Highlights
- एक दूसरे को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं ईरान-इजरायल
- कई साल से खुफिया ऑपरेशन चला रहे दोनों देश
- ईरान ने परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या का आरोप लगाया
Israel and Iran at War: रूस के पहले हमले के बाद से शुरू हुई यूक्रेन जंग 24 फरवरी के बाद से आज तक जारी है। जंग के थमने के आगे कोई आसार नजर नहीं आ रहे। इस जंग ने न केवल यूक्रेन को तबाह कर दिया है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी खूब उथल पुथल मचाई है। रूस पर प्रतिबंधों से तेल के दाम बढ़ गए हैं, यूक्रेन में तबाही और बंदरगाह जैसे रास्तों को बंद करने से खाद्य संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि दो देशों की जंग से न केवल उन देशों बल्कि पूरी दुनिया पर असर पड़ता है। अब एक ऐसी खबर आई है, जो दुनिया के लिए आगे चलकर बड़ी मुसीबत में तब्दील हो सकती है। ऐसी आशंका है कि इजरायल और ईरान के बीच युद्ध हो सकता है।
खुद को खुल्लम खुल्ला एक दूसरे का दुश्मन कहने वाले इजरायल और ईरान एक दूसरे के खिलाफ कई साल से सीक्रेट लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन इनके बीच जारी यही खुफिया जंग अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। इजरायल ईरान को सबसे बड़ा खतरा मानता है। उसे लगता है कि यह देश (ईरान) उसे मिटाना और खत्म करना चाहता है। वहीं ईरान मानता है कि इजरायल अमेरिका को समर्थन देता है और इसलिए अमेरिका की ही तरह वह भी उसका दुश्मन है। ईरान ने 2020 में इजारयल को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि उसने उसके एक वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादे की हत्या कर दी है। ये हत्या उस वक्त की गई, जब वह तहरान के बाहर हाइवे पर गाड़ी से कहीं जा रहे थे, तभी उन्हें गोली मार दी गई।
फखरीजादे की मौत से भड़की दुश्मनी
इजरायल ने खुद पर लगने वाले आरोपों को न तो गलत बताया और न ही सही कहा। वहीं फखरीजादे 2007 के बाद ईरान के ऐसे पांचवें परमाणु वैज्ञानिक थे, जिनकी हत्या की गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने बकायदा अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि किस तरह इजरायल ने फखरीजादे को मारा। फिर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के ही पूर्व प्रमुख ने कहा कि वैज्ञानिक कई साल से निशाने पर थे। ऐसा माना जाता था कि फखरीजादे परमाणु वॉर हेड बनाने वाले खुफिया प्रमुख थे।
आमने-सामने आए इजरायल और ईरान
ईरान और इजरायल ने एक दूसरे के खिलाफ खुफिया ऑपरेशन उस वक्त भी जारी रखे, जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को ईरान परमाणु सौदे से बाहर कर लिया था। हालांकि वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन सत्ता में आने के बाद से इस समझौते को बहाल करने की कोशिशें कर रहे हैं। इसी दौरान इजरायल ने ईरानी साजिश को नाकाम करने का दावा किया। दूसरी तरफ से ईरान ने कहा कि उसने इजरायल की धरती पर ड्रोन ऑपरेशन किया है। इसके बाद ऐसी रिपोर्ट्स आईं कि दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय मार्ग में एक दूसरे के जगाहों को निशाने पर लिया है।
केवल इतना ही नहीं। बीते हफ्ते की ही बात है, जब ईरान ने कहा था कि उसके भूमिगत परमाणु स्थल पर इजरायल ने हमला किया है। उसने मोसाद से रिश्ते रखने वाले तीन लोगों को खिलाफ मुकदमा चलाने की जानकारी दी। ईरान का आरोप है कि इन लोगों ने मोसाद के साथ मिलकर परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या की साजिश रची थी। ईरान ने ये भी बताया कि उसके यहां कई हत्याएं रहस्यमयी तरीके से की गई हैं। इनमें एयरोस्पेस सेंटर के कर्मी और रक्षा मंत्रालय से जुड़े इंजीनियर शामिल हैं। हालांकि उसने इस मामले में इजरायल का नाम नहीं लिया।
परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव
ईरान ने अमेरिका के परमाणु समझौते से बाहर निकलते ही सौदे के नियमों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। वो उच्च स्तर पर यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है। उसका कहाना है कि परमाणु कार्यक्रम को सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। सौदे को बहाल करने के लिए वियना में विश्व शक्तियों के बातचीत भी अब ठप पड़ी है। जबकि इजरायल से बयान आते हैं कि ईरान के इस कार्यक्रम से उसे खतरा हो सकता है। वह इसे रोकने की पूरी कोशिशें भी कर रहा है।
कैसे बना रहे एक-दूसरे को निशाना
ईरान ने मार्च में इराक में उस जगह मिसाइल दागीं, जिसे इजरायल का रणनीतिक केंद्र कहा जाता है। वह इराक में आतंकी समूहों को समर्थन देता है, जो वहां मौजूद अमेरिका के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये आतंकी आपूर्ति ले जाने वाले काफिलों को भी निशाना बनाते हैं। कुछ दिन पहले की ही बात है। इजरायल ने अपने नागरिकों से कहा था कि अगर जान प्यारी है तो तुर्की की यात्रा न करें। ऐसी आशंका थी कि यहां ईरानी एजेंट इजरायली नागरिकों को निशाना बना सकते हैं। इजरायली पीएम ने कहा कि उनका देश ऑक्टोपस डॉक्टराइन पर अमल कर रहा है। जिसका मतलब ईरान के परमाणु, मिसाइल और ड्रोन जैसे कार्यक्रमों पर उसी देश के भीतर कर्रवाई तेज करना है।