Zimbabwe: अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में सूखे के कारण बड़ी संख्या में हाथियों की मौत हो रही है। अनमें सबसे ज्यादा प्रभावित बूढ़े और बीमार हाथी हैं। जो कि पानी की तलाश में दूर तक जाने में अक्षम है। वहीं वयस्क हाथियों की मौत भी सूखे की वजह से पानी न मिल पाने के कारण हो रही है। यहां के हवांगे नेशनल पार्क में सूखे के कारण 2019 में दो सौ हाथियों की मौत हो गई थी।
बढ़ सकता है हाथियों की मौतों का आंकड़ा
हाल के कुछ समय मेंजिम्बाब्वे के सबसे बड़े राष्ट्रीय अभयारण्य में सूखे के कारण कम से कम 100 हाथियों की मौत हो गई है। वन्यजीव अधिकारी और संरक्षण समूह इन हाथियों की मौत के लिए जलवायु परिवर्तन और अल नीनो को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ऐसी और मौतें हो सकती हैं क्योंकि हवांगे नेशनल पार्क समेत दक्षिणी अफ्रीकी देश के कुछ अन्य क्षेत्रों में गर्मी बढ़ने और कम बारिश का अनुमान है।
अल नीनो है वजह, जानिए इसके बारे में
इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल वेलफेयर ने इसे हाथियों और अन्य जानवरों के लिए संकट बताया है। जिम्बाब्वे राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव प्रबंधन प्राधिकरण के प्रवक्ता तिनशे फरावो ने कहा, "अल नीनो पहले से ही गंभीर स्थिति को और भी बदतर बना रहा है।" अल नीनो दरअसल, जलवायु से जुड़ा मौसमी प्रभाव है जो औसतन हर 2 से 7 साल के बीच में आता है। स्पैनिश भाषा के शब्द अल नीनो का अर्थ है, लिटल बॉय यानी छोटा लड़का। इसका संबंध अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन में अधिक तापमान से है। अल नीनो के अपोजिट होता है ला नीनो, इसमें वर्षाकाल अच्छा माना जाता है।
प्रशांत महासागरीय इलाकों पर प्रभाव डालता है अल नीनो
मुख्य रूप से इसकी शुरुआत पूर्वी प्रशांत महासागरीय इलाके में असामान्य तौर पर गर्म पानी के कारण होती है। माना जाता है कि भूमध्यरेखीय प्रशांत के पास पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं, जिन्हें ट्रेड विंड्स कहा जाता है, धीमी हो जाती हैं या फिर उलटी दिशा में बहने लगती हैं।
जलवायु परिवर्तन से वन्यजीवों का जीवन संकट में
अल नीनो घटना जिम्बाब्वे में पहले ही महसूस की जा चुकी है। अध्ययनों से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन, अल नीनो को मजबूत बना रहा है, जिससे अधिक गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। अधिकारियों को 2019 की घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका है, जब गंभीर सूखे के कारण नेशनल पार्क हवांगे में 200 से अधिक हाथियों की मौत हो गई थी।