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Kalina: दुश्मन के होश उड़ा सकता है रूस का अडवांस लेजर सिस्टम 'कलीना', इमेजिंग सैटेलाइट को अंधा बनाने में सक्षम, जानिए इसके बारे में

कलीना एक एंटी-सैटेलाइट हथियार के तौर पर काम करता है, जो विदेशी सैटेलाइट को निशाना बनाने की क्षमता रखता है। हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कलीना सैटेलाइट्स के खिलाफ कितना प्रभावी है।

Written By: Shilpa
Published : Jul 12, 2022 14:34 IST, Updated : Jul 12, 2022 16:05 IST
Kalina Advance Laser System
Image Source : TWITTER Kalina Advance Laser System

Kalina Advance Laser System: यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच रूस के घातक हथियारों को लेकर आए दिन नई जानकारी सामने आ रही है। दुनियाभर की मीडिया रिपोर्ट्स और और स्पेस मैग्जीन से पता चलता है कि रूस ने अब एक नए लेजर सिस्टम की तैनाती की है। इसे उसने उत्तरी काकेशस क्षेत्र में स्थित अपने अंतरिक्ष सर्विलांस केंद्र में इन्सटॉल किया है। इस अडवांस लेजर सिस्टम का नाम कलीना है। ये कितना घातक सिस्टम है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यह रूस की जमीन पर मंडराने वाली दुश्मन देश की इमेजिंग सैटेलाइट के ऑप्टिकल सिस्टम को सीधे टार्गेट कर सकता है।

अगर ऐसा कहा जाए कि रूस का ये अडवांस लेजर सिस्टम दुश्मन देश की सैटेलाइट को अंधा कर सकता है, तो कुछ गलत नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत रूस ने साल 2011 में की थी। लेकिन फिर इसमें बार-बार देरी होती रही। हालांकि गूगल अर्थ की ताजा तस्वीरों से पता चला है कि काम काफी तेजी से चल रहा है। स्पेस रिव्यू और बीडीआर की रिपोर्स में बताया गया है कि यह एंटी-सैटेलाइट हथियार क्रोना स्पेस सर्विलांस सिस्टम का कंपोनेंट है। इससे लेजर हमले किए जाते हैं। जिसका संचालन रूस का रक्षा मंत्रालय करता है। इसे पश्चिमी जेलेंचुकस्काया से कई मील दूरी पर रखा गया है। 

2000 के दशक तक संचालन नहीं हुआ

इस परिसर का उपयोग रूस एक ऐसी प्रणाली को चलाने के लिए कर रहा है, जो रूसी एंटी-सैटेलाइट सिस्टम को रडार और लिडार दोनों का उपयोग करके सूचना देता है। 1970 के दशक में रूसी सरकार इस परिसर का आइडिया लेकर आई थी। लेकिन 2000 के दशक तक इसका तुरंत संचालन नहीं किया गया था। स्पेस रिव्यू का कहना है कि इस समय ऑनलाइन पेपर और कोर्ट रिकॉर्ड्स से कलीना के वजूद के बारे में पता करना होगा। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी टेक्निकल रिपोर्ट्स में इसी तरह के दस्तावेजों का उल्लेख किया गया है। 

एंटी-सैटेलाइट हथियार है कलीना

बहुत से लोगों का मानना है कि कलीना एक एंटी-सैटेलाइट हथियार के तौर पर काम करता है, जो विदेशी सैटेलाइट को निशाना बनाने की क्षमता रखता है। हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कलीना सैटेलाइट्स के खिलाफ कितना प्रभावी है। रूस ने इस हथियार को 2011 में विकसित किया था। तब कहा गया कि कार्य चल रहा है। ये संभव है कि रूस भविष्य में इसका इस्तेमाल करेगा। अपने वर्तमान के स्पेस से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर रूस कोई जानकारी सामने नहीं आने देता है। ऐसे में कलीना आखिर कितना प्रभावी साबित होगा, यह भविष्य में इसे इस्तेमाल किए जाने के बाद ही पता चल सकेगा। 

 
एक दशक तक प्रोजेक्ट में हुई देरी

कलीना पर बीते एक दशक से काम काफी धीरे चल रहा था। एनपीके एसपीपी में 2016 में न्यूजलेटर में पता चला कि प्रोजेक्ट में कई बार देरी आई है। इसे बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने दो कॉन्ट्रैक्ट किए। एक 20 नवंबर, 2015 में किया गया और दूसरा 1 जून, 2018 में किया गया। निर्माणाधीन स्थल का नाम '4737-K2' रखा गया था। प्रोजेक्ट पर तेजी के साथ काम चलने की सबसे पहली जानकारी अगस्त, 2019 में गूगल अर्थ इमेजरी में सामने आई। फिर सितंबर 2020 में पता चला कि इसे बनाने का काम लिडार बिल्डिंग के दक्षिण में चल रहा है। 

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