (985-1021) के नाम पर रखा गया है। मस्जिद का निर्माण मूल रूप से अल-हकीम बि-अम्र अल्लाह के पिता खलीफा अबू मंसूर निजार अल-अजीज बिल्लाह ने 10वीं शताब्दी के अंत में कराया था और बाद में साल 1013 में अल-हकीम ने इसके निर्माण को पूरा किया था।

Narendra Modi, Narendra Modi Egypt, Narendra Modi Al-Hakim Mosque

Image Source : FILE
पुनरुद्धार के पहले यूं दिखती थी अल हकीम मस्जिद।

13560 वर्ग मीटर में फैली है यह मस्जिद
अल-हकीम मस्जिद मिस्र की राजधानी काहिरा की दूसरी सबसे बड़ी और चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है। अल-हकीम मस्जिद में 4 बड़े हॉल हैं। सबसे बड़े हाल में नमाज अदा की जाती है। यह करीब 4,000 वर्ग मीटर जितना बड़ा है। पूरी मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। काहिरा के बीचोंबीच स्थित इस मस्जिद ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और समय-समय पर इसका इस्तेमाल भी दूसरे कार्यक्रमों के लिए होता रहा और एक समय ऐसा भी आया जब यह एक खंडहर में तब्दील हो गई। 

मस्जिद की मरम्मत में लगे कुल 27 महीने
बाद में इस मस्जिद के पुनरुद्धार का काम दाउदी बोहरा समुदाय ने अपने हाथों में लिया और 1980 में यह एक नए रूप में लोगों के सामने आई। मस्जिद की मरम्मत में कुल 27 महीने लगे और मस्जिद को आधिकारिक तौर पर 24 नवंबर 1980 को एक समारोह में फिर से खोला गया, जिसमें मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात, मोहम्मद बुरहानुद्दीन और देश के कई बड़े अधिकारी शामिल हुए। आज यह मस्जिद अपनी खूबसूरती और वास्तुकला के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

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Image Source : EGYMONUMENTS.GOV.EG
अल हकीम मस्जिद की एक और तस्वीर।

दाऊदी बोहरा समुदाय से मोदी का है करीबी रिश्ता
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दाऊदी बोहरा समुदाय के कार्यक्रमों में जाते रहे हैं। बीते फरवरी में भी वह मुंबई के मरोल इलाके में दाऊदी बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में गए थे। वहां उन्होंने अल जामिया-तुस-सैफियाह (सैफ एकडेमी) के एक कैंपस का उद्घाटन किया था। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह 4 पीढ़ियों से बोहरा समाज से जुड़े हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि मैं यहां प्रधानमंत्री नहीं हूं बल्कि आपके परिवार का सदस्य हूं। ऐसे में समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का दाऊदी बोहरा समुदाय से किस हद तक जुड़ाव है।

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Image Source : FILE
दाऊदी बोहरा समुदाय के एक कार्यक्रम में पीएम मोदी।

बतौर प्रधानमंत्री पहली बार मिस्र में हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर यह यात्रा कर रहे हैं। अल-सीसी ने भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी और उसी समय उन्होंने प्रधानमंत्री को मिस्र यात्रा के लिए आमंत्रित किया था। यह प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी की मिस्र की पहली यात्रा होगी। प्रधानमंत्री इस दौरे पर हेलियोपोलिस युद्ध स्मारक जायेंगे और शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। वह मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और इस दौरान कुछ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये जायेंगे।

भारत के लिए क्यों इतना अहम है मिस्र
मिस्र और भारत के बीच घनिष्ठ रक्षा संबंध रहे हैं। दोनों देश कई सालों से संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण कार्यक्रमों आदि में हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत हुआ है। पहली बार भारत और मिस्र की वायु सेनाओं के लड़ाकू विमानों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया है। मिस्र सबसे ज्यादा आबादी वाला अरब देश है और रणनीतिक लिहाज से अहम स्थान पर स्थित है। अरब जगत में मिस्र काफी असर रखता है और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्रीय खिलाड़ी है।

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