इजरायल हमास युद्ध में इस वक्त बड़ी खबर सामने आ रही है। इजरायली सेना पर आरोप है कि उसने एक हवाई हमले में फिलिस्तीनियों के गाजा विश्वविद्यालय को उड़ा दिया है। हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अमेरिका ने इजरायली सेना से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांग लिया है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कथित तौर पर इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) द्वारा गाजा में फिलिस्तीन विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर की इमारत को निशाना बनाते हुए दिखाया गया है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने व्यापक रूप से साझा किए गए फुटेज के संबंध में इज़रायल से स्पष्टीकरण का अनुरोध किया है।
वीडियो में दिखाया गया है कि विस्फोटों से पहले एक परित्यक्त विश्वविद्यालय की इमारत दिखाई देती है, जो संभवतः भीतर छिपे बमों के कारण होती है। इस इमारत में अचाना इतना भयानक विस्फोट होता है कि आसमान में ऊंचाई तक धुआं उठता है और सभी दिशाओं में सदमे की लहर फैल जाती है। हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता डेविड मिलर ने अपर्याप्त जानकारी का हवाला देते हुए वीडियो पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया। फिलहाल अमेरिकी की योर से इजरायल से सफाई पेश करने को कहा गया है।
दक्षिण गाजा के खान यूनिस में इजरायली सेना का कहर
चश्मदीदों के अनुसार दक्षिणी गाजा के मुख्य शहर खान यूनिस में भी इजरायली सेना की गोलीबारी और हवाई हमले जारी हैं। इजरायली सेना के अनुसार यह क्षेत्र हमास के सदस्यों और नेताओं का गढ़ है। इसलिए इसे निशाना बनाया जा रहा है। फिलिस्तीनी रेड क्रिसेंट ने हमास के नियंत्रण वाले गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ अल-अमल अस्पताल के पास तीव्र तोपखाने की गोलीबारी की सूचना दी, जिसमें रात भर में 77 लोगों की मौत की पुष्टि की गई। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि इजरायली सेना की गिवाती ब्रिगेड ने टैंक फायर और हवाई सहायता का उपयोग करते हुए दर्जनों आतंकवादियों को खत्म करने का दावा किया। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 7 अक्टूबर को इज़राइल पर हमास के हमलों के साथ शुरू हुए मौजूदा संघर्ष ने गाजा की 24 लाख आबादी में से लगभग 85 प्रतिशत को विस्थापित कर दिया है। कई लोग अब आश्रय स्थलों में फंसे हुए हैं और उन्हें भोजन, पानी, ईंधन और चिकित्सा देखभाल जैसे आवश्यक संसाधनों तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हेपेटाइटिस ए के 24 मामले और पीलिया के बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए हैं, जिससे बेहतर सहायता पहुंच की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है।
यह भी पढ़ें