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OPEC देशों के साथ मिलकर रूस ने खेला बड़ा दांव, खाड़ी देशों संग अमेरिका की कूटनीति हुई फेल, बाइडेन को तगड़ा झटका

OPEC Oil Production: जो बाइडेन शुरुआत से ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ बोलते आए हैं लेकिन जब मजबूरी आई तो उन्होंने न केवल उनसे रियाध में मुलाकात की बल्कि उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता तक की।

Written By: Shilpa
Published : Oct 06, 2022 12:21 IST, Updated : Oct 06, 2022 12:28 IST
OPEC Oil Production-Joe Biden
Image Source : PTI OPEC Oil Production-Joe Biden

Highlights

  • ओपेक देशों ने तेल उत्पादन में कटौती की
  • जो बाइडेन को लगा तगड़ा झटका
  • सऊदी अरब ने दिया स्पष्टीकरण

OPEC Oil Production: दुनिया को अपने तरीके से चलाने की मंशा रखने वाले अमेरिका को एक और बड़ा झटका लगा है। ये झटका उसे तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने दिया है। जिसे OPEC+ के नाम से जाना जाता है। इस संगठन ने तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला लिया है। ऐसी स्थिति में तेल के दाम और बढ़ने की आशंका है, जो पहले से ही कम उत्पादन के कारण आसमान छू रहे हैं। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने पहले ही ओपेक देशों से तेल का उत्पादन बढ़ाने की मांग की है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन तो इसके लिए बकायदा सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। 

वह शुरुआत से ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के खिलाफ बोलते आए हैं लेकिन जब मजबूरी आई तो उन्होंने न केवल उनसे रियाध में मुलाकात की बल्कि उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता तक की। हालांकि बाइडेन का ये दौरा भी किसी काम नहीं आया और सऊदी अरब ने तेल का उत्पादन बढ़ाने से इनकार कर दिया है।

सऊदी ने रूस की मिलीभगत से किया इनकार

तेल उत्पादन में कटौती के फैसले के बाद ओपेक का नेतृत्व करने वाले सऊदी अरब ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि पश्चिम में बढ़ती ब्याज दरों और कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था के चलते प्रति दिन 2 मिलियन बैरल की कटौती करना जरूरी हो गया है। ये कटौती विश्व को सप्लाई होने वाले तेल की 2 फीसदी है। इसके साथ ही सऊदी ने रूस के साथ मिलीभगत से तेल के दाम बढ़ाने को लेकर हो रही आलोचना को खारिज कर दिया है। जो OPEC+ समूह का ही हिस्सा है। उसने कहा है कि पश्चिम पैसे के अहंकार के चलते OPEC+ समूह की आलोचना करता है। 

अमेरिका ने OPEC+ देशों की आलोचना की

इस बीच व्हाइट हाउस ने OPEC+ समूह के फैसले को लेकर एक बयान जारी किया है। उसने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन फैसला करेंगे कि कीमतें कम करने के लिए बाजार में तेल का अधिक स्टॉक जारी किया जाएगा या नहीं। व्हाइट हाउस ने बताया है कि राष्ट्रपति ने तेल उत्पादन में कटौती के OPEC+ के अदूरदर्शी फैसले पर निराशा जताई है, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पुतिन के यूक्रेन पर किए गए हमले के कारण पहले से ही नकारात्मक प्रभाव से जूझ रही है।

 
अमेरिका के खिलाफ एकजुट हुए सऊदी और रूस 

जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते बिगड़ रहे हैं। अमेरिका ने सऊदी अरब को हूती विद्रोहियों के हमलों का सामना करने के लिए बीच मझदार में अकेला छोड़ दिया था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सऊदी अरब ने रूस के साथ अपनी करीबी बढ़ाई है। साथ ही सऊदी अरब ने यूक्रेन पर हमला करने के चलते रूस की आलोचना नहीं की। इसके बजाय ये दोनों देश तेल को लेकर इतना करीब आ गए हैं, जितना पहले कभी नहीं थे। सऊदी अरब भी अपने तेल से अधिकतम राजस्व कमाना चाहता है। ठीक इसी तरह रूस भी चाहता है कि वह सऊदी अरब के साथ रहकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के उस पर लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर कर सकता है। 

ओपेक देशों ने अमेरिका का अनुरोध ठुकराया

अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब सहित ओपेक देश अपने तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी करें। इससे वैश्विक बाजार में तेल के दाम कम होंगे और भारत-चीन जैसे देश रूस के बजाए खाड़ी देशों से तेल लेंगे। जिससे रूस की कमाई खत्म हो जाएगी। लेकिन बाइडेन प्रशासन के अनुरोध के बावजूद ओपेक ने तेल उत्पादन बढ़ाने से इनकार कर दिया है। इसका सीधा फायदा रूस को होगा। इससे सस्ता तेल खरीदने वाले देशों की संख्या भी बढ़ेगी। संकट से गुजर रहे देश जैसे श्रीलंका और पाकिस्तान रूस से तेल खरीदेंगे। जिससे रूस के तेल की मांग बढ़ेगी और उसे अधिक राजस्व मिल सकेगा।

सऊदी क्राउन प्रिंस के आलोचक थे बाइडेन

जो बाइेडन पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को लेकर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सजा दिलाने तक की बात कर चुके हैं। केवल इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने कहा था कि सऊदी अरब को इसकी कीमत चुकानी होगी। बाइडेन ने कहा था कि वह मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर सऊदी अरब को अलग थलग कर देंगे। उन्होंने जनवरी 2021 में कार्यभार संभालते ही अमेरिकी इंटेलिजेंस असेसमेंट जारी किया था। जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि सऊदी अरब के वास्तविक शासक और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ही सऊदी आलोचक और वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का आदेश दिया था।

राष्ट्रपति बनते ही बाइडेन ने सऊदी को दिया था झटका

जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनते ही सऊदी अरब को यमन में मिलने वाला समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था। इससे अटकलें लगाई जा रही थीं कि 1945 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट और सऊदी किंग अब्दुलअजीज इब्न सऊद के बीच हुई मुलाकात से जुड़ा अमेरिका-सऊदी रणनीतिक गठबंधन मुश्किल में पड़ जाएगा। अमेरिका ने सऊदी अरब की रक्षा में तैनात अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली को भी हटाकर दूसरे देशों में तैनात कर दिया था। अमेरिका के समर्थन वापस लेने के बाद ही यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी अरब का सैन्य अभियान कमजोर पड़ गया है।

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