येरूशलमः इजरायल की संसद ने बृहस्पतिवार को फिलिस्तीनियों के लिए एक ऐसा नया कानून पारित किया है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। इजरायल का यह कानून उन फिलिस्तीनी हमलावरों के परिवारजनों के लिए है, जिन्होंने इजरायल पर 7 अक्टूबर 2023 को आतंकी हमला किया था। अब इस नये कानून के जिसके जरिये फलस्तीनी हमलावरों के परिवार के सदस्यों को युद्ध प्रभावित गाजा पट्टी और अन्य स्थानों पर निर्वासित किया जाएगा। इजरायल के इस नये कानून से हमलावरों के परिवारजनों में हड़कंप मच गया है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के सदस्यों और उनके धुर दक्षिणपंथी सहयोगियों ने इस कानून की पैरोकारी की थी। यह कानून 41 के मुकाबले 61 मतों से पारित किया गया, लेकिन इसे अदालत में चुनौती दिये जाने की संभावना है। यह कानून इजरायल के फिलस्तीनी नागरिकों और इजरायली भू-भाग में मिलाये गए पूर्वी येरुशलम के बाशिंदों पर लागू होगा। उन्हें सात से 20 साल की अवधि के लिए गाजा पट्टी या अन्य स्थानों पर निर्वासित किया जाएगा। इजरायल-हमास युद्ध गाजा में अब भी जारी है, जहां हजारों लोग मारे गए हैं और ज्यादातर आबादी आंतरिक रूप से विस्थापित हो गई है।
हमलावरों के परिवारजनों के घर होंगे ध्वस्त
नेतन्याहू की सरकार ने इजरायल पर हमलावरों के परिवारजनों के घर को ध्वस्त करने का भी प्लान बनाया है। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि निर्वासन का प्लान कब्जे वाले वेस्ट बैंक में लागू होगा या नहीं, जहां इजरायल हमलावरों के पारिवार के घरों को ध्वस्त करने की नीति पर काम कर रहा है। फिलस्तीनियों ने हाल के वर्षों में इजराइलियों के खिलाफ चाकू से हमले, गोलीबारी और कार को टक्कर मारने की दर्जनों घटनाओं को अंजाम दिया है। इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ शोधार्थी एवं इजरायली सेना के लिए पूर्व अंतरराष्ट्रीय कानून विशेषज्ञ डॉ एरान शामिर बोरेर ने कहा कि यदि इस कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। जाती है तो निर्वासन से जुड़े पूर्व के इजरायली मामलों के आधार पर इसे निरस्त किये जाने की संभावना है।
1967 के युद्ध में हुए थे अहम बदलाव
इजरायल ने 1967 के पश्चिम एशिया युद्ध में गाजा, पश्चिमी तट और पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर लिया था। ये वह क्षेत्र हैं जिनपर फिलस्तीनी अपना अधिपत्य चाहते हैं। इजरायल ने 2005 में गाजा से बस्तियां बसाने वालों और सैनिकों को वापस बुला लिया था, लेकिन 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमले के कारण युद्ध शुरू होने के बाद से उसने इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर फिर से कब्जा कर लिया है। इजरायल ने पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर लिया, जिसे ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी। वहां फिलस्तीनियों के पास स्थायी निवास है और उन्हें नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति है, लेकिन ज्यादातर लोग ऐसा नहीं करना चाहते और जो ऐसा करते हैं, उन्हें कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
इजरायल में रहने वाले फिलस्तीनी देश की आबादी का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा हैं। उनके पास नागरिकता और वोट देने का अधिकार है, लेकिन उन्हें बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उनमें से कई लोगों के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के साथ घनिष्ठ पारिवारिक संबंध भी हैं और उनमें से अधिकतर लोग फिलस्तीनी मुद्दों के प्रति सहानुभूति रखते हैं। (एपी)