पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ शुक्रवार से तुर्किये की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने तुर्किये से कहा कि वह भी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) में शामिल हो जाए। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, शहबाज शरीफ ने ये ऑफर इसलिए दिया है ताकि क्षेत्र से गरीबी मिटे और समृद्धि लौटे। शहबाज के अनुसार, सीपीईसी क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकता है और सशक्त बना सकता है। वहीं हमेशा पाकिस्तान का साथ देते हुए कश्मीर मुद्दा उठाने वाले तुर्किये ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। शरीफ ने यहां तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के साथ बैठक की और इसी दौरान उन्हें सीपीईसी में शामिल होने का न्योता दे दिया। शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तान को इससे काफी फायदा हो रहा है और यहां के लोग भी काफी खुश हैं।
चीनी राष्ट्रपति से की जाएगी बात
पीएम शाहबाज ने कहा, 'मैं कहना चाहूंगा कि यह सीपीईसी चीन, पाकिस्तान और तुर्किये के बीच का आपसी सहयोग होगा। यह एक बहुत अच्छा जॉइंट सहयोग होने जा रहा है और इसके माध्यम से हम रोजमर्रा की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर तुर्किये इस पर राजी हो जाता है तो वह इस मसले पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से चर्चा करेंगे। तुर्किये और पाकिस्तान इस साल राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे करेंगे।
मई में भी दिया गया था न्योता
ऐसा पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान के पीएम की ओर से तुर्किये को इस तरह का प्रस्ताव दिया गया हो। इससे पहले इसी साल मई में उन्होंने तुर्किये को अरबों डॉलर की चीनी परियोजना सीपीईसी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। उस समय शरीफ ने कहा था कि सीपीईसी वह वाहन है जो क्षेत्रीय संपर्क और त्रिपक्षीय समझौते को क्षेत्रीय फायदे में बदल सकता है। यह प्रस्ताव शरीफ ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी द्वारा ब्रिक्स के विस्तार के बाद दिया था। शहबाज ने कहा था कि पाकिस्तान और तुर्किये के बीच कई आयामों पर आपसी सहयोग जारी है। ऐसे में सीपीईसी इसमें अहम कड़ी साबित हो सकता है।
रजब तैयब एर्दोआन की इच्छा क्या है?
सीपीईसी को लेकर तुर्किये ने साल 2020 में पहली बार बड़ा बयान दिया था। उस समय एर्दोआन पाकिस्तान के दौरे पर गए थे और तत्कालीन पीएम इमरान खान के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। एर्दोआन ने मीडिया से कहा था कि सीपीईसी तुर्किये के कारोबारियों के लिए बेहतर हो सकता है। ऐसे में वह इस परियोजना पर काम करने के इच्छुक हैं। एर्दोआन ने कहा था कि तुर्किये को ऐसे मौके नहीं मिले हैं, जैसे दूसरे देशों को मिले हैं।
भारत करता रहा है विरोध
सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसमें लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इस परियोजना के तहत चीन के उत्तर-पश्चिम में शिंजियांग से पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर तक 3000 किलोमीटर लंबी सड़क पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू किया जा रहा है। भारत की ओर से इस परियोजना का हमेशा से विरोध होता रहा है। भारत का कहना है कि सीपीईसी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है। ऐसे में यह देश की संप्रभुता के खिलाफ है।