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नाइजर ने फ्रांस को दी सीधी चुनौती, एक झटके में खत्म किया फ्रांसीसी सरकार के साथ सैन्य संबंध; युद्ध के मुहाने पर देश

नाइजर में अपनी ही सरकार का तखतता पलट करने वाले सैन्य शाशन ने फ्रांस आर्मी के साथ अपने वर्षों पुराने संबंधों को खत्म करने की घोषणा की है। साथ ही अफ्रीकी देशों की चुनौती को स्वीकार कर नागरिकों को हमला होने पर जवाब के लिए तैयार रहने को कहा है। सेना को भी चैतन्य कर दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Aug 04, 2023 18:09 IST, Updated : Aug 04, 2023 18:19 IST
नाइजर आर्मी।
Image Source : AP नाइजर आर्मी।

नाइजर की सेना ने देश की सरकार का तख्तापलट करने के बाद फ्रांस के साथ सैन्य संबंध भी खत्म करने का ऐलान किया है। बता दें कि पहले नाइजर देश फ्रांस का गुलाम रह चुका है और 3 अगस्त 1960 को आजाद हुआ था। तब से नाइजर में सेना का सहयोग करने के लिए फ्रांस के 1500 सैनिकों की तैनाती है। मगर अब नाइजर की सेना ने अपनी ही सरकार का तख्तापलट करके राष्ट्रपति को नजरबंद कर दिया है। इससे आक्रोशित अफ्रीकी देशों ने नाइजर के सैन्य शासन को 1 हफ्ते में अपदस्थ राष्ट्रपति को बहाल करने या फिर हमले के लिए तैयार रहने को कहा था। मगर नाइजर सैन्य शासन ने अफ्रीकी देशों का आदेश मानने से इंकार कर दिया है। इससे युद्ध का खतरा बढ़ गया है।

नाइजर की सैन्य सरकार का कहना है कि उसने अपने पूर्व औपनिवेशिक शासक फ्रांस के साथ सैन्य संबंध समाप्त कर दिये हैं और पिछली सरकार के कुछ प्रमुख राजदूतों को हटा दिया है। सैन्य सरकार ने कहा है कि पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र के नागरिकों को विदेशी सेनाओं और जासूसों से सावधान रहने की चेतावनी दी गई है। राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को रिहा करने और या संभावित बल का सामना करने के लिए पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्रीय ब्लॉक द्वारा दी गई समय सीमा में दो दिन और बचे हैं। नाइजर में तख्तापलट की पश्चिमी देशों ने कड़ी निंदा की है। कई पश्चिमी देश अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े जिहादियों से लड़ने के प्रयासों में नाइजर को अपने आखिरी विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखते हैं।

फ्रांस के साथ सैन्य समझौते को किया रद्द

नाइजर सैन्य सरकार के शीर्ष निकाय जुंटा ने घोषणा की है कि वह फ्रांस के साथ हस्ताक्षरित सैन्य समझौतों को समाप्त कर रहा है और उसने फ्रांस, अमेरिका, टोगो और पड़ोसी नाइजीरिया में नाइजर के राजदूतों को हटाने की भी घोषणा की। तख्तापलट करने वाले नेताओं के प्रवक्ता कर्नल मेजर अमादौ अब्द्रमाने ने कहा, ‘‘नाइजर के खिलाफ किसी भी हमले का तत्काल और बिना किसी चेतावनी के जवाब दिया जायेगा।’’ बजौम ने वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में कहा कि तख्तापलट से पहले नाइजर की सुरक्षा स्थिति में सुधार हो रहा था लेकिन अब यह खतरे में है क्योंकि नाइजर विदेशी भागीदारों से सहायता खो देगा और चरमपंथी समूह देश में व्याप्त अस्थिरता का फायदा उठाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे एक बंधक के रूप में लिख रहा हूं।’’

नाइजर ने अमेरिका से मांगी मदद

बजौम ने लिखा, ‘‘संकट की इस घड़ी में, मैं अमेरिकी सरकार और पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हमारी संवैधानिक व्यवस्था को बहाल करने में मदद करने का आह्वान करता हूं।’’ फ्रांस के नाइजर में 1,500 सैनिक हैं जो उसकी सेना के साथ संयुक्त अभियान चलाते हैं और अमेरिका एवं अन्य यूरोपीय देशों ने नाइजर के सैनिकों को प्रशिक्षित करने में मदद की है। देश के नए सैन्य शासक जनरल अब्दुर्रहमान त्चियानी ने पड़ोसी देशों को उनके देश में हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी और देशवासियों से राष्ट्र की रक्षा के लिए तैयार रहने की अपील की। पश्चिम अफ्रीकी देशों के आर्थिक समुदाय (ईसीओडब्ल्यूएस) ने नजरबंद अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम को रिहा करके छह अगस्त तक बहाल नहीं किए जाने की स्थिति में बल प्रयोग करने की भी धमकी दी है। (एपी)

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