नाइजर में तख्तापलट के बाद विद्रोही सेना ने अफ्रीकी देशों के उस निर्देश को अब तक नहीं माना है, जिसमें उन्होंने अपदस्थ राष्ट्रपति को बहाल करने को कहा था। लिहाजा अब उन्हें कई प्रतिबंधों से गुजरना पड़ रहा है। अफ्रीकी देशों द्वारा नाइजर के विद्रोहियों पर सैन्य कार्रवाई की आशंका भी जताई जा रही है। नाइजर में विद्रोही सैनिक क्षेत्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने देश के राष्ट्रपति को पद पर बहाल करने से इनकार कर दिया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। नाइजर में सैन्य तख्तापलट करते हुए लगभग एक महीने पहले राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को अपदस्थ कर दिया गया था।
नाइजर के नए सैन्य शासन और पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रीय गुट ‘ईसीओडब्ल्यूएएस’ के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच शनिवार की बैठक के बाद अधिकारी ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि देश के गहराते संकट का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के उद्देश्य से लगभग दो घंटे की चर्चा से कोई नतीजा नहीं निकला और अगले कदमों को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं थी। उन्होंने बताया कि यह पहली बार था जब जुंटा (सैन्य शासन) के प्रमुख जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
सेना ने किया था तख्तापलट
तख्तापलट के बाद सैन्य शासन के तहत गुट के तीन अन्य देशों गिनी, माली और बुर्किना फासो को शामिल नहीं किया गया था। ईसीओडब्ल्यूएएस ने 10 अगस्त को नाइजर में संवैधानिक शासन बहाल करने के लिए ‘‘अतिरिक्त बल’’ की तैनाती का आदेश दिया था। अधिकारी ने कहा कि बातचीत के दौरान त्चियानी ने तख्तापलट के बाद ईसीओडब्ल्यूएएस द्वारा लगाए गए आर्थिक और यात्रा प्रतिबंधों को हटाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि त्चियानी ने कई बार चिंता व्यक्त की कि उसका पूर्व औपनिवेशिक शासक फ्रांस सक्रिय रूप से हमले की योजना बना रहा था। शनिवार की बैठकों के तुरंत बाद, त्चियानी ने सरकारी टेलीविजन पर लोगों को संबोधित करते हुए देश के लिए एक खाका पेश किया।
इसमें कहा गया कि देश में तीन साल के भीतर असैन्य शासन स्थापित कर दिया जायेगा और योजना का विवरण राष्ट्रीय संवाद के माध्यम से 30 दिन के भीतर तय किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हम हमारे सामने आने वाली सभी चुनौतियों का समाधान ढूंढ लेंगे और हम सभी के हित में संकट से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के वास्ते मिलकर काम करेंगे। (एपी)
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