Saturday, October 05, 2024
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ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में लिखा गया नया इतिहास, सुधारवादी नेता पेजेशकियन ने कट्टरपंथी जलीली को 28 लाख मतों से हराया

ईरान के राष्ट्रपति चुनाव 2024 में इस बार नया इतिहास लिखा गया है। पहली बार सुधारवादी नेता पेजेशकियन की राष्ट्रपति चुनाव में भारी जीत हुई है। वह परमाणु वार्ताकार भी रहे हैं, जिन्होंने कट्टरपंथी सईद जलीली को 28 लाख मतों के भारी अंतर से चुनाव हरा दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: July 06, 2024 11:39 IST
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद पेजेशकियन।- India TV Hindi
Image Source : AP ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद पेजेशकियन।

दुबई: ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में भारी उलटफेर हुआ है। ईरान के सुधारवादी नेता पेजेशकियन ने कट्टरपंथी सईद जलीली को 28 लाख मतों के भारी अंतर से हराकर नया इतिहास लिख दिया है। इसे ईरान में बड़े बदलावों के दौर के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए पिछले सप्ताह हुए मतदान में शीर्ष स्थान पर रहे दो उम्मीदवारों के बीच सीधे मुकाबले में सुधारवादी नेता मसूद पेजेशकियन ने कट्टपंथी सईद जलीली को हराकर शनिवार को जीत हासिल कर ली।

उल्लेखनीय है कि ईरान में पिछले महीने एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो जाने के बाद शुक्रवार को पेजेशकियन और जलीली के बीच सीधे मुकाबले के तहत मतदान हुआ था। पेजेशकियन एक करोड़ 63 लाख मतों के साथ विजयी घोषित किए गए, जबकि जलीली को एक करोड़ 35 लाख वोट मिले। इससे पहले 28 जून को मतदान के शुरुआती दौर में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिले थे, जिसके कारण शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला हुआ।

तेहरान की सड़कों पर पेजेशकियन की जीत का मन रहा जश्न

पेजेशकियन की बढ़त मजबूत होने के साथ ही उनके समर्थकों ने तेहरान और अन्य शहरों में सड़कों पर उतरकर जश्न मनाना शुरू कर दिया था। ये चुनाव ऐसे समय में हुए हैं, जब इजराइल-हमास के बीच जारी युद्ध को लेकर पश्चिम एशिया में व्यापक स्तर पर तनाव है और ईरान पिछले कई वर्षों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। मसूद पेजेशकियन का झुकाव पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी की ओर है, जिनके शासन के तहत तेहरान ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 का ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था। हालांकि, यह परमाणु समझौता रद्द हो गया था और कट्टरपंथी नेता दोबारा सत्ता पर काबिज हो गये थे। हृदय रोग विशेषज्ञ मसूद (69) फिर से परमाणु समझौता करने और पश्चिमी देशों से संबंध बेहतर करने के पक्षधर हैं।(एपी) 

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