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नेपाल के पीएम प्रचंड ने भारत के बजाए कतर को अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए चुना, जानें क्या रही वजह?

नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड’’ ने अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद पड़ोसी भारत को झटका दे दिया है। उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चुनाव न करके कतर को चुना है। जबकि पहले प्रचंड प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा था कि वह सबसे पहले भारत की यात्रा पर जाएंगे।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: February 26, 2023 23:51 IST
प्रचंड, नेपाल के पीएम - India TV Hindi
Image Source : PTI प्रचंड, नेपाल के पीएम

नई दिल्लीः नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड’’ ने अपने सबसे पुराने और भरोसेमंद पड़ोसी भारत को झटका दे दिया है। उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चुनाव न करके कतर को चुना है। जबकि पहले प्रचंड प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा था कि वह सबसे पहले भारत की यात्रा पर जाएंगे। कुछ दिनों पहले प्रचंड प्रशासन की ओर से कहा जा रहा था कि पहले विदेश दौरे के तौर पर प्रचंड ने भारत का चुनाव किया है, जल्द ही उनका शेड्यूल फाइनल किया जाएगा, लेकिन अब वह कतर की पहली विदेश यात्रा करेंगे।

नेपाल के प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा पर अगले सप्ताह कतर का दौरा करेंगे। उन्होंने करीब दो महीने पहले कार्यभार ग्रहण किया था। विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रचंड के नेतृत्व में एक नेपाली प्रतिनिधिमंडल दोहा जाएगा और प्रधानमंत्री वहां सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रतिनिधिमंडल तीन मार्च को कतर रवाना होगा और यह यात्रा तीन दिवसीय होगी। मंत्रालय के अनुसार, प्रचंड दोहा में सम्मेलन से इतर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा वह कई द्विपक्षीय बैठकों में भी भाग लेंगे।

भारत के साथ संबंधों पर होगा क्या असर

अगर प्रचंड पहली विदेश यात्रा के तौर पर भारत को चुनते तो इससे दोनों देशों के संबंध में प्रगाढ़ता आती। हालांकि उनके कतर दौरे से भी संबंधों पर बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ने वाला है। मगर यदि वह कतर के बाद अगला दौरा चीन या पाकिस्तान का करते हैं तो इससे निश्चत रूप से बड़ा फर्क पड़ेगा। ऐसा करने से भारत और नेपाल के संबंधों में तनाव आ सकता है। क्योंकि भारत और नेपाल का संबंध अब तक रोटी-बेटी का कहा जाता रहा है। मगर पूर्व पीएम केपी शर्मा ओली के रहते दोनों देशों के संबंध असामान्य हो गए थे। केपी ओली चीन के इशारे पर काम कर रहे थे। उन्होंने भारत के एक हिस्से को नेपाल का होने का दावा किया था। इससे बौखलाए नेपाल के संबंधों में भारत के साथ कठोरता आ गई थी।

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