इजरायल पर 7 अक्टूबर को हुए हमास के आतंकी हमलों की इजरायली पीड़ितों ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायलय से जांच कराने की मांग की है। मगर इजरायल खुद हमास आतंकियों की बर्बरता की अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से जांच कराने से इन्कार कर रहा है। दरअसल इज़राइल हेग स्थित आइसीसी का सदस्य नहीं है और अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता देने से इनकार करता है। इसलिए वह जांच कराने से इन्कार कर रहा है। मगर हमास हमले के इजरायली पीड़ित परिवारों ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) से अपील की कि वह अदालत में इजरायल के विरोध के बावजूद हत्याओं और अपहरणों की जांच का आदेश दे।
तेल अवीव के बंधकों, लापता व्यक्तियों और मारे गए लोगों सहित हमास हमलों के 34 से अधिक पीड़ितों के परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील येल वियास ग्विर्समैन ने आईसीसी अभियोजक के साथ एक तथाकथित 'अनुच्छेद 15 संचार' दायर किया है। फाइलिंग में आईसीसी अभियोजक करीम खान से आग्रह किया गया है कि वह दक्षिणी इज़रायल में हमास की 7 अक्टूबर की कार्रवाई पर अपनी जांच केंद्रित करें, जिसमें जबरन कई व्यक्तियों को गायब कर दिया गया है। अदालत इसे मानवता के खिलाफ अपराध के रूप में देखती है।
इनके साथ हुई बर्बरता
गैलिट की 12 वर्षीय बेटी और 80 वर्षीय मां भी हमलों में मारे जा चुके हैं। उन्होंने अपने वकील द्वारा साझा किए गए टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से रॉयटर्स को बताया, "हमास ने लगभग पूरे परिवार को मार डाला। मेरा संघर्ष न्याय लाने के लिए है।" वह आईसीसी फाइलिंग में शामिल हुईं, लेकिन गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण वह अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहती थीं। हो सकता है, इन विशिष्ट परिस्थितियों में, अधिकारी इज़रायल के क्षेत्र में एक बहुत ही विशिष्ट जांच के लिए एक समझौते पर आ सकते हैं।
अभियोजक ने मुकदमा दायर होने की पुष्टि की
अभियोजक के कार्यालय ने हमास आतंकियों के खिलाफ जांच का मुकदमा दायर होने की पुष्टि की है। जानकारी का मूल्यांकन किये जाने की बात कही है। आईसीसी के पास पहले से ही फिलिस्तीनी क्षेत्र पर और इज़रायल के क्षेत्र पर फिलिस्तीनियों द्वारा किए गए अपने अधिकार क्षेत्र के किसी भी कथित अपराध की जांच चल रही है। 2021 में आईसीसी न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि फिलिस्तीनी अधिकारियों द्वारा 2015 में अदालत में हस्ताक्षर किए जाने और उन्हें संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद अदालत का अधिकार क्षेत्र है। उस समय इज़रायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस निर्णय को "न्याय का विकृति" कहा था। सरकार के रुख के बावजूद वकील वियास ग्विर्समैन जांच को लेकर आशान्वित हैं।
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