Highlights
- वैज्ञानिकों ने खोजा कोरोना के खात्मे का हथियार
- अब तक दुनिया में कोरोना से जा चुकी है 64 लाख से अधिक लोगों की जान
- भारत में कोरोना से 5.27 लाख मौतों से मची तबाही
Covid Treatment: करीब तीन वर्षों में कोरोना ने देश-दुनिया में भारी तबाही मचाई है। समय-समय पर यह वायरस अपना प्रतिरूप बदलकर लोगों पर हमला कर रहा है और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रहा है। यह वायरस इतना मायावी है कि कभी मंद पड़ जाता है, कभी मध्यम रहता है तो कभी अचानक कई गुना ताकत के साथ सक्रिय होकर मौतों का तांडव दिखाने लगता है। इस वजह से देश-दुनिया के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। हालांकि देश-विदेश के वैज्ञानिकों की ओर से तैयार किए गए कोरोना रोधी टीकों का काफी हद तक सकारात्मक असर देखने को मिला है, लेकिन यह टीके भी कोरोना के सभी स्वरूपों पर कारगर नहीं हैं। मगर अब भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक ने कोरोना की एंटीबॉडी के एक ऐसे पार्ट की पहचान कर ली है, जिससे कि इस वायरस के सभी स्वरूपों को असरहीन बनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि वैज्ञानिक इसके जरिये कोरोना का दुनिया से पूरी तरह खात्मा कर पाने में सफल हो जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो यह पूरी दुनिया के लिए किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं होगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार उन्होंने कोरोना की एक ऐसी एंटीबॉडी की पहचान कर ली है, जिससे की इस वायरस की टारगेटेड थेरैपी आसानी से कर सकने में मदद मिलेगी। इससे कोरोना रोगियों का उपचार आसान हो सकेगा। वायरस के वैरिएंट के आधार पर मरीजों को सटीक उपचार मिलने से वह जल्द ठीक हो जाएंगे। इससे कोरोना से होने वाली मौतों में भी कमी आएगी।
क्रायो-इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी से स्पाइक प्रोटीन पर पकड़ी कोरोना की कमजोर कड़ी
भारतीय मूल के वैज्ञानिक और कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर श्रीराम सुब्रमण्यम के नेतृत्व में कोरोना वायरस पर किए गए अहम शोध में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हासिल हुई है। इसमें कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर उसकी कमजोर कड़ी की पहचान करने के लिए क्रायो-इलेक्ट्रान नामक माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया गया। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म वायरस के खंडों को देख पाने और उसे पकड़ पाने में सक्षम है। वैज्ञानिकों ने एंटीबॉडी के वीएचएबी 6 नामक कोरोना वायरस के खंड को खोज निकाला है। इसे एपिटेप का नाम दिया गया है। इससे एंटीबॉडी खुद को जोड़ती है। कोरना वायरस अपनी स्पाइक प्रोटीन के जरिये ही मानव कोशिकाओं में प्रवेश करके उन्हें संक्रमित कर देता है। वह अपना स्वरूप बदल लेता है। इसलिए पहचान में नहीं आने से वैज्ञानिक कोरोना वायरस का सटीक इलाज अब तक नहीं खोज पाए हैं। क्योंकि यह अलग-अलग वैरिएंट के साथ हमला कर रहा है। मगर अब इस वीएचएबी 6 खंड की पहचान कर लिए जाने से से कोरोना वायरस के सभी प्रतिरूपों के खिलाफ टारगेटेड थेरैपी से उपचार किया जा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ शोध
आइआइटी कानपुर से रसायन विज्ञान में एमएसी वाले श्रीराम सुब्रमण्यम के नेतृत्व में किया गया यह महत्वपूर्ण शोध अंतरराष्ट्रीय नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इस शोध की सराहना की है। कोरोना वायरस पर अब तक किए गए शोध में यह सबसे कारगर शोध माना जा रहा है। इससे पूरी तरह कोरोना का खात्मा कर सकने की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।
अब कोरोना नहीं कर सकेगा मानव शरीर में प्रवेश
वैज्ञानिक श्रीराम सुब्रमण्यम का दावा है कि कोरोना को बेअसर करने के लिए हमें एक ऐसी एंटीबॉडी की तलाश थी जो मास्टर चाबी की तरह हो यानि कि जो म्यूटेशन होने के बाद और नए-नए वैरिएंट बनने के बाद भी कोरोना के सारे स्वरूपों को खत्म कर सके। अब हमें इसमें सफलता मिल गई है। सुब्रमण्यम के अनुसार एंटीबॉडी का वीएचएबी 6 खंड कोरोना के सभी प्रतिरूपों के खिलाफ प्रभावी है। यह एंटबॉडी का पार्ट एपिटोप से जुड़कर वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकने के साथ ही साथ उसे निष्क्रिय भी कर देता है।
कोरोना से भारत और दुनिया में कुल संक्रमित और मौतें
भारत
कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 4.43 करोड़ से अधिक
कुल मौतें 5.27 लाख से अधिक
विश्व
कुल कोरोना संक्रमित 60 करोड़ से अधिक
कुल मौतें 64.5 लाख से अधिक