काठमांडू: नेपाल में पिछले हफ्ते हुए भारी भूस्खलन की चपेट में आकर लापता हुए कई लोगों को अभी भी खोजा नहीं जा सका है। ऐसे में नेपाल सरकार की अपील पर 12 सदस्यों का दल काठमांडू भेजा गया है, जो लापता लोगों की खोज करेगा। बता दें कि बीते दिनों हुए भूस्खलन के बाद दो बसों के यात्री उफनती नदी में बह गए थे। लापता लोगों की तलाश में मदद के लिए 12 भारतीय बचाव कर्मी भी रविवार को नेपाली सुरक्षा बल के दलों के साथ जुड़ गए। नेपाल के अनुरोध पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की भारतीय बचाव टीम शनिवार को बागमती प्रांत के चितवन में पहुंची। एक बस में सात भारतीय नागरिक सवार थे जिनमें से अब तक तीन के शव बरामद हो चुके हैं।
नेपाल ने 12 जुलाई को भूस्खलन के कारण त्रिशूली नदी में बह गई बसों की तलाश के लिए भारत से सहायता मांगी थी। ‘द काठमांडू पोस्ट’ अखबार की खबर के अनुसार, भारतीय टीम ने रविवार सुबह तलाशी अभियान शुरू किया। 65 यात्रियों को ले जा रही दोनों बसों के नारायणघाट-मुगलिन सड़क खंड पर भूस्खलन की चपेट में आकर त्रिशूली नदी में बह जाने के बाद से कम से कम 19 शव बरामद किए गए हैं। तीन यात्री बस से बाहर निकलने में कामयाब रहे और तैरकर किनारे पर पहुंच गए। तीन सोनार कैमरों सहित आवश्यक उपकरणों से लैस भारतीय टीम में चार गोताखोर शामिल हैं।
नेपाली सेना भी खोज में जुटी
नेपाली सेना, पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) की कई बचाव और खोजी टीम घटना के दिन से ही बसों के मलबे और यात्रियों की तलाश कर रही हैं, लेकिन अब तक बहुत कम सफलता मिली है। दोनों बसों में सवार यात्रियों के शव त्रिशूली नदी में 100 किलोमीटर तक बह गए। बसों के साथ बह गए 62 यात्रियों में से 24 के शव नेपाल के विभिन्न स्थानों और भारत से बरामद किए गए हैं। हालांकि, केवल 15 शवों के बारे में यह पुष्टि की गई है कि ये बस में सवार यात्रियों के हैं। सूत्रों ने बताया कि बरामद किये गये शवों में कम से कम चार भारतीयों के हैं। (भाषा)
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