ओटावा: कनाडा की ट्रूडो सरकार ने अपने इमिग्रेशननियमों में एक बार फिर सख्ती करने का ऐलान किया है। कनाडा की सरकार ने अगले दो सालों के लिए अप्रवासियों से जुड़ी नीति को बदलने का फैसला किया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “हम अगले दो सालों में कनाडा आने वाले अप्रवासियों की संख्या में कमी करने जा रहे हैं, यह अस्थायी निर्णय है, जो हमारी जनसंख्या वृद्धि को रोकने और हमारी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लिया गया है।”
'जनसंख्या को स्थिर करने की है जरूरत'
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कोरोना काल में लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था में जो नुकसान और गिरावट आई थी, उससे उबरने में अप्रवासियों ने बड़ा योगदान दिया है, लेकिन अब इसमें समायोजन करने का समय आ गया है। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा को अपनी जनसंख्या को स्थिर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “सभी कनाडाई लोगों के लिए हमारे सिस्टम को सही तरीके से काम करना होगा।”
इमिग्रेशन मंत्री ने क्या कहा
कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि 2025-2027 इमिग्रेशन लेवल योजना की घोषणा की है। हमारे देश की आर्थिक सफलता और विकास के लिए इमिग्रेशन नीति जरूरी है। हमारे देश की जरूरतों के हिसाब से यह योजना जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सफल होगी, जिससे विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।
2025 से 2027 तक का प्लान
कनाडा में नई इमिग्रेशन नीति के तहत 2025 में सिर्फ 3,95,000 लोगों को परमानेंट रेजिडेंसी दी जाएगी। आने वाले सालों में इसमें और भी ज्यादा गिरावट देखने को मिलेगी। 2026 में 3,80,000 और फिर 2027 में 3,65,000 लोगों ही परमानेंट रेजिडेंसी देने का प्लान है। इससे साफ है कि पीआर देने में कनाडा अब कटौती कर रहा है।
रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ी है जनसंख्या
कनाडा की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी ने कहा कि देश की जनसंख्या 2023 से 2024 तक 3.2 प्रतिशत बढ़ी है, जो 1957 के बाद सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि है। अब यहां की जनसंख्या 41 मिलियन हो गई है। जनसंख्या में हुई इस बढोतरी में बाहर से आकर रहने वाले अप्रवासियों का योगदान है।
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कनाडा सरकार के इस कदम से अप्रवासियों के लिए नौकरी पाना और देश में बसना मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा था, “हम कनाडा में अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम करने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा था, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम ला रहे हैं ताकि वो यह साबित कर सकें कि वो पहले कनाडाई कर्मचारियों को नौकरी क्यों नहीं दे सकते हैं।”
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